महानगरों में हिमाचली


नई दिल्ली। भारत के विभिन्न हिस्सों में बसे हिमाचलियों को एक लड़ी में पिरोने की पहल शुरू की गई है जिसके अंतर्गत शुरू में देश के महानगरों में बसे हिमाचलियों को जोड़ा जा रहा है। इसकी शुरुआत बैंगलोर में रहने वाले डॉक्टर अरुण भरद्वाज ने की है। सोलन में जन्मे डॉक्टर अरुण भरद्वाज ने महसूस किया की हिमाचली सांस्कृति, विशिष्ट पहचान , व्यंजन और वेशभूषा आदि को राष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान दिलाई जानी चाहिए। उनका कहना है की अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर महानगरों में लोग हिमाचल को शिमला, मनाली, डलहौज़ी आदि पर्यटन स्थलों से ही पहचानते हैं और महानगरों में बसे ज्यादातर हिमाचली अपनी पहचान जाहिर करने में संकोच करते हैं क्योंकि पंजाबियों और गुजरातियों की तरह उनकी कोई अलग पहचान नहीं होती और हिमाचली सांस्कृति के बारे में महानगरों के लोग अनभिज्ञ ही रहते हैं, जबकि उनके दिल में हिमाचल के प्रति काफी सॉफ्ट कॉर्नर रहता है। अपनी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने एक ग्लोबल फ्रेंड्स ऑफ़ हिमाचल संस्था का गठन किया और इसके अंतर्गत सबसे पहले फ्रेंड्स ऑफ़ हिमाचल बैंगलोर चैप्टर की शुरुआत की। बैंगलोर में यह हिमाचलियों का पहला औपचारिक संगठन बना लेकिन इस संगठन को खड़ा करने में उन्हें काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा क्योंकि इतने बड़े महानगर में हिमाचली ढूंढ़ना एक टेढ़ी खीर था। शुरू में इन्हें अगर कोई हिमाचली नंबर की गाड़ी मिल जाती तो वह उसे भी रोक लेते और उन्हें सड़क पर ही हिमाचली संगठन में शामिल होने को प्रेरित करते।  धीरे धीरे अपने संपर्क माध्यमों का उपयोग करके उन्होंने कुछ हिमाचलियों को फ्रेंड्स ऑफ़ हिमाचल के बैंगलोर चैप्टर से जोड़ने के बाद फ्रेंड्स ऑफ़ हिमाचली बैंगलोर का फेसबुक पेज शुरू किया और धीरे धीरे यह मुहिम कामयाबी की ओर बढ़ती चली गई और आज दिल्ली और चंडीगढ़ के बाद बैंगलोर में हिमाचलियों का एक सुदृड़ संगठन खड़ा हो गया। इस संगठन ने हाल ही में बैंगलोर में पहला आयोजन भी किया जिसमें ज्यादातर प्रतिभागी हिमाचली ड्रेस में आए। इस मौके पर पहाड़ी नाटी डाली गई और पहाड़ी व्यंजन ही परोसे गए।

इस संगठन के सूत्रधार डॉक्टर अरुण भरद्वाज का कहना है की फ्रेंड्स ऑफ़ हिमाचल बैंगलोर के फेसबुक पेज को देश के अन्य महानगरों में बसे हिमाचलियों ने भी लाइक और कमेंट करना शुरू कर दिया जिससे दूसरे महानगरों में बसे हिमाचलियों का डाटा इकट्ठा करके उन्होंने उनसे संपर्क साधा जिसके परिणाम स्वरूप फ्रेंड्स ऑफ़ हिमाचल मुंबई, पुणे, हैदराबाद और चंडीगढ़ चैप्टरों की शुरुआत की गई। ग्लोबल फ्रेंड्स ऑफ़ हिमाचल के संस्थापक डॉक्टर अरुण भरद्वाज का कहना है की उन्होंने इस संस्था में मूल हिमाचलियों के इलावा हिमाचल को पसंद करने बाले लोगों को भी जोड़ा है ताकि यह एक सुदृड़ संस्था बन सके क्योंकि इन महानगरों में हिमाचलियों की संख्या काफी कम है और ज्यादातर युवक हैं जोकि आई टी /सॉफ्टवेयर / इंजीनियरिंग /मेडिकल आदि क्षेत्रों में काम करते हैं और उनके पास समय का नितांत अभाव है। लेकिन वह हिमाचल से जुड़े रहना चाहते हैं और अपनी जन्मभूमि के लिए सकारत्मक योगदान भी देना चाहते हैं। उनका कहना है की महानगरों में रहने वाले उच्च बर्ग हिमाचल के पर्यटक और धार्मिक स्थलों को बहुत पसंद करते हैं और उनके मन में हिमाचल के प्रति असीम प्यार है। वह चाहते हैं की इन सब लोगों को फ्रेंड्स ऑफ़ हिमाचल के साथ जोड़कर वह हिमाचल को पंजाब और गुजरात की तर्ज पर एक विशिष्ट ब्रांड के तौर पर प्रमोट कर सकें।

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