नई दिल्ली। साहित्य व कला का महाकुम्भ सेंटर फ़ॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स, नई दिल्ली के द्वारा मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल का दूसरा संस्करण का शुरुआत राजनगर किला परिसर में आज से शुरू हो रहा है। चार दिवसीय इस आयोजन का उद्घघाटन मिथिला चित्रकला के प्रतिमान पद्मश्री गोदावरी दत्त द्वारा किया जाएगा। उद्घाटन सत्र में मधुबनी ज़िला पदाधिकारी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ सचिदानंद जोशी, नेपाल अकादमी के साहित्यकार रामभरोस कापड़ी भ्रमर, भाषाविद प्रो सीताराम झा ‘श्याम’, एस. एस. बी. कमांडेंट ए. के. वरुण एवं स्थानीय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ हीरानंद आचार्या उपस्थित रहेंगे।
दूसरे दिन यानी 25 दिसंबर को मैथिली साहित्य समीक्षा: ठओर आ ठाम, मिथिलाक्षर: नबका बाट,स्थानीय संगीत आ कला-परपंराक चुनौती, मैथिली कथा साहित्य, मैथिली उपन्यास: दशा ओ दिशा, सांस्कृतिक परिदृश्य में डयोढीक अवदान, इस्लामी बौद्धिक परंपरा, मैथिली नाटक आ रंगमंच: आजुक परिदृश्य, स्पीक अप मिथिला, सिनेमा: गामक घर – पदार्पण आ विमर्श विषयक सत्र का आयोजन किया गया है। शाम में बंगलौर की वीणा सी शेषाद्रि भारतनाट्यम की प्रस्तुति देंगी। इसके साथ ही डाॅ रंजन कुमार का एकल वायलिन वादन भी आकर्षण का केंद्र होगा।
26 दिसंबर को मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल मिथिला की ग्राम युग्म परिकल्पना को साकार कर रही है। आयोजन के तीसरे दिन कार्यक्रम ऐतिहासिक नगरी राजनगर के साथ ही पौराणिक नगरी सौराठ में आयोजित है। इसके लिए आयोजकों की ओर से विशेष तैयारी की गई है, ताकि देश-विदेश से आगंतुक इससे लाभान्वित हो सकें। राजनगर में हेरिटेज फोटो वाॅक, भारतीय वाडंगमय में सीता जैसे महत्वपूर्ण सत्र हैं, तो सौराठ में पुनरूत्थान पर विमर्श के साथ पंजीक विविध पहलू आ संरक्षण पर विद्वान अपनी बातों को रखेंगे। सौराठ में काव्य संध्या का आयोजन किया गया है। राजनगर में गजल संध्या में डाॅ दीपेश विशनावत अपनी रूमानी गजल से लोगों को सम्मोहित करने का प्रयास करेंगे।