बेबाक कलम के काबिल कलमकार कृष्ण मोहन झा

सचिन गंगराड़े

देश की पत्रकारिता जगत के सशक्त हस्ताक्षर कृष्णमोहन झा आज 21 फरवरी को अपने कर्मठ और यशस्वी जीवन के 44 वे वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। इस शुभ अवसर पर जब मैं अपने ह्रदय के उदगारों को अभिव्यक्ति देने के लिए कागज व कलम लेकर बैठा हूं तो बरबस ही मेरे मानस पटल पर हिंदी जगत के मूर्धन्य कवि स्वर्गीय ब्रजराज पांडेय की यह पंक्तिया उभरकर सामने आ रही है-

कर्मवीर के आगे पथ का हर पत्थर साधक बनता है,
दीवारें भी दिशा बताती है, जब मानव आगे बढ़ता है।

मैं मध्यप्रदेश के एक पिछड़े व आदिवासी जिले मण्डला से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले कृष्णमोहन झा को एक ऐसे कर्मवीर के रूप में देखता हूं, जिन्होंने एक निर्भीक कलमवीर के रूप में पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। कहना चाहूंगा कि पत्रकार के रूप में अपने उज्जवल कैरियर के प्रारंभिक दौर में ही उन्होंने “जहां चाह , वहां राह वाली कहावत को सच साबित कर दिखाया था। मंडला में कुछ वर्षो में ही अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के बाद जब उन्हें यह महसूस होने लगा कि वे कुछ बड़ा करने के लिए बने है और इसके लिए उन्हें मंडला की सीमाओं को तोड़कर बाहर निकलना होगा। तब उन्होंने राजधानी भोपाल की ओर रुख करने का फैसला किया। निश्चित रूप से उनका यह फैसला जोखिमों से भरा हुआ था, क्योंकि उन्हें इस कढ़वी हकीकत का अहसास था कि उन्हें भोपाल में कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, परंतु उन्होंने महान कवि स्व. गोपाल दास सक्सेना की इन पंक्तियों में छिपी प्रेरक शक्ति को पहले ही आत्मसात कर लिया था कि-

कांटों कंकड़ भरी डगर हो ,
या प्याले में भरा जहर हो,
पीड़ा जिसकी पटरानी है,
उसके लिए हर मुश्किल मरहम है।

कृष्णमोहन झा ने राजधानी आकर कर्तव्यपथ पर जब अपने कदम बढ़ाए तो उनकी राह में भी ऐसे अवरोध खड़े किए गए, जिससे कि वह विचलित होकर अपने गृह नगर वापस लौट जाए, लेकिन चुनौतियां का सामना करके उन्हें परास्त करना ही जिस युवा पत्रकार का शगल रहा हो, उसके बारे में तो ऐसी कल्पना भी व्यर्थ थी। इसके बाद कलमवीर कृष्ण मोहन झा ने अल्प समय मे राजधानी में जो अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है, वह आज सबके सामने है। उनकी यह पहचान और प्रतिष्ठा आज बहुतों के लिए प्रेरणा के साथ ही ईर्ष्या का विषय भी हो सकती है। आज राजधानी में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां कृष्णमोहन झा का नाम किसी परिचय का मोहताज हो। राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय पक्ष विपक्ष की दिग्गज हस्तियां उनके नाम से अपरिचित नहीं है। अलग विचारधारा के दिग्गजों से भी उनके संबंध मधूर बने हुए है। यह मधुर सम्बंध उनके पत्रकारिता के पेशे से न्याय करने में कभी बाधक नही बने है। विपरीत विचारधारा के दिग्गजों से भी व्यक्तिगत सम्बंध रखना कृष्णमोहन झा का विशिष्ट गुण माना जा सकता है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से उनके कितने मधुर सम्बंध है, इससे सभी परिचित है। एक समारोह में उनका स्वयं दिग्विजय सिंह के सामने खुलकर यह कहना कि राजा साहब और उनकी विचारधारा भले ही अलग हो, लेकिन हमारे आत्मीय सम्बंध बहुत प्रगाढ़ है, से समझा जा सकता है कि वे व्यक्तिगत संबंध निभाने में कितने माहिर है ।

जन्मदिन पर विशेष

कृष्णमोहन झा को मैं एक ऐसे इंसान के रूप में देखता हूं ,जो थोड़ी देर में ही किसी अपरिचित को अपना बनाने का सामर्थ्य रखता है। झा की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वे अगर किसी से संबंध बनाते हैं तो पूरी शिद्दत के साथ उसे निभाते भी है। इसमे नुकसान हो या फायदा, इसकी कभी वे परवाह नहीं करते है। हालांकि उन्हें इसके लिए कई कटु अनुभवों से रूबरू होना पड़ा है, लेकिन उन्होंने अपना स्वभाव कभी नहीं बदला। झा के बारे में एक बात और सभी जानते है कि उन्हें जो बात पसंद नही आती हो, उसके लिए तत्काल वे सामने वाले के मुंह पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर देते हैं। उनके इस स्वभाव ने कई बार उनके संबंधों को भी दांव पर लगा दिया है, लेकिन जो लोग उनके इस स्वभाव से परिचित है, वे कभी इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न नही बनाते है। कुल मिलाकर उनके स्वभाव की बहुत बड़ी खूबी यह है कि उन्होंने मुंह में राम बगल में छुरी वाली कहावत से सदैव परहेज किया है।

