नई दिल्ली। सांची के स्तूप की झांकी वर्ष 2018 की गणतंत्र दिवस परेड की शोभा बढ़ायेगी। रक्षा मंत्रालय की चयन समिति ने मध्यप्रदेश की झांकी ’’सांची एक प्रमुख बौद्विक तीथस्थल’’ विषय पर आधारित को वर्ष 2018 की गणतंत्र दिवस परेड की झांकियों में शामिल किया गया है। लगभग 30 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों की झाॅंकियों की प्रतिस्पर्धा और चयन प्रक्रिया के बाद मध्यप्रदेश की झाॅंकी को गणतंत्र दिवस 2018 की परेड में शामिल किया गया है।
ज्ञात हो कि यूनेस्को विश्व धरोहर के तौर पर सम्मानित साॅंची एक प्रमुख बौद्व तीर्थस्थल है। भोपाल से 46 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में विदिशा के निकट रायसेन जिले में स्थित है। यह बौद्ध केन्द्र अपने महान स्तूप के कारण प्रसिद्ध है, जो कि भारत के सबसे पुराने पाषाण ढाॅंचों में से एक है। तीसरी शताब्दी ई.पू. में महाराजा अशोक द्वारा इस स्तूप की स्थापना भगवान बौद्ध के सम्मान में कराई गई थी। इसका निर्माण अशोक की सहधर्मिणी देवी ने अपनी देखरेख में करवाया। स्तूप के चारों ओर चार नक्काशीयुक्त तोरणद्वार, स्तूप के निर्माण के वर्षों बाद बनाये गये थे। मौर्यकाल के दौरान स्तूप ईटों से बनाया गया था तथा शुंगकाल के दौरान इसे पत्थरों से ढंक दिया गया। झाॅंकी में स्तूप नक्काशीयुक्त तोरणद्वार से घिरा है, जिसमें चारों दिशाओं में प्रवेश द्वार बने हैं। इस तोरणद्वारों पर बुद्ध के जीवन तथा जातक कथाओं में उनके पूर्व जीवन की कहानियों को उकेरा गया है। स्तूप क्रमांक 1, 2, 3 के ही आसपास अनेक कलात्मक ढाॅंचे हैं जैसे- अशोक स्तम्भ, चैतियागिरी विहार, संग्रहालय, बौद्ध मंदिर आदि। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा हर वर्ष तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साॅंची दिवस का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों बौद्ध अनुयायी आते हैं। साॅंची स्तूप में अनेक ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ब्राह््मी लिपि में मौर्य, शुंग, कुषाण तथा गुप्तकाल के अभिलेख प्राप्त होते हैं।