नेटाफिम इंडिया ने वर्तमान फसल चक्र के लिए किसानों के साथ जुड़ाव बनाया

मुंबई। नेटाफिम की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी नेटाफिम इंडिया ने डिजिटल क्रांति का लाभ उठाते हुए नेटाफिम कृषि संवाद, नेटाफिम की पाठशाला और नेटाफिम टिप ऑफ द डे की शुरुआत की है। इनकी मदद से विभिन्न प्लेटफॉर्म और फॉर्मेट्स के माध्‍यम से किसानों से जुड़ने के लिए कम लागत वाले डिजिटल उपकरणों का उपयोग किया जाएगा। नेटाफिम स्थायित्वपूर्ण उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए सिंचाई के स्मार्ट सॉल्यूशन मुहैया कराने में दुनिया की अग्रणी कंपनी है।

डिजिटल लर्निंग और कंटेंट अनुभव की एक नई दिशा में बढ़ते हुए इन पहलों ने अलग-अलग जगहों के ग्राहकों और भागीदारों को नेटाफिम विशेषज्ञों के साथ विचारों के आदान-प्रदान की अनुमति दी है। वर्तमान कोविड-19 महामारी के दौरान सीमित भौतिक पहुंच के बावजूद किसानों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रसारित करने में डिजिटल सूचना-साझाकरण उपकरण जैसे ऑडियो, टेक्स्ट और वीडियो संदेश अत्यधिक प्रभावी साबित हुए हैं। कंपनी ने अब तक देश भर में लगभग 8.5 मिलियन किसानों के समुदाय को बुवाई से पहले संबंधित आवश्यक सलाहकार सेवाएं पहुंचाई हैं। ऑनलाइन जुड़ाव के अंतिम 60 दिनों में, नेटाफिम ने अपनी सोशल मीडिया साइट (45 मिलियन उपयोगकर्ताओं की बढ़ोतरी) पर लगभग 9,576 सदस्य प्राप्त किए हैं।

नेटाफिम इंडिया के प्रबंध निदेशक रणधीर चौहान ने इस पहल पर कहा, ” नेटाफिम इंडिया हमेशा से ही किसानों का सांस्कृतिक मानवविज्ञानी रहा है। पहलों पर काम शुरू करने से पहले, हमने जांच की कि हमारे दर्शक डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कैसे कर रहे हैं ताकि हम उनके लिए आकर्षक कंटेंट डिजाइन कर सकें और उन्हें हमारे साथ जुड़ने में मदद कर सकें। आज, आधुनिक प्रौद्योगिकी के सभी व्यापक लाभों ने स्वदेशी ज्ञान से समृद्ध वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार और किसानों के लिए स्थानीय संदर्भ में इसे संभव बना दिया है। ऑनलाइन क्षेत्र में उपभोक्ता की बढ़ती मौजूदगी के लाभों को अधिकतम करने के लिए, हमने दूरदराज के किसानों की उनके संबंधित देशी राज्यों में विभिन्न फसलों पर समय पर और महत्वपूर्ण सलाह के साथ मदद करने का निर्णय लिया।“

विभिन्न भाषाओं में होने वाली वेबिनारों की एक जीवंत सीरीज नेटाफिम कृषि संवाद के जरिये कंपनी के कृषि विज्ञानी किसानों के साथ जुड़ते हैं और संभावनाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में बढ़ते हुए कामयाबी की कहानियों और नए विचारों को साझा करते हैं। कपास, हल्दी और केले की पैदावार बढ़ाने के लिए माइक्रो-सिंचाई प्रणाली के लाभों पर किसानों को शिक्षित करने के लिए फेसबुक जैसे कुछ सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लाइव सत्र आयोजित किए गए। भूमि की तैयारी, रोपण, जल प्रबंधन के लिए उर्वरकों के उपयोग और ड्रिप लाइनों के चयन से शुरूआत करते हुए, लाइव प्रस्तुतियों के साथ शैक्षिक सीरीज ने पूरे फसल चक्र की चरण-दर-चरण जानकारी दी। इसमें सूक्ष्म कृषि के लाभ पर प्रसिद्ध कृषि विज्ञानियों के सेशन भी शामिल थे। लाइव प्रस्तुतियों के साथ संपन्न इस शैक्षिक सीरीज ने किसानों को न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ बेहतर फसल के मैकेनिज्म को समझने में मदद की।

 

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