बुला रही है मिथिला की माटी

मधुबनी (बिहार)। मिथिला की ऐतिहासिकता, पौराणिकता से आप साक्षात्कार करना चाहते हैं, तो मधुबनी लिटरेचर फेस्टिबल आपके लिए है। मधुबनी के ऐतिहासिक राजनगर पैलेस में 19 दिसंबर से 21 दिसंबर, 2018 तक इसका आयोजन किया जा रहा है। इसका आयोजन सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स (सीएसटीएस) ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, साहित्य अकादमी, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति नई दिल्ली और विश्वेश्वर सिंह जनता महाविद्यालय, मधुबनी के साथ मिलकर किया है।

सीएसटीएस की डॉ. सविता झा खान ने कहा कि हमारी कोशिश मिथिला की पंरपरा, संस्कृति, साहित्य आदि को एक मंच पर लाने की है। इसी कोशिश के तहत बीते साल हमने देश की राजधानी दिल्ली में ‘मैथिली मचान’ के जरिये विश्व पुस्तक मेला में किया था। इस बार मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल में मिथिला को समग्रता में लोगों के सामने लाने की कोशिश है। इसमें कई भारत के साथ ही नेपाल के कई विद्वतजनों ने सहयोग दिया है। हम और आयोजन से जुड़े सभी लोग उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं। इस आयोजन में स्थानीय जिला प्रशासन ने भी मदद की है। डॉ. खान ने बताया कि तमाम सत्र में जिन-जिन विद्वानों को आमंत्रित किया गया है, वे मिथिला की माटी से हैं। इतने विद्वानों का एक साथ एक स्थान पर जुटान ही मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल की महत्ता और व्यापकता को बताता है।

आयोजन की रूपरेखा के बारे में सीएसटीएस की ओर से बताया गया कि 19 दिसंबर को प्रातः दस बजे पद्मश्री बौआ देवी के हाथों मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज होगा। पहले सत्र में इनके साथ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस. के. सिंह, प्रो. रामावतार यादव, प्रो. भीमनाथ झा, डॉ. फणिकांत मिश्र, डॉ हीरानवद आचार्य, श्री शीर्षत कपिल अशोक, जिलाधिकारी, श्री अजय कुमार, एस.एस.बी. उपस्थित होंगे। इसके साथ ही मैथिली भाषाई परिदृष्य, मैथिली प्रकाशन आ पुस्तकीय संस्कृति, मिथिला में शक्ति की अवधारणा, मैथिली साहित्य आ समकालीन चुनौती, मैथिली प्रकाशन आ पुस्तकीय संस्कृति, क्षेत्रीय विकास में मीडिया की भूमिका का आयोजन होगा। इसके साथ ही शाम में दरभंगा घराना के धु्रपद गायक सुमित आनंद की प्रस्तुति होगी।

