दीप्ति अंगरीश
मैं शांता नहीं हूं, जो हर बात में पत्थर बन जाउंगी। प्यार एमए वाले से करूं और शादी के लिए कसमों और वादों पर थम जाउं। बिलासपुर को दिल में बसा लूं। मुझे जाना है मैदानों में। मेरा आकाश तुम हो। मुझे तुम्हारी तरह हंसना है। खिलखिलाना है। खेलना है। बेलौस अंदाज में बोलना बोलना है। अपनापन में लड़ना है। समय आने पर झगड़ना भी है…मेरी सोच को बूस्टर डोज पिला गई मेरे और सिर्फ मेरे सबसे प्रिय पत्रकार और कहानीकार कमलेश भारतीय की नई कहानी संग्रह। इसका नाम उन्होंने रखा है – “नई प्रेम कहानी ”
सौ फीसदी सच है कि हम अनुभवों से ही सीखते हैं। शीर्षक कहानी ‘नयी प्रेम कहानी’ चाहे एक नायक की असफल प्रेम कहानी है और यह प्रेम कहानी हजारों-लाखों दिलों में पनपती रहती है लेकिन उसे बयान ही नहीं किया जाता। पहली कहानी का हीरो, शांता की शादी में जाता है। कहानी में बार-बार यह प्रदर्शित होता है कि प्रेम गुनाह नहीं है लेकिन सभ्यता एवं संस्कृति में घुली नफरत को चाशनी की मिठास में लपेट दिया जाता है। नायक एक दूसरे युवा के मुंह से यह सुनकर कि हम तो पंजाबी हैं और वो लड़की पहाड़ी है, हमारी शादी नहीं हो सकी, नायक भी अपने आपको भी इसी प्रकार की श्रेणी में ले जाता है। भला , शांता सब कुछ कैसे सहन करती है। अरे ! मैदान वालों के पास भी दिल होता है। इस कहानी का अंदाजे-बयां दिलके हर तंतु को झंकृत कर गया।
कमलेश भारतीय की नई कहानी संग्रह में कुल जमा 12 कहानी है। हर कहानी का अंदाज जुदा। नई कथ्य और अलग कथानक। कहानीकार जब पत्रकार भी होता है, तो उसके सोचने का कैनवस बड़ा होता है। ‘उसके बावजूद’ कहानी एक भाई और एक बहन के निश्छल प्रेम की पराकाष्ठा है। बहन के जीवन की कुछ समस्याओं से भाई परिचित तो है लेकिन उसके अंदर की एक और कथा से वह अनजान है । बहन उसे एक कथा के रूप में अपनी जीवन गाथा सुनाती हुई एक नई राह बुनने लगती है।
‘पड़ोस’, ‘अपडेट’ और ‘जय माता पार्क’ कहानियों में हमारे आस-पास का आधुनिकीकरण दिखलाई पड़ता है। ‘पड़ोस’ कहानी में एक तरफ तो भावनाएं और संवेदनाएं हैं जबकि दूसरी तरफ केवल अपने बारे में सोचने की प्रवृत्ति भी है। ‘बस, थोड़ा सा झूठ’ कहानी पूरी तरह दर्द से भरी हुई है। दरअसल, इस संसार में किसी के जीवन की खुशियाँ और किसी का सुख दूसरे से देखा नहीं जाता।
मेरे प्रिय कहानीकार, आपसे कहना चाहूंगी कि आपकी इन कहानियों ने मुझे पहले से अधिक मजबूत किया। कुछ कहानियों में यह आभास हो रहा है कि आपने जो खोया है, उसकी टीस इन पन्नों पर उकरी है। कुछ दिन बाद मेरे पन्नों में खुशियां होंगी। जिसकी महक में तुम, हम, वो, सब….समाएंगे। शुक्रिया सैंटा।