शराबबंदी का राजस्व पर कोई प्रभाव नही: नीतीश कुमार

नई दिल्ली। नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार मद्य-निषेध अभियान के लिए पूरे देश में रोल माॅडल है। शराबबंदी का राजस्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वे आज नई दिल्ली में ‘शराब-मुक्त भारत‘ पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि देश के विभिन्न भागों से आए लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन का आयोजन मिलित ओडिसा निशा निवारण अभियान (मोना) द्वारा ईस्ट आॅफ कैलाश के इस्काॅन सभागार में किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में शराबबंदी लागू होना चाहिए। यह सामाजिक, धार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी आवश्यक है।
बिहार में शराबबंदी अभियान के बारे में अपने अनुभवों को मुख्यमंत्री ने विस्तार से रखा। कार्यक्रम के दरम्यान दर्शकों ने कई बार तालियों की गडगडाहट से खड़े होकर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार का अभिनन्दन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में बिहार ने दो अंकों का आर्थिक विकास दर हासिल किया है और राज्य में प्रति व्यक्ति आय में गुणात्मक वृद्धि हुई है। राज्य के ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों की आय में भी काफी बढ़ोŸारी हुई है। लेकिन यह पाया गया कि ग्रामीण इलाकों में रह रहे गरीब लोग अपनी आय का बड़ा हिस्सा शराब पर खर्च कर देते थे। इसका सबसे बुरा प्रभाव निर्धन लोगों के स्वास्थ्य एवं उनके आर्थिक स्थिति, खान-पान, घरेलू शांति एवं महिलाओं के सम्मान पर पड़ रहा था। यहां तक कि युवा वर्ग भी शराब के आदी होते जा रहे थे। बढ़ते घरेलू कलह एवं बिगड़ती सामाजिक स्थिति को देखते हुए ग्रामीण इलाकों की महिलाओं ने अपने स्तर पर शराब के विरूद्ध आवाज उठाई और इस पर रोक लगाने की मांग की। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा शराबबंदी की मांग भी उठाई गयी।
महिलाओं द्वारा प्रारंभ किए गए इस आंदोलन के व्यापक स्वरूप को देखते हुए राज्य सरकार ने शराब के दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराने के उद्देश्य से वर्ष 2011 से राज्य में प्रत्येक वर्ष 26 नंवबर को मद्य निषेध दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इस दिन पटना सहित राज्य के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शराब के दुष्परिणामों से लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता, नुक्कड़-नाटक, सांस्कृतिक आदि विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये। मद्य निषेध के प्रयासों के लिए जीविका के स्वयं सहायता समूहों एवं सबसे अच्छे संदेश वाली पेंटिंग को पुरस्कृत तथा ग्राम विकास अभियान के अंतर्गत शराब मुक्त कराये गये गाँव को 1 लाख रुपये प्रोत्साहन स्वरूप दिये गये। धीरे-धीरे शराब के दुष्परिणामों को लेकर ग्रामीण इलाकों में भी जागरूकता बढ़ी। हम लोग चाहते थे कि शराब के सेवन को लोग कम करें तथा शराब मुक्त समाज बनाने की दिशा में प्रयास करें। इसके लिए निरंतर सामाजिक अभियान चलाया गया।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि 9 जुलााई, 2015 में महिला विकास निगम एवं डी.एफ.आई.डी. के सौजन्य से ‘ग्राम वार्ता’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान स्वयं सहायता समूह की कुछ महिलाओं द्वारा बिहार में शराबबंदी की मांग उठाई गई। उनकी मांग सुनकर तत्क्षण मेरे द्वारा घोषणा की गई कि अगर चुनाव के बाद सरकार में आए तो राज्य में शराबबंदी लागू करेंगे। नई सरकार के गठन के उपरांत दिनांक 26 नवम्बर, 2015 को मद्य निषेध दिवस के अवसर पर पहले सरकारी कार्यक्रम में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को निर्देशित किया कि नई उत्पाद नीति तैयार कर 1 अप्रैल, 2016 से शराबबंदी लागू करने की व्यवस्था की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी परिप्रेक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा नई उत्पाद नीति, 2015 बनायी और 21 दिसम्बर 2015 से लागू की गई। इस नीति के तहत राज्य में पूर्ण मद्य निषेध लागू करने तथा इसे चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया। प्रथम चरण में देशी शराब को सम्पूर्ण राज्य में एवं विदेशी शराब को ग्रामीण क्षेत्र में 1 अप्रैल, 2016 से प्रतिबंधित करना तय किया गया।
