काशी तमिल संगमम 3.0: ऋषि अगस्त्य और सांस्कृतिक एकता का दिव्य संगम


 

 

कृष्णमोहन झा

काशी तमिल संगमम 3.0 के संस्करण का मुख्य विषय महान ऋषि अगस्त्य होंगे, जबकि महाकुंभ और श्री अयोध्या धाम इसकी पृष्ठभूमि होंगे। यह आयोजन एक दिव्य अनुभव प्रदान करेगा और तमिलनाडु तथा काशी – हमारी सभ्यता और संस्कृति के दो शाश्वत केंद्रों को और करीब लाएगा।
काशी तमिल संगमम 3.0 ऋषि अगस्त्य के प्रति श्रद्धा अर्पित करने के साथ-साथ भारत की सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम होगा। यह आयोजन न केवल तमिलनाडु और काशी के बीच संबंधों को पुनर्स्थापित करेगा बल्कि भारत के समग्र सांस्कृतिक और ज्ञान प्रणाली को भी एक नई दिशा देगा।
काशी तमिल संगमम 3.0 के दौरान काशी में ऋषि अगस्त्य के विभिन्न पहलुओं, विशेष रूप से स्वास्थ्य, दर्शन, विज्ञान, भाषा विज्ञान, साहित्य, राजनीति, संस्कृति, कला और तमिलनाडु के लिए उनके योगदान पर प्रदर्शनी, सेमिनार, कार्यशालाएं और पुस्तक विमोचन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ऋषि अगस्त्य , जिन्हें तमिल और संपूर्ण भारतीय संस्कृति में महान संत के रूप में जाना जाता है, भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक परंपरा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले ऋषियों में से एक थे। वे न केवल संस्कृत बल्कि तमिल भाषा के भी अग्रणी विद्वान माने जाते हैं। उनके योगदान में आयुर्वेद, सिद्ध चिकित्सा, योग, भाषा विज्ञान, साहित्य, दर्शन, राजनीति और विज्ञान का समावेश है। काशी तमिल संगमम 3.0 के दौरान ऋषि अगस्त्य से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा: स्वास्थ्य और चिकित्सा: सिद्ध चिकित्सा और आयुर्वेद में महर्षि अगस्त्यर का योगदान। दर्शन और आध्यात्मिकता: वेद, उपनिषद और तंत्र शास्त्र में उनकी भूमिका। भाषा और साहित्य: संस्कृत और तमिल भाषा को समृद्ध करने में उनका योगदान। राजनीति और समाजशास्त्र: भारतीय समाज में उनके विचारों का प्रभाव। कला और संस्कृति: संगीत, नृत्य और वास्तुकला पर उनका प्रभाव।
इस वर्ष, सरकार ने तमिलनाडु से पाँच श्रेणियों/समूहों के अंतर्गत लगभग 1000 प्रतिनिधियों को लाने का निर्णय लिया है: छात्र, शिक्षक और लेखक. किसान और कारीगर (विश्वकर्मा श्रेणियाँ). पेशेवर और छोटे उद्यमी. महिलाएँ (एसएचजी, मुद्रा ऋण लाभार्थी, डीबीएचपीएस प्रचारक). स्टार्ट-अप, इनोवेशन, एडु-टेक, अनुसंधान.
इसके अतिरिक्त, विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत तमिल मूल के लगभग 200 छात्रों का एक विशेष समूह भी इस आयोजन का हिस्सा बनेगा। सभी श्रेणियों में युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया है। प्रतिनिधियों के दौरे की अवधि 8 दिन होगी (यात्रा के लिए 4 दिन और काशी में 4 दिन)। पहला समूह तमिलनाडु से रवाना हुआ और अंतिम समूह 26 फरवरी 2025 को वापस लौटेगा।

काशी तमिल संगमम 3.0 का उद्देश्य देश के दो सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन शिक्षण केंद्र – तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों को फिर से खोजना, पुष्टि करना और उनका जश्न मनाना है। इस आयोजन का नेतृत्व भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय कर रहा है और इसमें संस्कृति, कपड़ा, रेलवे, पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों तथा उत्तर प्रदेश सरकार का सहयोग शामिल है। इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्वानों, छात्रों, दार्शनिकों, व्यापारियों, कारीगरों, कलाकारों और अन्य क्षेत्रों के लोगों को एक मंच पर लाया जाएगा, जिससे वे अपने ज्ञान, संस्कृति और सर्वोत्तम परंपराओं को साझा कर सकें।
इसके अतिरिक्त, यह कार्यक्रम युवाओं को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से अवगत कराने और सांस्कृतिक एकता का अनुभव कराने का अवसर प्रदान करेगा। यह प्रयास राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के भारतीय ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक ज्ञान प्रणाली के साथ एकीकृत करने की अवधारणा को साकार करने के अनुरूप है।
सरकार ने इससे पहले दो बार काशी तमिल संगमम का आयोजन किया है: 2022 – यह आयोजन एक महीने तक चला था और इसमें भारी संख्या में प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 2023 – यह आयोजन एक पखवाड़े तक चला था, जिसमें तमिलनाडु से लगभग 4000 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। दोनों संस्करणों में तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के लोगों से जबरदस्त प्रतिक्रिया प्राप्त हुई थी। आईआईटी मद्रास प्रेषक संस्थान और बीएचयू प्राप्तकर्ता संस्थान रहेगा, जैसा कि पिछले संस्करणों में भी था।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने 15 जनवरी 2025 को केटीएस 3.0 के लिए पंजीकरण पोर्टल लॉन्च किया था। यह पोर्टल 1 फरवरी 2025 तक खुला था। पिछले संस्करण की सफलता को देखते हुए, केटीएस 2.0 का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 17 दिसंबर 2023 को वाराणसी में किया था। इस दौरान, तमिल प्रतिनिधियों के लिए प्रधानमंत्री के भाषण का एक हिस्सा पहली बार तमिल में रियल-टाइम ऐप-आधारित अनुवाद के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

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