कृष्णमोहन झा की आयु की तुलना में उनकी उपलब्धियां बड़ी है। वे श्रमजीवी पत्रकारों के संगठन इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट के अनेक पदों पर सफलतापूर्वक कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर रहे है। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतिष्ठित राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। मध्य प्रदेश विधानसभा से जुड़ी अनेक समितियों के वे सदस्य रह चुके हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा की प्रतिष्ठित पत्रिका “विधायिनी” के संपादक मंडल में भी उन्हें मनोनीत किया जा चुका है।
कृष्णमोहन झा ने जब मंडला छोड़कर राजधानी में पत्रकारिता कैरियर प्रारंभ किया था, तब संभवतः भोपाल को अपना कार्यक्षेत्र बनाने की उनकी मंशा रही होगी, परंतु आज झा की ख्याति मध्य प्रदेश की सीमाओं को पार कर चुकी है। एक सजग राजनीतिक विश्लेषक के रूप में महत्वपूर्ण समसामयिक राजनीतिक घटनाओं पर उनके लिखे लेख राष्ट्रीय अखबारों में प्रमुख रूप से प्रकाशित होते हैं। नवभारत टाइम्स में सियासतनामा नामक ब्लॉग उनके नाम पर है, जिसमें 300 से भी ज्यादा लाईव आर्टिकल है। वे अनेक अखबारों में नियमित स्तंभ लेखन भी करते हैं। उनके अब तक चार राजनीतिक लेख संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। हरियाणा के पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी तथा छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह द्वारा श्री झा की किताबों का विमोचन करना उनकी किताबों की महत्ता का परिचायक माना जा सकता है।श्री झा द्वारा लिखी गई कृति “यशस्वी मोदी” की भी काफी चर्चा हुई थी, जो देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के व्यक्तित्व पर आधारित है। इस किताब का विमोचन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में किया था ।

श्री झा की एक कृति “अजातशत्रु अटल” पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के व्यक्तित्व पर देश के महत्वपूर्ण राजनेताओ के आलेखों का संग्रहण है। अटलजी के व्यक्तित्व को जानने के लिए यह एक बेहतर कृति है। इसकी भूमिका केबिनेट मंत्री थावर चंद गहलौत द्वारा लिखी गई थी। इसके साथ ही श्री झा की नवीनतम कृति “महानायक मोदी” है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली एवं व्यक्तित्व को लेकर लिखी गई है, जल्द ही सभी के हाथों में होगी। इसकी भूमिका केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा लिखी गई है | श्री झा द्वारा मोदी जी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित लिखा गया गीत “शान बढ़ाने आया हूँ ” जिसे प्रख्यात गायक अमित त्रिवेदी ने स्वर दिया है, कम समय मे ही काफी लोकप्रिय हुआ है। इन विधाओ के अलावा कृष्णमोहन झा के व्यक्तित्व के और भी आयाम है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भोपाल में आयोजित किए गए महिला गौरव सम्मान समारोह का आयोजन उनके सांस्कृतिक रूप से जुड़ाव का परिचायक है। आयोजन में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाली महिलाओं का सम्मान किया गया था। श्री झा समाज सेवा के क्षेत्र में भी लगातार कार्य कर रहे है। उनकी संस्था होलसम डेवलपमेंट सोसायटी आदिवासियों एवं महिलाओं को जागृत करने की दिशा में लगातार काम कर रही है। मूलतः मैथिल होने की वजह से वे अपनी मूल संस्कृति मैथिल को जीवित रखने के लिए मिथिलांचल सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था के माध्यम से मध्यप्रदेश के मैथिल समाज को जोड़ने और मिथिलांचल की संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे है। इस संस्था के श्री झा राष्ट्रीय अध्यक्ष है।
पत्रकारों के वेलफेयर के लिए श्री झा ने जनर्लिस्ट वेलफेयर फाउंडेशन के गठन किया है, जो लगातर विस्तारित होता जा रहा है।

श्री झा वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल डीजियाना मीडिया समूह(DNN,NEWS WORLD, DIGIANA NEWS) न्यूज़ में पॉलिटिकल एडिटर के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की प्रतिष्ठित समाचार सेवा” राष्ट्रीय न्यूज सर्विस” के संचालक मंडल के वे सदस्य भी हैं। कुल मिलाकर श्री झा के खातें में पत्रकारिता जगत के साथ- साथ अन्य विधाओं में ढेरों उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज है। इसलिए यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि श्री झा ने अपने अब तक के पत्रकारिता कैरियर में जो सम्मान और गौरव अर्जित किया है, वे उससे कहीं अधिक के हकदार हैं। उनकी 44 वीं वर्षगांठ पर मैं उन्हें भविष्य के लिए अग्रिम बधाई देते हुए शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।

 

(लेखक “राष्ट्रीय न्यूज़ सर्विस” के मप्र ब्यूरो प्रमुख है।)

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