ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के लिए अध्यादेश जारी

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल।  सरकार ने इलेक्ट्रानिक सिगरेट यानी ई- सिगरेट के उत्पादन, बिक्री, भंडारण, प्रचार, लाने-ले जाने और आयात- निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए बृहस्पतिवार को एक अध्यादेश जारी किया। इसका उल्लंघन करने वाले को जेल की सजा हो सकती है और जुर्माना लग सकता है।

अध्यादेश के अनुसार, पहली बार इसका उल्लंघन करने वालों को एक साल तक की सजा होगी और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा। इस प्रतिबंध का लगातार उल्लंघन करने वालों को तीन साल तक की सजा हो सकती है या पांच लाख रुपये का जुर्माना भी हो सकता है या दोनों सजाएं साथ हो सकती हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा था कि मंत्रिमंडल ने ई-सिगरेट पर रोक लगाने का निर्णय किया है। इसमें ई सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, भंडारण सभी पर पूरी तरह रोक होगी। सीतारमण उस मंत्री समूह (जीओएम) की अध्यक्ष रही हैं जिसने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के संबंध में विचार किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने ई-सिगरेट और इस तरह के अन्य उत्पादों को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है जिनसे लोगों के स्वास्थ्य को खास तौर पर युवाओं को खतरा है। ई-सिगरेट का भंडारण करने पर अब छह महीने तक की जेल की सजा हो सकती है और 50,000 रुपये का जुर्माना लग सकता है या जेल की सजा और जुर्माना दोनों देना पड़ सकता है।

 

यह अध्यादेश अधिकारियों को उन जगहों पर भी तलाशी की अनुमति देता है जहां इस तरह की तलाशी की इजाजत नहीं होती है। अधिकारी संपत्ति, ई-सिगरेट के भंडारण या उत्पादनकर्ता के रिकॉर्ड, आयातक-निर्यातक, लाने-ले जाने की व्यवस्था करने वाले की संपत्ति शिकायत के बाद कुर्क कर सकते हैं।

इसमें यह भी कहा गया है कि ऐसे स्थानों के मालिक या उसे संभालने वाले, जहां ई-सिगरेट तैयार की जाती थी, बिना विलंब किए इस भंडारण को निकटतम संबंधित प्रशासन को सौंप दें।

हालांकि ई-सिगरेट पर रोक लगाने के फैसले को लेकर व्यापारिक निकायों, उपयोगकर्ताओं और अन्य पक्षों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह सरकार द्वारा जल्दबाजी में उठाया गया कठोर कदम है। उनका कहना है कि सरकार ने पारंपरिक सिगरेट उद्योग को बचाने के लिए जल्दबाजी में इस तरह का ‘कठोर’ कदम उठाया है।

ई-सिगरेट उपयोगकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था एसोसिएशन ऑफ वैपर्स इंडिया (एवीआई) ने कहा कि यह भारत में 11 करोड़ धूम्रपान करने वालों के लिए काला दिन है और उन्हें सुरक्षित विकल्पों से वंचित कर दिया गया है।

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