बताते चलें कि प्रो. श्रीश चौधरी, प्रो. देवशंकर नवीन, प्रो. एम .जे. वारसी, डॉ मिथिलेश कुमार झा, श्री दिनेश झा, अध्यक्ष, मैथिली अकादमी, श्री शरदेंदु चौधरी, शेखर प्रकाशन, श्री विवेकानंद झा, चेतना समिति, विद्यानंद झा, साहित्यिकी, श्री अजीत आजाद, नवारम्भ, डॉ. प्रकाश झा, मैलोरंग, डॉ गंगेश गुंजन, श्री महेंद्र मलंगिया, श्री संकर्षण ठाकुर, श्री राम भरोस कापड़ि ‘भ्रमर‘, श्री चंद्र शेखर झा ‘आजाद‘, श्री मंजीत ठाकुर, पùश्री बौआ देवी, श्री किशोर केशव, डॉ. लक्ष्मीनाथ झा, डॉ. भवनाथ झा, डॉ. मित्रनाथ झा, डॉ. सदानंद झा, डॉ. विनयानंद झा, श्री योगेंद्र पाठक ‘वियोगी‘ प्रो. ललितेश मिश्र, श्री मंजर सुलेमान, डॉ. डी. एम. दिवाकर, अवनींद्र, श्री कामेश्वर कामति, श्री राज झा, श्री पुष्य मित्र, श्री टुनटुन सिंह, श्री दिनेश मिश्र, श्री गजानन मिश्र, प्रो मणींद्र नाथ ठाकुर, डॉ. मधुलिका बनजम, श्री विनय ठाकुर, प्रो. रत्नेश्वर मिश्र, श्री फणिकांत मिश्र, जयदेव मिश्र, श्री नवरत्न कुमार पाठक, श्री सुशांत भाष्कर, श्री मधुकर जी मधुप, श्री जगदीश मिश्र, श्री धरनीधर नारायण सिन्हा, श्री विनयानंद झा, श्री शिवशंकर श्रीनिवास, श्री हितनाथ झा, श्री अरुण कुमार मिश्र, श्री सुशांत कुमार मिश्र, श्री सतीश झा, श्री नरेश झा, प्रो. मुनेश्वर यादव, प्रो. धर्मेंद्र कुमार, श्री हरिवंश झा, श्री राम रिझन यादव, डॉ. चंद्रशेखर पासवान, डॉ. महेंद्र नारायण राम, डॉ. मित्रनाथ झा, प्रो. कुलभूषण झा, डॉ. अवनींद्र कुमार झा, श्रीमती प्रेमलता मिश्र, श्री विभूति आनंद, श्री अरविंद अक्कू, श्री मनोज मनुज, डॉ. दमन कुमार झा, श्री ऋषि वशिष्ठ, डॉ. रामजी ठाकुर, डॉत्र रीता सिंह, डॉ. शशिनाथ झा, डॉ. सुभाष चंद्र झा, श्री अमल झा, डॉ. श्री नारायण जी, डॉ. तारानंद वियोगी, श्री इंद्र भूषण ’रमण’, श्री कुमार पùनाभ, प्रो. श्रीपति त्रिपाठी, डॉ. शशिनाथ झा, डॉ. नंद किशोर चौधरी, डॉ. भवनाथ झा, श्री अमल झा जैसे लोगों को साहचर्य मिथिला के लोगों को एक अलग अनुभूति कराएगा।

आयोजक की ओर से बताया गया है कि दूसरे दिन, यानी 20 दिसंबर को हाट बाजार : मिथिला के स्थानीय उद्योग, मिथिला मे जल संसाधन (समाजशास्त्री प्रो. हेतुकर झा को समर्पित सत्र), मिथिला मे पुरातात्विक संरक्षण आ समस्या, मिथिला मे पुरातात्विक संरक्षण आ समस्या (पुरातत्वविद् डॉ विजयकांत मिश्र समर्पित सत्र), ग्राम गाथा, मिथिलाक दर्शन आ ज्ञान परंपरा (सर्वतंत्रस्वतंत्र पं. बच्चा झाक 100वीं पुण्यतिथि वर्ष पर समर्पित सत्र), भारत-नेपाल संबंध आ संस्कृति (सिनेहबंध), मिथिला में तंत्र परंपरा : उद्भव व विकास, तंत्र उपासना का लौकिक पक्ष जैसे सत्र में विद्वान अपना मंतव्य प्रकट करेंगे। इस दिन शाम में भानु कला केंद्र, नेपाल के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति की जाएगी।

तीसरे दिन 21 दिसंबर, 2018 को मैथिली नाटकक वर्तमान परिदृश्य, बाल साहित्य आ बाल रंगमंच, मैथिली आलोचना : वर्तमान परिदृश्य, आधुनिक युग में तंत्र की प्रासंगिकता पर सत्र का आयोजन किया गया है। ये तमाम सत्र मुख्य परिसर और सभागार में आयोजित किए गए हैं। अंतिम दिन समापन सत्र जिसे उद्यापन का नाम दिया गया है, उससे पहले सांस्कृतिक-सह-विविध कार्यक्रम का आयोजन किया है। इसमें मिथिरंग तरंग (अच्छिनजल) की प्रस्तुति होगी।

आयोजकों का कहना है कि इसके साथ ही प्रतिदिन कार्यशाला- मिथिला पेंटिंग, बाल रंगमंच शिविर व फोटोग्राफी, प्रदर्शनी- हस्तकरघा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, मैथिली साहित्य संस्थान पुस्तक मेला- राष्ट्रीय, मैथिली अकादमी, साहित्यिकी, जानकी पुस्तक केंद्र, पुस्तक विमोचन, गांधी कवि गोष्ठी, नुक्कड़ नाटक, प्रतियोगिता- मैथिली गीतनाद, अरिपन आदि का आयोजन किया गया है। तमाम सत्र में संबंधित क्षेत्र के निष्णात विद्वान अपनी बात रखेंगे।

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