मनमोहन सिंह अब नहीं मौन

नई दिल्ली / टीम डिजिटल। देश के दस साल तक प्रधानमंत्री रहे प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनमोहन सिह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष में रहते समय मौनमोहन सिंह कह कर आलोचना करते रहे । हालांकि मनमोहन सिंह अब भी कम ही बोलते हैं और न ही बडबोले हैं । वे उचित समय पर ही मुंह खोलते हैं ।

पिछले कुछ समय से देश की अर्थ व्यवस्था चरमरा जाने पर अर्थशास्त्री की आत्मा ने उन्हें सामने आने को विवश कर दिया । उन्होंने अर्थव्यवस्था की हालत पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि बदले की राजनीति बंद करे और अर्थव्यवस्था को मानवरचित संकट से बाहर निकालने के लिए सही सोच समझ के लोगों से सलाह ले । उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी और जीएसटी को जल्दबाजी में लागू किया गया । टैक्स को जटिल बना दिया गया ।

मनमोहन सिंह ने यहां तक आरोप लगाया कि संस्थाओं को बर्बाद किया जा रहा है और उनकी स्वायत्तता छीनी जा रही है । यह भी जोड दिया कि ग्रामीण भारत की हालत बहुत खराब है और किसान को फसल का उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा ।

दूसरी ओर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कह रही हैं कि हम सबकी समस्या सुन रहे हैं । वाहन उद्योग की जीएसटी दर कम करने के बारे में पूछे जाने पर जवाब दिया कि जीएसटी परिषद् इस बारे में फैसला करेगी । इधर बैंकों के विलय से कर्मचारियों में नौकरियां जाने का खतरे पर कहा कि ऐसा कुछ नहीं है । एक भी बैंक कर्मचारी की नौकरी नहीं जायेगी ।

मनमोहन सिंह बहुत नपे तुले विचार देते हैं और उनके जवाब राजनीति से प्रेरित नहीं हैं । यह तो एक अर्थशास्त्री की चिंताएं हैं । इसे सुना जाना और विचार किया जाना जरूरी है । सिवाय राहुल गांधी को हर बयान पर घेरने के इस अर्थव्यवस्था पर ध्यान दें प्रधानमंत्री जी तो कुछ बात बने ।


कमलेश भारतीय, वरिष्ठ  पत्रकार  

Leave a Reply

Your email address will not be published.