Dussehra Special : सोनी सब के सितारों ने इस त्‍यौहार से जुड़ी अपनी बेहतरीन यादों और इसके महत्‍व पर बात की

नई दिल्ली। दशहरे के शुभ अवसर पर पूरा वातावरण उल्‍लास और सकारात्‍मकता से भरा होता है। दशहरे के इस विशेष दिन पूरा देश त्‍यौहार मनाएगा और सोनी सब के लोकप्रिय शोज में दिखने वाले दर्शकों के चहेते कलाकार भी इसी उत्‍सव पर बात कर रहे हैं।


पुष्‍पा इम्‍पॉसिबलके विक्रम सरन, यानि अदीश वैद्य ने कहा, “दशहरा हमेशा बड़े उत्‍साह से मनाया जाता है। महाराष्‍ट्र में दशहरा किसी शुरूआत या नई चीजें खरीदने का एक शुभ समय माना जाता है। महाराष्‍ट्र में एक और लोकप्रिय परंपरा है, जिसमें दोस्‍तों और परिवार में बीड़ी की पत्तियाँ बांटी जाती हैं। यह पत्तियाँ सोने का प्रतीक होती हैं और इन्‍हें ‘अप्‍तयाची पान’ कहा जाता है। हम घर पर स्‍वादिष्‍ट चीजें बनाते हैं और मैं हर साल इसी तरह अपने परिवार के साथ दशहरा मनाता हूँ। यह त्‍यौहार काफी सकारात्‍मकता और बेहतरीन वाइब्‍स लेकर आता है।”

पुष्‍पा इम्‍पॉसिबलकी दीप्ति, यानि गरिमा परिहार ने बताया, “इस दिन हमें ज्‍यादातर वक्‍त अपने परिवार के साथ बिताने का मौका मिलता है, क्‍योंकि हम शूटिंग नहीं कर रहे होते हैं। लोग जितनी खूबसूरती से रावण के पुतले बनाने की कोशिश करते हैं, वह मुझे पसंद है। मुझे मेलों में जाना और खासकर रावण के बड़े-बड़े पुतले देखना और लड्डू, बादाम का हलवा और इस तरह की कई मिठाइयाँ खाना पसंद है। इस त्‍यौहार का मतलब बुराई पर अच्‍छाई की जीत से है, चाहे परिस्थितियाँ कुछ भी हों, हमें हमेशा अच्‍छा रहना चाहिये। मुझे अच्‍छे काम करने में पूरा यकीन है। अगर डरना ही है, तो भगवान से डरना चाहिये, जो आपको कभी कुछ गलत नहीं करने देंगे। अच्‍छाई करो और आपको अच्‍छाई मिलेगी। आप जो करते हैं, वही लौटकर आता है। दशहरे की शुभकामनाएं!’’

 

धर्म योद्धा गरुड़के भगवान विष्‍णु, यानि विशाल करवाल ने कहा, “दशहरे से जुड़ी मेरी बहुत अच्‍छी यादें हैं। मैं छोटे-से एक शहर में रहता था। हम हर साल बड़े मजे और जोश के साथ यह त्‍यौहार मनाते थे। मैं अपने दोस्‍तों से मिलता था और हम पुतला दहन देखने के लिये दो किलोमीटर पैदर चलकर जाते थे। बचपन में दशहरे का दिन मेरे लिये खुशियों से भरा होता था! कई स्‍वादिष्‍ट व्‍यंजन, खासकर मिठाइयाँ भी होती थीं जिनसे आनंद दुगुना हो जाता था। मेरा मानना है कि बुराइयों का हमेशा एक अंत होता है और अच्‍छाई की बुराई पर हमेशा जीत होती है। यह त्‍यौहार सत्‍य की विजय का उत्‍सव है।”

धर्म योद्धा गरुड़की कादरू, यानि पारुल ने कहा, “दशहरा सभी को याद दिलाता है कि अच्‍छाई की बुराई पर हमेशा जीत ही होगी। यह उम्‍मीद हमेशा रहती है कि न्‍याय जरूर होगा और बुराई खत्‍म हो जाएगी, जबकि अच्‍छाई कायम रहेगी। मुझे लगता है कि दशहरा इस उम्‍मीद का बिलकुल सही उदाहरण है, क्‍योंकि इस दिन भगवान राम ने राक्षसराज रावण का अंत किया था और अपनी अपहृत पत्‍नी सीता को छुड़ाया था। जब हम छोटे थे, तब अपने शहर के अलग-अलग पांडालों में घूमा करते थे और त्‍यौहार के माहौल का मजा लेते थे।”

वागले की दुनियाके राजेश, यानि सुमीत राघवन ने कहा, “दशहरा भारत के प्रमुख त्‍यौहारों में से एक है। इसे पूरे देश में बड़ी उमंग और उत्‍साह के साथ मनाया जाता है। दशहरा मनाने के पीछे का विचार काफी गहरा है और आज की परिस्थितियों में भी बड़े मायने रखता है। इस त्‍यौहार का सार यह है कि व्‍यक्ति जब तक नैतिकता और मूल्‍यों का पालन कर रहा है, वह सही रास्‍ते पर है और मेरा भी यही मानना है। उम्‍मीद है कि यह त्‍यौहार हर किसी के जीवन में ज्‍यादा आनंद, खुशियां और सकारात्‍मक अनुभव लेकर आएगा।”

 

 

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