पटना। पित्त की पथरी और हर्निया वाले मरीजों के इलाज के लिए उपयुक्त माइक्रो-लेप्रोस्कोपिक सर्जरी और उसके फायदों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने आज पटना में एक जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया। लेप्रोस्कोपी को गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल की विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए उपयुक्त माना जाता है।
कार्यक्रम में मौजूद, डॉक्टर प्रदीप चौबे, चेयरमैन, एमएएमबीएस व सहयोगी सर्जिकल स्पेशलिटीज़, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत, ने पित्त की पथरी और हर्निया जैसी समस्या के इलाज की प्रक्रिया में आई प्रगति के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि पटना और पड़ोसी क्षेत्रों के लोग आसानी से इस प्रक्रिया का लाभ उठा सकते हैं।
साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के एमएएमबीएस व सहयोगी सर्जिकल स्पेशलिटीज़ के चैयरमैन, डॉक्टर प्रदीप चौबे ने बताया कि, “माइक्रो-लेप्रोस्कोपी की इस नई और एडवांस तकनीक का नाम पिन-होल सर्जरी है। इस आधे घंटे की प्रक्रिया में घाव न के बराबर नजर आते हैं। एब्डोमिनल समस्याओं से पीड़ित मरीज इस प्रक्रिया की मदद से राहत पा सकते हैं। इन बीमारियों के कुछ कारणों में मोटापा, खराब डाइट, तनाव, चिंता, जीईआरडी आदि शामिल हैं, इसलिए लोगों को एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना चाहिए।”
लेप्रोस्कोपिक के पुराने उपकरणों, जहां 3.5 से 5 एमएम का चीरा लगाकर सर्जरी की जाती है, की तुलना में पिन-होल सर्जरी की प्रक्रिया एक विकसित व आसानी से इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया है, जिसके परिणाम भी बेहतर होते हैं। माइक्रो-लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी एक सुरक्षित, आसान और अन्य मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाओं का एक नया विकल्प है। इस प्रक्रिया में दर्द व घाव न के बराबर होते हैं, जिसमें संक्रमण का खतरा भी बहुत कम होता है। आज के दौर में जहां पित्त में पथरी, हर्निया और आंत व लिवर आदि जैसी अन्य समस्याओं के बढ़ने के साथ, इस प्रकार की तकनीक जरूरी है, जिसकी मदद से बेहतर इलाज व मरीज की तेज रिकवरी सुनिश्चित करना संभव हो गया है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ साइंटिफिक स्टडी की एक रिसर्च के अनुसार, भारत में पित्त की पथरी की समस्या 41-50 की उम्र वाले 26.7% लोगों में सबसे ज्यादा पाई गई, जहां सबसे ज्यादा मरीज बिहार से थे। लेकिन एडवांस इलाज की उपलब्धता के साथ अब लोगों को दर्द या असहजता से परेशान होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।