नई दिल्ली। आज एक्सेस टू न्यूट्रिशन इनीशिएटिव (एटीएनआई) ने नई दिल्ली में इंडिया एक्सेस टू न्यूट्रिशन स्पाॅटलाईट इंडैक्स का दूसरा संस्करण प्रस्तुत किया। महीनों तक गहन शोध के बाद मुख्य बात जो सामने आई, वो यह है कि भारत की सबसे बड़ी फूड एवं बेवरेज कंपनियां पोषण की समस्याओं से पीड़ित लोगों को सेहतमंद उत्पादों को सीमित विकल्प दे रही हैं। रिपोर्ट में पता चला है कि कंपनियां भारत में कुपोषण के दोहरे भार के प्रति ज्यादा समझ व प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर रही हैं। हालांकि सभी भारतीयों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए ज्यादा इनोवेटिव, सेहतमंद एवं किफायती उत्पाद प्रस्तुत किए जाने चाहिए। इंडेक्स के अन्य परिणामों के साथ यह जानकारी आज एक मल्टी-स्टेकहोल्डर लाॅन्च ईवेंट में दी गई, जिसमें आंकलन में शामिल कंपनियां, सरकारी प्रतिनिधि और भारत का विस्तृत न्यूट्रिशन समुदाय मौजूद था।
इस अवसर पर इंगे कौर, एक्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर, एटीएनआई ने कहा, ‘‘एटीएनआई भारत में फूड एवं बेवरेज कंपनियों द्वारा सेहतमंद फूड दिया जाना सुनिश्चित करता है और इस वार्ता में संलग्न होता है कि भारत के ईट राईट मूवमेंट में किस प्रकार सहयोग किया जाए। भारत में जीवनशैली के परिवर्तनों ने उपभोक्ताओं की आदतों में बदलाव लाया है और वो पारंपरिक फूड लिए जाने से लेकर शहरी फूड की आदतों की ओर अग्रसर हुए हैं, जिनमें पैकेज़्ड व प्रोसेस्ड फूड शामिल है, जिसमें काफी ज्यादा मात्रा में शुगर, फैट एवं साल्ट होते हैं। भारत दुनिया में फास्ट फूड के सर्वोच्च 10 उपभोक्ताओं में से एक है।
2016 में एटीएनआई ने पहला इंडिया स्पाॅटलाईट इंडैक्स प्रकाशित किया, जो अपनी तरह का प्रथम स्वतंत्र नेशनल असेसमेंट है, जो भारत के 10 सबसे बड़े फूड एवं बेवरेज निर्माताओं की न्यूट्रिशन संबंधी नीतियों व विधियों का आंकलन करता है। यह दूसरा 2020 संस्करण इंडेक्स की सीमा का विस्तार कर इसमें भारत के 16 सबसे बड़े फूड एवं बेवरेज मैनुफैक्चरर्स को शामिल करता है, जिनमें से नौ का 2016 में आंकलन किया जा चुका है। इसका मुख्य उद्देश्य अल्पपोषण, मोटापा एवं आहार संबंधी बीमारियों के निदान के लिए प्राईवेट सेक्टर को सेहतमंद व किफायती आहार की ओर अग्रसर करना है।
पूर्व में आंकलित नौ कंपनियों में कुछ प्रगति हुई है, तथा उनका औसत स्कोर 2016 में 10 में से 3 से बढ़कर 2020 में 10 में से 4.2 हो गया। औसत इंडेक्स स्कोर 3.1 है, जो 2016 के संस्करण के समान है। हिंदुस्तान यूनिलिवर एवं नेस्ले इंडिया 10 में से 6.9 के स्कोर के साथ संयुक्त रूप से पहले स्थान पर रहे। ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज़ ने सर्वाधिक प्रगति प्रदर्शित की। उनका कुल स्कोर 2016 में 1.6 से बढ़कर अब 4.9 हो गया है। इस प्रगति के बावजूद एटीएनआई ने इस बात पर बल दिया कि उद्योग के मौजूदा प्रयास भारत में न्यूट्रिशन की समस्याओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं। कुछ कंपनियां सभी संबंधित व्यवसायिक क्षेत्रों में अल्पन्यूट्रिशन, माईक्रोन्यूट्रिएंट की कमी एवं ओवरवेट व मोटापे जैसी चुनौतियों का समाधान करने के प्रमाण प्रस्तुत करती हैं।
डाॅ. राजन संकर, डायरेक्टर ऑफ न्यूट्रिशन, टाटा ट्रस्ट्स एवं सदस्य, एटीएनआई बोर्ड ने कहा, ‘‘इंडिया स्पाॅटलाईन इंडेक्स 2020 प्रदर्शित करता है कि लगभग एक तिहाई फूड एवं बेवरेज बाजार को कवर करने वाले 16 सबसे बड़े फूड एवं बेवरेज निर्माताओं में से ज्यादातर उत्पादों को फोर्टिफाई करने के प्रयास करते हैं या फिर भारत में न्यूट्रिशन की समस्याओं को संबोधित करने के लिए सरकारी अभियानों के अनुरूप अपने उत्पादों को रिफाॅर्मुलेट करते हैं। 13 में से दस कंपनियां मुख्य आहार के फोर्टिफिकेशन पर बल देती हैं और स्वेच्छा से अपने सभी उत्पादों को एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुरूप फोर्टिफाई करती हैं। 2016 के बाद से यह एक बड़ा सुधार है, जब एटीएनआई ने पाया था कि बहुत कम कंपनियां कुछ फोर्टिफाई उत्पाद बना रही हैं। एफएसएसएआई ने उसके बाद से फोर्टिफिकेशन पर उद्योग को अपने दिशानिर्देश प्रभावशाली रूप से दिए हैं।’’
सेहतमंद, किफायती आहार पर प्राईवेट सेक्टर का प्रदर्शन भारत में नेशनल न्यूट्रिशन मिशन तथा भारत के ईट राईट अभियान के लिए जरूरी है। इस अभियान के उद्देश्यों को भारत में 125 करोड़ लोगों तक पहुंचाना 2030 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स, खासकर सभी के लिए जीरो हंगर एवं अच्छी सेहत व स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए बहुत जरूरी है।