राहुल गांधी के आते ही कांग्रेस में अच्छे दिन आने के आसार

नई दिल्ली। कांग्रेस के मौजूदा उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कमान संभालने के बाद कांग्रेस में जारी बदलाव की प्रक्रिया के और तेज होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में युवा नेताओं को पार्टी में ज्यादा जमीन मिल सकती है। उनके लिए ‘अच्छे दिन’ आ सकते हैं। बदलाव के तहत पुराने और वरिष्ठ नेता किनारे भी किए जा सकते हैं। राहुल द्वारा किए गए बदलावों में सबसे अहम है आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये युवा चेहरों को सामने लाना। पिछले कई वर्षों में इसके माध्यम से कई युवा नेता राष्ट्रीय स्तर पर सामने भी आए हैं। कई नेताओं की भूमिकाएं बढ़ाई जा सकती हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की संभावना भी जताई जा रही है।
कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि उनके नामांकन के लिए 73 सेट दस्तावेज प्रदेश कमेटियों को भेजे गए हैं। इस लिहाज से कहा जा रहा है कि उनके नामांकन के 73 सेट दाखिल होंगे। यह सोनिया गांधी के नामांकन से 16 ज्यादा हैं। सोनिया जब 1998 में अध्यक्ष का परचा भरा था तो 56 सेट नामांकन दाखिल किए गए थे। इसमें कुछ सेट कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की ओर से भरे गए थे और बाकी प्रदेश कमेटियों की ओर से भेज गए थे। इस बार राहुल के लिए सोनिया गांधी से ज्यादा नामांकन होंगे। इस तरह कांग्रेस के प्रदेशों के नेता परिवार के प्रति ज्यादा प्रतिबद्धता दिखाएंगे। इस बीच यह भी चर्चा चल रही है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी राहुल के लिए एक सेट नामांकन दाखिल करें। जब वे अध्यक्ष बनी थीं, तब निवर्तमान अध्यक्ष सीताराम केसरी ने उनके लिए नामांकन नहीं भरा था। उनको बहुत अपमानित होकर हटना पड़ा था और उनकी जगह सोनिया गांधी अध्यक्ष बनी थीं।
बहरहाल, कहा जा रहा है कि वे राहुल के लिए नामांकन करने से हिचक रही हैं। उनको लग रहा है कि अगर कोई और नामांकन दाखिल कर देता है तो यह अच्छा नहीं होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष किसी एक उम्मीदवार के लिए परचा भरे। कहा जा रहा है कि राहुल भी नहीं चाहते हैं कि ऐसी स्थिति हो। इस बारे में अंतिम फैसला सोमवार को ही होगा। पर यह जरूर है कि कांग्रेस के नेता राहुल के प्रति पार्टी का संपूर्ण समर्थन दिखाने का प्रयास करेंगे ताकि उनके नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं उठे।राहुल द्वारा शुरू आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये देशभर में कांग्रेस के नौ हजार डेलीगेट चुने गए हैं। इन सबने एक सुर में राहुल को अध्यक्ष बनाने की वकालत की थी। इसके अलावा पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी इसी तरह की राय रखी थी। लेकिन, बताया जाता है कि आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के कारण ही चुनाव कराया जा रहा है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि पार्टी की कमान संभालने के बाद राहुल गांधी इस प्रक्रिया को लेकर ही आगे बढ़ेंगे और भविष्य में उसे और विस्तार देंगे। उनकी पहल पर ही वर्ष 2008 में यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के विभिन्न पदों के लिए इस प्रक्रिया को पहली बार अपनाया गया था।
राहुल के कांग्रेस उपाध्यक्ष बनने के बाद अब तक पार्टी की राष्ट्रीय समिति में कई युवा नेताओं को जगह दी जा चुकी है। इनमें अमरोली (गुजरात) से विधायक परेश धनानी, मध्य प्रदेश से विधायक जीतू पटवारी (इन्हें सचिव बनाया गया है) और उत्तराखंड से विधायकी का चुनाव हार चुके प्रकाश जोशी जैसे नेता शामिल हैं। इस प्रणाली से यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के डेलीगेट का चयन किया गया। हिंगोली (महाराष्ट्र) से सांसद और यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजीव साटव और इस संगठन के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा उर्फ राजा बरार भी इसी प्रक्रिया से होकर गुजरे हैं। एनएसयूआई के मौजूदा अध्यक्ष फैरोज खान (जम्मू-कश्मीर) और पूर्व अध्यक्ष रोजी जॉन राहुल गांधी द्वारा अमल में लाए गए आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये ही अपनी जमीन तैयार करने में सफल रहे। राहुल के वर्ष 2013 में उपाध्यक्ष बनने के बाद आंतरिक लोकतंत्र की प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया गया।
राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी समस्या पुराने और नए चेहरों के बीच सामंजस्य बिठाना होगा। नई पीढ़ी के नेताओं में रणदीप सिंह सुरजेवाला (कांग्रेस के मीडिया प्रमुख), सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, अजय माकन, सचिन पायलट, मिलिंद देवड़ा जैसे नेता हैं। सिलचर से सांसद और महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुष्मिता देव को भी राहुल की कोर टीम में जगह देने की संभावना है। वहीं, पुराने चेहरों में नर्मदा यात्रा पर चल रहे दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, गुलामनबी आजाद, मुकुल वासनिक, ऑस्कर फर्नांडिस, अशोक गहलोत जैसे क्षत्रप शामिल हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राहुल इंदिरा-राजीव के समय के वरिष्ठ नेताओं के अनुभव का लाभ लेने की कोशिश करेंगे। सूत्रों ने बताया कि अशोक गहलोत अब केंद्रीय संगठन में ही अपना योगदान देंगे। इस तरह राजस्थान में सचिन पायलट को पूरी छूट मिलने की संभावना है। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

 

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