दुष्कर्म, कैंडल मार्च और कांग्रेस

आधी रात को इंडिया गेट मोमबत्ती की रोशनियों में एक बार जगमगा गया। यह रोशनी खुशी के लिए नहीं जलाए गए। यह आक्रोश के लिए जलाए गए। दुष्कर्म पीडिता को न्याय दिलाने के लिए। उन्नाव और कठुवा में जो हुआ, पूरे देश ने उसे समझा-बुझा। भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हैं और आरोपी सलाखों के बाहर था। जनता से लेकर दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष को भी आक्रोश आया। आनन-फानन में निर्णय लिया गया और इंडिया गेट पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में कैंडल मार्च निकाला गया। ट्विटर पर एक संदेश दिया कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कि मेरे साथ इंडिया गेट पर आइए आधी रात । उन्नाव व कठुआ की नृशंस घटनाओं के विरोध करने और सरकार को जगाने के लिए । हजारों की संख्या में लोग पहुंचे । बडे नेता से लेकर आम कार्यकर्ता भी । प्रियंका गांधी से लेकर अम्बिका सोनी , शोभा ओझा भी । गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, दिग्विजय सिंह, रणदीप सुरजेवाला और भी बहुत सारे नेता।
लोकतांत्रिक प्रणाली में विरोध का यह तरीका जगजाहिर है। दिल्ली ने कुछ साल पूूर्व निर्भया कांड में इसी तरह का कैंडल मार्च देखा था। हालांकि, उस समय दिल्ली की सत्ता पर कांग्रेस की सरकार थी। राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों पर। वर्तमान में आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में है और केंद्र की कुर्सी भाजपा के जिम्मे है। सो, कांग्रेस ने अपने विपक्षी धर्म का पालन किया। इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
लेकिन इसके साथ सवाल यह भी उठता है कि क्या कांग्रेस ने केवल इसलिए कैंडल मार्च निकाला कि मामला भाजपा शासित राज्य का है ? यह वह वाकई ऐसे मुददों का प्रतिकार करना जानती है या करती रही है ? यदि हम आंकडों की बात करें, तो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, एक दिन में 50 बच्चियों के साथ दुष्कर्म होता है। यानी हर घंटे दो बेटियां दुष्कर्म की शिकार हो जाती हैं। लेकिन इनके लिए कोई कैंडिल मार्च नहीं होता। उन दो बच्चियों के दुष्कर्म के खिलाफ हंगामा इसलिए बरप रहा है, क्योंकी ये दोनों घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुई है। आंदोलन तो हर एक बच्ची के दुष्कर्मियों को सलाखों के पीछे भेजने और न्याय दिलाने के लिए होना चाहिए। दो के लिए ही क्यों? राजनीति इतनी गंदी हो गई है कि हम बेटियों के दुष्कर्म के प्रति भी सलेक्टिव अप्रोच रखने लगे हैं। बेटियों के साथ दुष्कर्म केवल उत्तर प्रदेश में नहीं हो रहे हैं, केरल और कर्नाटक में भी हो रहे हैं। इसलिए हमें सभी दुष्कर्मियों और उन्हें संरक्षण देने वाले नेता और दलालों के खिलाफ हल्ला बोलना चाहिए।
दरअसल, कैंडल मार्च से सचमुच रोशनी हुई और अलसुबह साढे चार बजे आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। कल उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कह रहे थे कि माननीय विधायक के खिलाफ कोई सबूत नहीं। हम गिरफ्तार कैसे कर सकते हैं ? विधायक भी दलबल से पहुंचे थे आत्मसमर्पण का नाटक करने। पीडित लडकी चीख चीख करने विधायक का नाम ले रही थी और पुलिस महानिदेशक कह रहे थे कि एफआईआर में विधायक का नाम नहीं। उन्नाव और कठुआ में जो हुआ, वह निंदनीय है। राज्य सरकार के कदम की कभी सराहना नहीं की जा सकती है। उन्नाव जिले में 16 वर्षीय लड़की के साथ हुए गैंगरेप मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार की किरकिरी हुई है। बलात्कार पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद राज्य सरकार और सत्ताधारी भाजपा निशाने पर हैँ। न सिर्फ विरोधी दलों, बल्कि भाजपा के अपने समर्थकों में भी ये छवि बनी है कि पुलिस ने इस मामले में अपना काम नहीं किया। उलटे उसने पीड़िता के परिवार को सताया। इससे भाजपा का ‘बेटी बचाओ’ नारा कठघरे में खड़ा हुआ है। पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व इस पर खामोश है। लेकिन उसे पहले से ही कई मामलों में खराब छवि का शिकार उप्र सरकार की और बिगड़ी इमेज की चिंता अब जरूर करनी चाहिए।