शराबबंदी एवं शराब से होने वाली बुराईयों के बारे में जागरूकता लाने के उद्देश्य से तीन माह का एक सशक्त सामाजिक अभियान चलाया गया। मद्य निषेध अभियान के तहत नुक्कड़ नाटक, नारे और पोस्टर के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया गया। सरकारी विद्यालयों में नामांकित बच्चों ने अपने अभिभावकों से शराब सेवन नहीं करने एवं दूसरों को भी शराब से दूर रहने के लिए प्रेरित करने का संकल्प पत्र भरवाया। कुल 1 करोड़ 19 लाख संकल्प पत्र भरे गये। 48 हजार से अधिक टोलों में ग्राम संवाद कार्यक्रम सम्पन्न हुआ जिसमें 4 लाख 70 हजार जीविका समूह और 20 हजार ग्राम संगठन जुड़ें। पंचायतों में कार्यरत प्रेरक, शिक्षा सेवक, विकास मित्र एवं विभिन्न समूहों द्वारा लगभग 9 लाख स्थानों पर मद्य निषेध के नारे लिखे गये। कला जत्था के कलाकारों द्वारा 25 हजार से अधिक स्थानों पर गीत, नाटक एवं सामूहिक चर्चा के माध्यम से मद्य निषेध के संदेश को लोगों तक पहुँचाया गया। इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में शराबबंदी के लिए वातावरण निर्माण किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रयोजनार्थ 30 मार्च, 2016 को करीब 100 साल पुराने बिहार उत्पाद अधिनियम, 1915 में संशोधन को बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित किया गया तथा 1 अप्रैल, 2016 से पूरे राज्य में देशी शराब और गाँवों में देशी एवं विदेशी शराब की बिक्री, खपत, उपभोग और भंडारण पर रोक लगा दी गयी। एक तरफ शराब पीने-पिलाने और इसके धंधे से जुड़े लोगों में हड़कंप मच गया तो दूसरी ओर महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गयी। खुशी में महिलाओं ने होली मनायी, संगीत के साथ बधाई गीत भी गाये गये। महिलाओं, बच्चों एवं युवाओं के द्वारा सरकार के इस पहल की सराहना की गई तथा इसे व्यापक जनसमर्थन मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1 अप्रैल, 2016 के बाद कई संस्थाओं एवं महिला समूहों ने शहरी क्षेत्रों में विदेशी शराब को प्रतिबंधित करने की मांग उठाई। कहा गया कि गाँव एवं शहरों में फर्क क्यों किया जा रहा है। लगातार पूछा गया कि पूर्ण शराबबंदी कब लागू होगी? तिथि बताई जाये। उत्पाद विभाग द्वारा शहरी क्षेत्रों में विदेशी शराब की दुकान खोलने का महिला समूहों द्वारा कड़ा विरोध किया गया एवं कुछ जगहों पर विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हुई। ग्रामीण क्षेत्रों में तो शराब के दुष्परिणामों से लोगों को जागरूक करने का अभियान पूर्व से जारी था जिससे शराबबंदी की माँग मुखर हो रही थी, इसलिए हमने शहरांे में भी जागरूकता अभियान चलाने के बारे में सोचा एवं उसके बाद शहरों में भी पूर्ण शराबबंदी के बारे में निर्णय लेंगे। परन्तु देखा गया कि शहरी क्षेत्रों में पहले से ही जागृति और शराबबंदी के समर्थन में जन उत्साह है, इसलिए हमने चार दिनों में ही सम्यक् विचारोपरांत 5 अप्रैल, 2016 से सम्पूर्ण राज्य में विदेशी शराब को भी प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि शराब बंदी अभियान का व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया तथा लोगों के द्वारा भी इसे पूर्ण समर्थन प्राप्त हुआ। लोग बड़ी संख्या में अवैध शराब के निर्माण, भंडारण अथवा बिक्री की सूचना स्वतः स्फूर्त रूप से भी देने लगे। सूचना/शिकायत दर्ज कराने हेतु उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग एवं पुलिस मुख्यालय द्वारा नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया, जिसमें प्राप्त शिकायत/सूचना पर तुरंत कार्रवाई की गई। लोगों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर प्रशासन द्वारा छापेमारी