युवा-हल्लाबोल की मुहिम #NoRentForStudents को छात्रों का ज़ोरदार समर्थन

नई दिल्ली। देश में युवाओं के रोजगार की मांग उठा रहे संगठन युवा-हल्लाबोल ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के किराया माफी की मांग को प्रमुखता से उठाया है। इस मुहीम के तहत सोशल मीडिया पर #NoRentForStudents के तहत भारी संख्या में छात्रों ने भाग लिया व अपनी समस्याएं सरकार के सामने रखीं। ज्ञात हो कि ट्विटर पर इस मुहीम ने देशभर में दसवे नंबर पर ट्रेंड किया। जिग्नेश मेवानी, मनीष कुमार, अक्षय हुंका जैसे छात्र नेताओं ने भी लिया हिस्सा।

युवा-हल्लाबोल का नेतृत्व कर रहे अनुपम ने बताया कि पूरा देशव्यापी सम्पूर्ण लॉकडाउन के कारण जब यूनिवर्सिटी, कॉलेज, कोचिंग संस्थान सभी बंद हैं तो छात्र वर्ग इस स्थिति में नहीं है कि अपना मकान किराया जमा कर पाए इन परिस्थितियों में। ऐसे में सरकार को आदेश जारी करना चाहिए कि अपने गांव घर से दूर नौकरी की तलाश या तैयारी कर रहे छात्रों का मकान किराया माफ हो और इसके क्रियान्वयन के लिए जिला प्रशाशनो को निर्देश दिया जाए।

#NoRentForStudents मुहीम की जानकारी देते हुए युवा-हल्लाबोल के कॉर्डिनेटर गोविंद मिश्रा ने बताया कि देश भर से पिछले कई दिनों छात्रों की ये मांग थी कि उनका मकान किराया माफ किया जाए। जैसे ही कल शाम 5 बजे इस ट्विटर कैंपेन की शुरुआत हुई तो कुछ ही देर में यह पूरे देश भर में 10वे नंबर पर ट्रेंड करने लगा। देश के कई जाने माने कोचिंग संस्थानो ने इस मुहीम में हिस्सा लिया व करीब 9000 ट्वीट्स इस पर किये गए।

छात्र नेता व गुजरात की वडगांव विधानसभा के विधायक जिग्नेश मेवानी ने कहा कि जो युवा साथी अपने गांव से दूर पढ़ने के लिए किसी शहर में रहते हैं। केंद्र सरकार उनके लिए भी कोई योजना बनाए। तत्पश्चयात आप लोगों से भी आग्रह करूंगा कि आप किराए के लिए जबरन दबाव ना बनाए। इस मुश्किल घड़ी का सामना हम इंसानियत से ही कर सकते हैं।

युथ फ़ॉर स्वराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुमार ने कहा कि देश का एक औसत परिवार 10,000 रुपये प्रति महीना कमाता है। ऐसे में कोरोना महामारी का प्रभाव उस परिवार से आने वाले किसी विद्यार्थियों पे कैसा पड़ेगा हम सोच भी नहीं सकते! सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए।

मध्यप्रदेश के बेरोजगार सेना के अध्यक्ष अक्षय हुंका ने कहा कि लाखों गरीब और मध्यमवर्गीय छात्र बड़े शहरों में किराए से रह कर पढ़ रहे हैं। आज के हालात में वो किराया नहीं दे सकते हैं, सरकार को इस कठिन समय पर छात्रों के लिए भी योजना बनानी चाहिए। मुम्बई के टाटा इंस्टीटूट ऑफ सोशल साइंस (TISS)के छात्र कपिल अग्रवाल ने बताया कि उनको होस्टल की सुविधा नहीं मिल पाई थी इसलिए बाहर कमरा 10 हज़ार प्रति महीना लेना पड़ा। अब दो महीने तक कॉलेज बंद है लेकिन फिर भी किराया देना पड़ रहा है।

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