जब कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई, तो इस साल फरवरी में पीड़िता की मां ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का दरवाजा खटखटाया ताकि इस मामले में एफआईआर दर्ज हो सके। 3 अप्रैल को पीड़िता कि मां की अपील पर कोर्ट ने सुनवाई की। मामले की सुनवाई में भाग लेने ही पीड़िता के पिता परिवार समेत उन्नाव वापस लौटे। परिवार वालों के मुताबिक उस शाम बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर लड़की के पिता को परेशान किया।पीड़िता ने स्थानीय विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत कई लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगाया था। अब पीड़िता के पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके साथ मारपीट की पुष्टि हो चुकी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिता के शरीर पर चोटों के 14 निशान मिले हैं। 16 वर्षीय पीड़िता ने पिछले साल जून में भाजपा विधायक सेंगर और उसके साथियों पर बलात्कार का आरोप लगाया था। लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद लड़की अचानक गायब हो गई। उसके बाद परिवार वालों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के नौ दिन बाद लड़की औरेंया जिले के एक गांव में मिली जिसके बाद उसे उन्नाव लाया गया। पुलिस ने उसे कोर्ट के सामने पेश किया और उसका बयान दर्ज किया। पीड़िता ने पुलिस पर आरोप लगाया कि इस दौरान उसे भाजपा विधायक का नाम नहीं लेने दिया गया। दस दिन बाद उसे परिवार वालों के पास भेज दिया गया। लेकिन वह लगातार पुलिस पर आरोप लगाती रही।
दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कठुआ जिले में आठ साल की एक लड़की आसिफा के अपहरण, सामूहिक बलात्कार और फिर उसकी हत्या के मामले में 15 पेज की चार्जशीट दाखिल कर दी है। यह चार्जशीट बताती है कि कैसे इस छोटी सी बच्ची के साथ बर्बरता की गई थी। आसिफा बानो 10 जनवरी से अपने गांव रसाना से लापता थी। 17 जनवरी को उसका क्षत-विक्षत शव पास के जंगलों में मिला था और इस बात के सबूत भी मिले थे कि इस बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ है। इस हफ्ते स्थानीय वकीलों ने पुलिस को मामले की चार्जशीट दाखिल करने से रोकने की कोशिश की थी। वहीं जम्मू उच्च न्यायालय की बार एसोसिएशन नेयह मांग करते हुए बंद आयोजित किया था कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए. हर लिहाज से यह मांग सीबीआई पर भरोसा जताने से ज्यादा पुलिस जांच को प्रभावित करने के लिए उठाई गई लगती है। अब तक की पुलिस जांच में आठ लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इनमें चार पुलिसवाले भी शामिल हैं, जिन्हें सबूत मिटाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। चार्जशीट के मुताबिक मुख्य आरोपित रसाना के देवस्थान मंदिर का केयरटेकर है। अपहरण के बाद आसिफा को इसी मंदिर में रखा गया था. इस मामले पर जो राजनीति हो रही है उससे यह संकेत जा रहा है कि एक बहुधार्मिक राज्य की स्थानीय पुलिस को वैसे मामले नहीं सौंपे जा सकते जहां पीड़ित मुसलमान हो और आरोपित हिंदू. ऐसी राजनीति और प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाली तमाम कोशिशों का मजबूती से विरोध होना चाहिए। यहां यह भी निहायत ही शर्मनाक है कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार इस मामले को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की आलोचना करने में सुस्त दिखती रही है। पुलिस पर निर्दोष लोगों को फंसाने का आरोप लगाते हुए कठुआ में एक महीने से प्रदर्शन चल रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की यह भी मांग है कि हिरासत में लिए गए पुलिसकर्मियों को तुरंत रिहा किया जाए। इन प्रदर्शनों में एक संगठन हिंदू एकता मंच की अग्रणी भूमिका रही है और आरोपितों के समर्थन में हुई रैली में जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल भाजपा के दो मंत्री भी मौजूद रहे थे।
बहरहाल, इंडिया गेट पर जिस तरह से आधी रात को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में कैंडल मार्च निकाला गया और अहले सुबह सीबीआई हरकत में आई, उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि कांगेस और भाजपा इस तरह के मामले में संवदेनशील होगी, और केवल सियासत नहीं करेगी।

 

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