नई दिल्ली। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने देश में नदी संपर्क, बैराजों, बांधों, रबड़ के बांधों के निर्माण, ड्रिप और पाईप से सिंचाई की आवश्यकता पर बल दिया तथा बेहतर जल संरक्षण के लिए बिजली सर्किट की तर्ज पर जल सर्किट की जरूरत को रेखांकित किया। वे आज नई दिल्ली में दूसरे भारत जल प्रभाव सम्मेलन 2017 को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि जल की उपलब्धता परेशानी नहीं है, लेकिन हमें इसके प्रबंधन और संरक्षण के बारे में सीखना होगा। मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के 2022 तक किसानों की आय दुगुना करने की योजना उचित जल प्रबंधन के बिना हासिल नहीं की जा सकती है। श्री गडकरी ने कहा कि ड्रिप और पाइप के जरिए सिंचाई से पानी की बर्बादी कम होगी और यह किसानों के लिए किफायती होगी। उन्होंने कहा कि नदी संपर्क कार्यक्रम से तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जल की समस्या में कमी आएगी।
केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि ‘अविरल और निर्मल गंगा’ के लक्ष्य को हासिल करने में सरकार के कार्यक्रम के अलावा आम जन की संकल्प शक्ति बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि चर्चा काफी हो गई हैं और यह समय कार्य करने तथा परिणामा हासिल करने का है। मंत्री ने कहा कि वे चाहती हैं कि स्वच्छ गंगा से संबंधित सभी परियोजनाएं अक्टूबर, 2018 तक पूरी तरह से शुरू हो जाए।
प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में सचिव यू पी सिंह ने देश के कई क्षेत्रों में भू-जल स्तर में कमी पर चिंता व्यक्त की। राष्ट्रीय जलदायी स्तर तलाश कार्यक्रम (नेशनल एक्विफर मैपिंग प्रोग्राम) के तहत करवाए गए सर्वेक्षण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भू-जल स्तर कई क्षेत्रों में गंभीर रूप से निम्न स्तर पर पहुंच चुका है। प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता भी कम हो रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मंथन सत्र में कुछ ठोस सुझाव और कार्य योजना सामने आएगी जिससे जल संसाधनों के संरक्षण एवं गंगा की स्वच्छता के लिए निश्चित रणनीति तैयार की जाएगी।
इस अवसर पर गंगा नदी बेसिन प्रबंधन और अध्ययन केंद्र द्वारा तैयार ‘विजन गंगा’ शीर्षक के दृष्टि पत्र का भी विमोचन किया गया। ‘गंगा जल में परिवर्तन की बहुमूल्यता’ पर केंद्रित इस चार दिवसीय सम्मेलन का आयोजन जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के सहयोग से गंगा नदी बेसिन प्रबंधन और अध्ययन केंद्र, आईआईटी कानपुर ने किया है। सम्मेलन के दौरान एकीकृत जल संसाधनों के प्रबंधन मॉडल को अपनाने की दिशा में बढ़ने के लिए जल क्षेत्र से जुड़े बड़े और छोटे मुद्दों पर चर्चा होगी। पहला सम्मेलन 2012 में आयोजित किया गया था।