कर बड़ी मात्रा में अवैध देशी एवं विदेशी शराब की बरामदगी की गई। शराबबंदी के इस मुहिम को कारगर रूप से लागू करने के उद्देश्य से सभी पड़ोसी राज्यों के माननीय मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया कि वे अपने स्तर से अपने राज्य के सभी सीमावत्र्ती जिलों, जिनकी सीमाएं बिहार राज्य से लगती हैं, को निदेशित करे कि वह बिहार में लागू शराबबंदी के संबंध में सजग रहें और अपनी सीमा से लगने वाले बिहार के जिलों से सतत् समन्वय बनाये रखे ताकि असामाजिक तत्व उनके राज्यों से अवैध रूप से शराब बिहार न भेज पाये। राँची में आयोजित अन्तर्राज्यीय परिषद् की बैठक में भी इस मुद्दे को मुख्यमंत्री महोदय द्वारा उठाया गया एवं झारखंड एवं अन्य सीमावर्ती जिलों के प्रतिनिधियों से इस मुहिम में सकारात्मक सहयोग का अनुरोध किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शराबबंदी के सफल क्रियान्वयन हेतु न सिर्फ शराब पर पाबंदी लगाई, बल्कि लोगों की नशे की लत को छुड़ाने का इंतजाम किया जाय। नशे के आदी लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए सभी जिलों में नशामुक्ति केन्द्र ;क्म.ंककपबजपवद ब्मदजतमेद्ध खोले गए। इन केन्द्रों में प्रशिक्षित चिकित्सक, नर्स एवं सलाहकार भी पदस्थापित किए। नशामुक्ति केन्द्र के चिकित्सकों को निम्हांस ;छप्डभ्।छै छंजपवदंस प्देजपजनजम व िडमदजंस भ्मंसजी ंदक छमनतव ैबपमदबमेद्ध द्वारा प्रशिक्षित किया गया। शराब का उपभोग करने वाले एवं इसके आदी लोगों को इन केन्द्रों के द्वारा मुफ्त चिकित्सा सेवा, दवाएँ एवं परामर्श मुहैया कराया जा रहा है। पुलिस महानिदेशक से लेकर सभी पुलिस पदाधिकारी एवं सिपाहियों तथा मुख्य सचिव से लेकर सभी अधिकारी एवं कर्मचारी वर्ग ने सरकार की नीति का समर्थन करते हुए शराब नहीं पीने और जो पीते हैं उन्हें नहीं पीने के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया। 9 अप्रैल, 2016 को एक सर्वदलीय बैठक में हमने निर्णय लिया कि 2017 में मनाया जाने वाला चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह शराबबंदी और दलित उत्थान को समर्पित होगा।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि इसके साथ अप्रैल-मई माह में हमने बिहार का दौरा शुरू किया और कमिश्नरी वाईज महिलाओं का सम्मेलन हुआ और उनके अनुभवों को साझा किया गया तथा शराबबंदी के मुहिम को पूरी सजगता के साथ जारी रखने का संकल्प लिया गया। इस दौरान यह निर्णय लिया गया कि यदि किसी थानाध्यक्ष/प्रभारी के क्षेत्रान्तर्गत शराब निर्माण, बिक्री, परिचालन अथवा उपभोग में उनकी संलिप्तता की बात प्रकाश में आती है या क्षेत्रान्तर्गत मद्यनिषेध में उनके स्तर से कत्र्तव्यहीनता बरती जाती है तो उन्हें निलंबित/विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ उक्त पुलिस पदाधिकारी को अगले 10 वर्षों के लिए थानाध्यक्ष के पद पर पदस्थापित नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापक सामाजिक अभियान के साथ शराबबंदी के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रभावकारी कानून की भी आवश्यकता महसूस की गई। संशोधन के बावजूद पुराने बिहार उत्पाद अधिनियम, 1915 के प्रावधान वर्तमान सामाजिक एवं आर्थिक परिवेश में शराबबंदी को प्रभावकारी ढंग से लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। इसके लिए पुराने कानून के स्थान पर नये कानून लाने का निर्णय लिया गया। नये बिहार मद्य निषेद्य एवं उत्पाद विधेयक, 2016 को माॅनसून सत्र में विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया। इस नए कानून को 2 अक्टूबर, 2016 को गांधी जयंती के अवसर पर लागू करने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने हमेशा शराब का विरोध किया, उनका कहना था कि ’’शराब आदमियों से न सिर्फ उनका पैसा छीन लेती है, बल्कि उनकी बुद्धि भी हर लेती है।’’ गांधीजी कहते थे-‘‘शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है।’’ गाँधी जी ने कहा था कि यदि मुझे एक घंटे के लिए भारत का तानाशाह बना दिया जाय तो मैं सबसे पहले शराब की सभी दुकानों को बिना क्षतिपूर्ति के बंद करा दूँगा।