राष्ट्र और राष्ट्रभक्ति सर्वोपरि : प्रणब मुखर्जी

 

नागपुर। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मेरे नागपुर आने को लेकर कई दिनों से बहुत प्रकार की बातें हो रही थीं। लेकिन, मैं आया हूं। मैं यहां अपने राष्ट्र और राष्ट्रभक्ति पर बोलने आया हूं। मेरे लिए मेरा देश सर्वप्रथम है। मैं राष्ट्रवाद पर बोलने आया हूं। देश के लिए समर्पण ही देशभक्ति है। उन्होंने कहा कि भारत के दरवाजे पहले से खुले हुए हैं। हम सामाजिक समरसता में यकीन रखते हैं। हम वसुधैव कुटुबकंम के पैरोकार हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दीक्षांत समारोह में शिरकत करने के लिए नागपुर पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुरुवार शाम 5 बजे को संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के स्मृति स्थल पर पहुंचे। इस दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति को फूलों का बुके भेंट कर स्वागत किया। इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति ने हेडगेवार को श्रद्धाजंलि अर्पित की। बता दें कि गुरुवार को पूर्व राष्ट्रपति आरएसएस के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग के समापन समारोह के मौके पर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं। नागपुर के रेशम बाग मैदान पर यह कार्यक्रम शाम 6.30 बजे शुरू हुआ।
इस मौके पर सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य मौजूद थे जिन्हें विशेष अतिथि के रुप में निमंत्रित किया गया था। प्रणब मुखर्जी तंग गलियों से गुजरते हुए उस मकान तक पहुंचे जहां हेडगेवार पैदा हुए थे। मकान में प्रवेश से पहले उन्होंने अपने जूते उतारे। वहां आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उनका स्वागत किया। कहा जा रहा है कि हेडगेवार को श्रद्धांजलि देने से जुड़ी मुखर्जी की यह यात्रा उनके निर्धारित कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थी और पूर्व राष्ट्रपति ने अचानक ऐसा करने का निर्णय लिया। मुखर्जी बुधवार शाम नागपुर पहुंचे थे। आरएसएस ने उन्हें अपने शिक्षा वर्ग को संबोधित करने तथा स्वयंसेवकों के परेड का निरीक्षण करने के लिए निमंत्रित किया था। यह संघ के स्वयंसेवकों के लिए आयोजित होने वाला तीसरे वर्ष का वार्षिक प्रशिक्षण है। आरएसएस अपने स्वयंसेवकों के लिए प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण शिविर लगाता है।
राष्ट्रपति बनने से पहले दशकों तक कांग्रेस पार्टी में रहे मुखर्जी गुरुवार को नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए हैं। उनके इस दौरे की उनकी पार्टी के कई नेताओं समेत कई अन्य लोगों ने आलोचना की है।

हेडगवार भारत मां के महान सपूत : प्रणब मुखर्जी

नागपुर। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नागुपर पहुंचे। उन्होंने यहां आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगवार के घर जाकर उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए। इस दौरान प्रणब मुखर्जी का स्वागत आरएसएएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने किया। प्रणब मुखर्जी ने हेडगवार को भारत मां का सपूत बताया। उन्होंने हेडगवार के जन्मस्थान पहुंचकर विजिटर बुक में लिखा कि आज मैं यहां भारत माता के एक महान सपूत के प्रति अपना सम्मान जाहिर करने और श्रद्धांजलि देने आया हूं।
प्रणब मुखर्जी द्वारा केबी हेडगेवार को ‘भारत माता का सपूत’ बताए जाने पर दूसरी ओर, कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई ने कहा कि उनके प्रति बड़ा आदर था, शायद उम्र की वजह से जाते-जाते कुछ गलत बात कर दूं, ऐसा लगा होगा उनको।

प्रणव मुखर्जी और संघ दोनों अलग-अलग: भागवत

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तीन वर्षीय कार्यक्रम के समापन समारोह में मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि हम कार्यक्रमों में हस्तियों को न्योता देते हैं, कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी का स्वागत है। भागवत ने कहा कि संघ सर्व समाज के लिए है। संघ समाज को संगठित करना चाहता है। भागवत ने कहा कि प्रणव मुखर्जी आदरणीय व्यक्ति हैं, उनके कार्यक्रम में शामिल होने की बेवजह चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत में जन्मा हर व्यक्ति भारतीय है। मिलजुलकर रहना ही हमारी संस्कृति है। संघ समाज को संगठित करना चाहता है। एक भारतवासी दूसरे भारतवासी के लिए पराया कैसे हो सकता है ? सरकारें बहुत कुछ कर सकती हैं, सब कुछ नहीं कर सकती हैं।

 

नागपुर में कैंप की परंपरा

आरएसएस के इतिहास में नागपुर का विशिष्ट स्थान है। यहीं पर डॉ हेडगेवार ने रेशमबाग में जमीन का टुकड़ा खरीदकर आरएसएस की स्थापना की थी। यहीं पर उनकी ‘समाधि’ और ‘स्मृति मंदिर’ है। इसलिए स्वयंसेवक इस जगह को प्रेरणास्थल मानते हैं। इसलिए इस प्रोग्राम को हमेशा नागपुर में आयोजित किया जाता है। एक महीने का ट्रेनिंग प्रोग्राम का शेड्यूल काफी सख्त होता है। कार्यकर्ताओं से सुबह 5:30 बजे उठने की अपेक्षा की जाती है। सुबह पौने छह से सात बजे के बीच शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता है। उसके बाद 8:30 बजे तक नाश्ते का कार्यक्रम होता है। उसके बाद बौद्धिक कार्यक्रम होता है। इसमें संघ, संगठन के इतिहास, कार्यशैली और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के संबंध में भाषण और विमर्श होते हैं। दोपहर में लंच ब्रेक होता है और ढाई बजे तक आराम का समय निर्धारित होता है। उसके बाद फिर से बौद्धिक कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं जो शाम पांच बजे तक चलते हैं। शाम को 5:30-7:00 बजे तक फिर से शारीरिक ट्रेनिंग का समय होता है और उसके बाद डिनर होता है। शारीरिक प्रशिक्षण में ड्रिल, योगासन, कई सामूहिक खेल, आत्मरक्षा तकनीकों के बारे में बताया जाता है। बौद्धिक कार्यक्रम में संघ के विचार, इतिहास, राष्ट्र के इतिहास और तमाम सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डाला जाता है।

 

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