दिल्ली पर संकट ही संकट

दिल्ली सरकार के धरने से गहराया सियासी संकट, उपराज्यपाल करेंगे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देख 17 जून तक निर्माण गतिविधियों पर रोक
केजरीवाल के धरने से दिल्ली पुलिस के 7 जिले प्रभावित

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक ओर जहां सियासी संकट में घिरती दिख रही है, वहीं दूसरी ओर वायु प्रदूषण से पूरी व्यवस्था चरमराती दिख रही है। दोनों ही संकट से उबरना जरूरी है। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के आधिकारिक निवास पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों का धरना चौथे दिन भी जारी है। इसके अलावा इस धरने में शामिल लोक निर्माण मंत्री सत्येंद्र जैन की भूख हड़ताल को तीन और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की भूख हड़ताल को दो दिन हो चुके हैं। इन लोगों ने सोमवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल पर आईएएस अधिकारियों की हड़ताल खत्म कराने की मांग को अनसुना करने का आरोप लगाते हुए धरना शुरू कर दिया था। गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दिल्ली के आईएएस अधिकारियों की हड़ताल खत्म कराने की अपील की है। उन्होंने लिखा कि पिछले तीन महीनों से दिल्ली के आईएएस अधिकारी हड़ताल पर हैं। उन्होंने मंत्रियों की सभी बैठकों में आना बंद कर दिया है। अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि दिल्ली के आईएएस अफसरों पर सीधे-सीधे उपराज्यपाल और केंद्र का नियंत्रण है, इसलिए दिल्ली सरकार उनकी हड़ताल नहीं खत्म करवा पा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बार-बार अनुरोध करने के बावजूद उपराज्यपाल साहब इनकी हड़ताल खत्म नहीं करवा रहे हैं, इसलिए दिल्ली सरकार और दिल्ली के लोग आपसे हाथ जोड़कर निवेदन कर रहे हैं कि आप तुरंत इनकी हड़ताल खत्म करवाएं ताकि दिल्ली के काम फिर से शुरू हो सकें।


इस बीच तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) जैसे क्षेत्रीय दलों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के धरने का समर्थन किया है और केंद्र से संकट का जल्द हल निकालने की भी अपील की है। ट्विटर पर पश्चि बंगाल की मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिखा कि निर्वाचित मुख्यमंत्री का सम्मान किया जाना चाहिए। रालोद नेता जयंत चौधरी ने दिल्ली के हालात को प्रशासनिक विफलता बताया है। वहीं, राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि तानाशाही केंद्र ने दिल्ली और पुडुचेरी में लोकतंत्र का तमाशा बना दिया है। इसके अलावा भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री होते तो वे गृह मंत्रालय को निर्वाचित मुख्यमंत्री से बात करने का आदेश दे चुके होते।
सियासी संकट से इतर बात करें, तो दिल्ली की मौसम बेहद खराब हो चुकी है। दिल्ली में वायु प्रदूषण को ध्यान में रखकर आपात कदम उठाते हुए सभी निर्माण गतिविधियों पर 17 जून तक रोक लगा दी गई है। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए गुरुवार को आपात उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में आपात उपायों के तहत सभी निर्माण गतिविधियों पर 17 जून तक रोक लगाने का फैसला किया गया। धूल प्रदूषण को कम करने के लिए पानी का छिड़काव भी किया जाएगा।बैठक में पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण, दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। बैजल ने जानकारी दी कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(एनएचएआई), दिल्ली मेट्रो रेल कापोर्रेशन, तीनों निगम, लोक निर्माण विभाग और एनबीसीसी जैसी एजेंसियां अधिक निगरानी रखेंगी और निर्माण गतिविधियों को 17 जून तक स्थगित रखने के फैसले का पालन कराएंगीं। उपराज्यपाल ने कहा है कि हरित दिल्ली हम सबका साझा लक्ष्य है। दिल्ली में तीन महीने 15 जुलाई से 15 सितंबर तक बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान चलाया जायेगा जिसमें दिल्ली के निवासियों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। पौधारोपण के लिए जगह को चिन्हित करने और पौधों की खरीद और उपलब्धता का काम दिल्ली का वन विभाग करेगा। राजधानी में प्रदूूषण खतरनाक स्तर पर है और मौसम विभाग का मानना है कि इससे अभी अगले दो.तीन रोज राहत नहीं मिलने वाली हैं। प्रदूषण की वजह से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है। राजस्थान में धूल भरी आंधी का प्रभाव गुरुवार को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी के अन्य क्षेत्रों में भी देखने को मिला। दिल्ली में मंगलवार से ही वातावरण में धूल छाई हुई है। राजस्थान में आये तूफान की वजह से ऐसा हुआ है। धूल और हवा में गुणवत्ता का स्तर घटने से बुधवार पीएम 10 और पीएम 2.5 का स्तर बढ़ गया। पीएम 2.5 का स्तर करीब 157 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। पीएम 10 का स्तर आर के नगर में 797 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया।

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