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि शराब और मौलिक अधिकार साथ-साथ नहीं चलते।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के पश्चात् मद्य निषेध दिवस 26 नवम्बर, 2016 से इसे नशा मुक्ति दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गयी और अब वर्ष 2017 से यह नशा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जा रहा है क्योंकि शराब के अतिरिक्त अन्य नशीले पदार्थ भी हैं जो लोगों को बर्बाद कर रहे हैं। यह भी आशंका थी कि जिन लोगों को शराब उपलब्ध नहीं हो पा रही है कहीं वे अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न शुरू कर दें इसलिए शराब एवं अन्य नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों के विरूद्ध लोगों को जागरूक करना जरूरी था। साथ ही शराब के निर्माण, बिक्री तथा सेवन से जुड़े परम्परागत समूहों के लक्षित अत्यंत निर्धन परिवारों का आजीविका संवर्द्धन, क्षमता निर्माण एवं विŸाीय सहायता के माध्यम से सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सतत जीविकोपार्जन योजना लागू कर उन्हे विकास की मुख्य धारा में जोड़ा जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी के निर्णय को पूरी सफलता के साथ लागू करने के उद्देश्य से जहाँ एक ओर कानूनी प्रावधानों को वर्तमान सामाजिक परिवेश एवं आर्थिक परिस्थितियों के अनुकूल बनाया ताकि शराब एवं मादक द्रव्यों के दुरूपयोग को प्रभावकारी ढंग से नियंत्रित किया जा सके, वही दूसरी ओर शराब के दुष्प्रभावों के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं लोकशिक्षण हेतु सामाजिक अभियान जारी है। पूरे वर्ष यह अभियान चलता रहा और शराबबंदी और नशा मुक्ति के पक्ष में 21 जनवरी, 2017 को मानव श्रृंखला बनी, जिसमें 3.5 करोड़ से अधिक लोगों ने भाग लिया जो दुनिया के लिए एक नया रिकाॅर्ड बना। विशाल मानव श्रृंखला से बिहार के लोगों ने पूरे विश्व में शराबबंदी एवं नशामुक्ति के पक्ष में सशक्त संदेश दिया।
इसी कड़ी में मद्य निषेध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राज्य के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग तथा पुलिस को सशक्त बनाया गया। सभी जिलों में सघन छापामारी के लिए वाहन और सुरक्षा बल मुहैया कराया है। अवैध शराब के कारोबार पर नियंत्रण रखने के लिए पुलिस महानिरीक्षक (मद्यनिषेध) का एक अतिरिक्त स्वतंत्र पद सृजित कर पदस्थापित किया गया है तथा उनके सहयोग हेतु विभिन्न स्तरों के पद सृजित किए गए हैं, जिनके नियंत्रण में मार्च, 2018 से 24ग7 केन्द्रीय आसूचना केन्द्र स्थापित किया गया है। प्राप्त सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। आसूचना केन्द्र के नंबर को गाँव-गाँव तक बिजली के खंभों पर लिखवा दिया गया है। इसमें शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाती है और कार्रवाई के संबंध में उनकी संपुष्टि भी दर्ज की जाती है। शराबबंदी कानून को पूरी सख्ती से लागू किया जा रहा है। शराबबंदी के उपरान्त पुलिस एवं उत्पाद विभाग द्वारा ढाई लाख से अधिक अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है और लगभग 90 लाख लीटर अवैध शराब जब्त की गई है। इस कानून के अन्तर्गत 30 हजार से अधिक गाड़ियों को भी जब्त किया गया है। मद्यनिषेध कानून में शिथिलता बरतने वाले पुलिस एवं उत्पाद विभाग के पदाधिकारियों/कर्मियों पर भी अनुशासनिक एवं कानूनी कार्रवाई की गई है। अभी तक कुल 418 पुलिस पदाधिकारी/कर्मियों के विरूद्ध निलंबन एवं विभागीय कार्यवाही की गई है। कुल 71 पुलिस कर्मियों को बर्खास्त किया गया है एवं 53 थानाध्यक्षों को दस वर्षों तक थानाध्यक्ष के पद से वंचित किया गया है। इसी प्रकार अबतक कुल 20 उत्पाद पदाधिकारी/कर्मियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही किया गया है एवं 7 उत्पाद पदाधिकारी/कर्मियों को बर्खास्त किया गया है।

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