फिल्म पद्मावत कल रिलीज होने जा रही है पर सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बावजूद यह आम दर्शक तक पहुंच पाएगी या नहीं ? हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज यह कह रहे हैं कि दर्शक फिल्म न ही देखना जाएं तो अच्छा ।
वैसे हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सुरक्षा प्रदान करेंगे । गौरतलब कीजिए कि फिल्म न देखने जाएं तो अचछा।सरकार अपनी बात प्रदेश अटल हैं । बैन लगाया था और एक प्रकार से आम दर्शक को यही कहा जा रहा हैं कि न देगें तो बेहतर होगा । ऐसी सरकार कितनी सुरक्षा प्रदान करेगी ? इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं । राजस्थान में , गुजरात में लगातार हिंसा बढ रही है । संभवतः इससे पहले ऐसे किसी भी फिल्म का इतना विरोध नहीं किया गया । इतना लम्बा विवाद नहीं हुआ ।
करणी सेना के सामने राज्य सरकारें समर्पण कर रही हैं । पद्मावती से नाम बदल कर पद्मावत कर दिया गया और आवश्यक बदलाव भी कर देने के बाद यह माहौल हैं । राजनीति पूरी तरह गर्मा गयी है । ओवैसी पर मुम्बई में जूता फेंका गया । हालांकि ओवैसी भी फिल्म देखने के खिलाफ हैं ।
क्या कला , संस्कृति और सिनेमा नाजुक और कठिन दौर से गुजर रहा हैंं ? किस्सा कुर्सी का फिल्म को आपातकाल के बाद सत्ता की शिकार होना पडा । अभी कुछ समय पहले तक इंदु सरकार भी आलोचना में रही । पिछले वर्ष उडता पंजाब पर कम हंगामा नहीं मचा । यहां तक आरोप लगे कि आप पार्टी ने इसकी फंडिंग की है । निर्माता ने जवाब दिया कि ऐसे फंडिंग होने लगे तो हर महीने फिल्म बना दूं पर ऐसा नहीं है । उडता पंजाब भी आप को पंजाब में सत्ता में नहीं ला सकी । आंधी फिल्म पर भी खूब शोर मचा था और लेखक कमलेश्वर को यह कहना पडा था कि वे सिंधिया की महारानी के सचिव हुआ करते थे । यह उन अनुभवों पर लिखा गया उपन्यास है । आंधी खूब चली और इसका राजनीतिक असर भी देखने को मिला । इसी प्रकार गुलजार की माचिस फिल्म ने भी पंजाब चुनाव प्रक्रिया असर छोडा था । माचिस आतंकवाद प्रकार बनी फिल्म थी ।
फिल्में समाज प्रकार प्रभाव डालती हैं । सामाजिक संदेश भी देती हैं लेकिन जिस स्तर पर पद्मावत का विरोध हो रहा हैंं, उससे यह संदेश फिल्म निर्माता निर्देशक को जा रहा हैंं कि यह बडा जोखिम का काम होगा । संभल कर चलना इस राह प्रकार ।
कमलेश भारतीय