झारखंड में पहले से ज्यादा स्वच्छ हुई गंगा- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

 

नई दिल्ली। गंगा नदी के कायाकल्प की दिशा में नमामि गंगे मिशन द्वारा किए जा रहे अभूतपूर्व प्रयासों के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। गंगा बेसिन वाले झारखंड राज्य में नमामि गंगे मिशन द्वारा पांच परियोजनाओं का संचालन किया जा रहा है। इन परियोजना में अकेले साहिबगंज जिले में ही 12 एमएलडी और 3.5 एमएलडी क्षमता वाली दो परियोजनाएं शामिल हैं।

सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में गंगा नदी अदूषित श्रेणी (उच्चतम जल गुणवत्ता) में है। राज्य से गुजरने के दौरान गंगा नदी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 3 मिलीग्राम/लीटर से कम है। जिसका मतलब है कि राज्य में गंगा का पानी निर्धारित मानकों के अनुरूप स्वच्छ है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने एसटीपी ( सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) के प्रदर्शन को मापने और निगरानी करने के लिए एक रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम की शुरुआत की है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के आउटलेट पर अपशिष्ट मापदंडों की निगरानी एक ऑनलाइन सतत अपशिष्ट निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) के माध्यम से की जाती है।

आपको बता दें कि यह सिस्टम जीएसएम/जीपीआरएस संचार के माध्यम से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन में एक केंद्रीय सर्वर को डेटा प्रेषित करता है। इसके बाद डेटा का विश्लेषण मिशन के ‘गंगा तरंग पोर्टल’ पर किया जाता है, जिसे राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निगरानी केंद्र, ‘यमुना और गंगा के वास्तविक समय विश्लेषण मंच (प्रयाग पोर्टल)’ के साथ एकीकृत किया गया है। यह एसटीपी केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी), टोटल सस्पेंडेड सॉलिड (टीएसएस), पीएच और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) के लिए डिज़ाइन किए गए मापदंडों पर पूरी तरह खरा उतरा है।

इसके अलावा, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) के साथ मिलकर नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत जल गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क की स्थापना की है। यह नेटवर्क मैनुअल और रियल-टाइम सेंसर-आधारित निगरानी प्रणालियों के माध्यम से गंगा नदी के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपायों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करता है। इसमें दो रियल-टाइम जल गुणवत्ता निगरानी स्टेशन शामिल हैं, जो निरंतर जल की गुणवत्ता की निगरानी करते हैं। यह हर घंटे डेटा को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को प्रस्तुत करते हैं। साहिबगंज में दस मैनुअल जल गुणवत्ता निगरानी स्टेशन भी हैं, जो पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए तय दिशा-निर्देशों के अनुसार आकलन करते हैं।

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत व्यापक निगरानी और मूल्यांकन प्रयास, जिसमें उन्नत वास्तविक समय और मैनुअल निगरानी प्रणालियाँ शामिल हैं, यह सुनिश्चित करते हैं कि अपशिष्ट निर्वहन स्थापित मानकों को पूरा करें, और गंगा नदी की जल गुणवत्ता का प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया जाए। यह उपाय नदी कायाकल्प के प्रयासों को गति देने के साथ ही पर्यावरण की गुणवत्ता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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