आपकी कुंंडली और पार्टनरशिप


नई दिल्ली। साझेदारी का मतलब होता है दो या कई लोगो के बीच एक किसी चीज को लेकर आपसी तालमेल और हिस्सा चाहे वह व्यापार में हो, मकान में हो या किसी भी वस्तु के बीच हो उसे साझेदारी कहते है ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि कुंडली में साझेदारी का भाव कुंडली का सातवाँ भाव होता है।

जब साझेदारी में व्यापार किया जाता है तब सातवे भाव इस भाव का स्वामी और व्यापार कारक बुध, गुरु, सूर्य, शनि को देखा जाता है बुध व्यापार का मुख्य कारक है इस कारण बुध की स्थिति बली और अनुकूल होना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। जब सातवे भाव या सप्तमेश का सम्बन्ध कुंडली के दूसरे भाव ग्यारहवे भाव से होता है और यह तीनो भाव/भावेश शुभ और बली स्थिति में होते है तब तब साझे में किए गए व्यापार से बहुत लाभ होता है और जातक साझेदारी के व्यापार में उन्नति करता है।

सातवाँ भाव साझेदारी के व्यापार का दूसरा भाव धन का और ग्यारहवा भाव आय, लाभ और उन्नति का होता है जब सप्तम भाव, सप्तमेश या दोनों का सम्बन्ध विशेष रूप से ग्यारहवे भाव सहित दूसरे भाव से भी हो तब साझे के व्यापार से बहुत धन लाभ और सफलता मिलती है। ऐसे योग के साथ कुंडली का नवम भाव/भावेश भी बली होना चाहिए क्योंकि यह भाव जातक का भाग्य है और जब भाग्य बली होता है तब सौभाग्य और सफलता जातक के कदम चूमती है।

 

 इनपुट्स –  पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री

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