नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण विभाग में एसिस्टेंट प्रोफैसर डाॅ संध्या शर्मा इस बात को साबित कर रही हैं कि मंजिल पर पहुंची तो मंजिल बढा ली । सांग में हरियाणा भर में अपनी पहचान बना चुकी डाॅ संध्या शर्मा इसी से संतुष्ट नहीं रही बल्कि अब और नये आकाश छूने की कोशिश में लग गयी हैं । मूल रूप से हिसार के डोगरा मुहल्ला निवासी संध्या आजकल अपने पति रमण कटारिया के साथ जवाहरनगर में रहती हैं । ग्रेजुएशन एफ सी काॅलेज से की तो एम ए संगीत कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से और लोकसंगीत में पीएचडी भी इसी विश्वविद्यालय से की । पहले न्यू यशोदा पब्लिक स्कूल में जूनियर लैक्चरर रहीं और फिर डीएन काॅलेज में पांच साल प्राध्यापिका रहीं । मानसा पंजाब में मात्र दो माह तक ही प्राध्यापिका रहीं और छोड कर हिसार आ गयीं। छात्रों को सिखाती , खपती लेकिन उनकी परफार्मेंस से असंतुष्ट रहतीं कि मैं अपना समय लगा कर भी कला की सेवा नहीं कर रही । ऐसा अंदर ही अंदर महसूस करतीं । फिर एचएयू में छात्र कल्याण विभाग में अवसर मिला तो निदेशक डाॅ रामकुमार यादव व सहयोगी डाॅ सतीश कश्यप की प्रेरणा से सांग के लिए मंच पर आ गयीं । अभी तक पर्दे के पीछे से मेरी आवाज गूंजती थक लेकिन फिर पर्दे के सामने परफाॅर्म करना शुरू किया तो कला और जिंदगी के मायने बदलते चले गये ।
– रागिनी गायन तो शुरू से ही करती थी । काॅलेज में पढते रागिनी गायन में राष्ट्रीय पुरस्कार तक पाया । फिर एचएयू में आकर डाॅ रामकुमार यादव से प्रोत्साहन पाकर मंच के आगे परफाॅर्म करना शुरू किया ।
– आठ साल तक जाॅनी चोर , पिंगला भरथरी और शिव पार्वती करती आई लेकिन खुद ही लगा कि कब तक यही सब करती रहूंगी । कुछ नया करूं । कुछ नयी विधा में करूं ।
– असल में मैं हरियाणा के लोक कलाकारों महावीर गुड्डू , अशोक गुड्डू और हरविंद्र राणा को देखती । ये लोग मंच पर आते लडके लडकियों के साथ, ये इनके पीछे नाचते और गाते । मैंने इसे कठपुतलियों में बदला है । मेरे नये शो में लडका और लडकी कठपुतलियां हैं , जिनके साथ मैं लोकनृत्य और गीत प्रस्तुत करती हूं । अभी नयी दिल्ली के वासुकि सभागार में आयोजित राष्ट्रीय लोक कला उत्सव में परफार्मेंस देकर लौटी हूं । इसकी खूब सराहना भी हुई और यह बात कही गयी मंच पर कि हम डर रहे थे सपना चौधरी के रागिनी गायन के तरीकों से लेकिन यह बहुत स्वस्थ परफाॅर्मेंस मिली ।
– अपने सहयोगी डाॅ सतीश कश्यप और डाॅ रामकुमार यादव जिन्होंने मेरी कला को लगातार प्रोत्साहित किया । दूसरी प्रसिद्ध लोककलाकार तीजन बाई ,जिनकी तरह स्टेज पर आने का मन काॅलेज से ही था । अब तो अनेक बार उनसे मिलना भी हुआ और उनके जीवन संघर्ष को भी जान पाई हूं । कैसे वे नकारात्मक हालातों में भी आगे बढीं । फिर मेरे माता पिता जिन्होंने बराबर मेरा साथ दिया ।
– बिल्कुल । महिला कलाकार परिवार ,नौकरी , समाज और बच्चों के साथ अनेक संघर्ष करके अपनी मंजिल की ओर बढती है । यह दुखांत वही जानती है ।
– लोकगीत व संगीत को बढाना है । यदि इंसान एक ही चीज के प्रति पूरी तरह समर्पित हो जाए तो सफलता मिल के रहती है । वैसे माटी से जुडी संस्कृति के विए काम करने के लिए एक जिंदगी भी कम पड जाती है ।