नई दिल्ली। मानवतस्करी के खिलाफ इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस, सेव दल चिल्ड्रन ने देंत्सु एजिस नेटवर्क इंडिया की ओर से डिजिटल एवं सोशल मीडिया एजेंसी, वाटकंसल्ट और स्नैपडील के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी का उद्देश्य भारत में बाल तस्करी की समस्या पर जागरुकता बढ़ाना है। कंपनियों ने बाल तस्करी रोकने के उद्देश्य से एक अभियान, ‘किड्सनाॅटफाॅरसेल’ अभियान लाॅन्च किया। कंपनी ने एक टीज़र अभियान लाॅन्च किया, जिसमें स्नैपडील पर ‘अमेज़िंग किड्स सेल’ का प्रदर्शन किया गया। इस जबरदस्त अभियान में उन बच्चों की कहानियां प्रदर्शित की गई हैं, जिन्हें वेश्यावृत्ति के लिए बेच दिया जाता है, जन्म के वक्त ही अपहरण कर लिया जाता है, अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, अंगों की तस्करी के लिए नशा दिया जाता है या फिर जेहाद करने के लिए मजबूर किया जाता है।
बता दें कि मानव तस्करी दुनिया में तीसरा सर्वाधिक फैला अपराध है और भारत भी मानव तस्करी के मामले में पीछे नहीं। इस अभियान में बताया गया है कि भारत में हर घंटे अनुमानित 7 बच्चे खो जाते हैं। इनमें से आधे कभी भी घर लौट नहीं पाते। 2016 और 2017 के बीच, लगभग 1 लाख बच्चे गुमशुदा हुए। 2016 में इन अपराधियों के पकड़े जाने की दर केवल 22.7 प्रतिशत थी। सेव द चिल्ड्रन में हेड आॅफ कैम्पेंस, प्रज्ञा वत्स ने बाल तस्करी के खिलाफ छेड़ी गई जंग के बारे में कहा, ‘‘बच्चे सबसे आसान टारगेट होते है। इसलिए उनकी तस्करी करके उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, उनका शोषण किया जाता है तथा उनसे वेश्यावृत्ति, मजदूरी या घरेलू काम कराया जाता है। सर्वाधिक अमानवीय अपराध, ‘मानव तस्करी’ के कारण बच्चे सदैव के लिए अपना बचपन खो देते हैं। हमें इस अमानवीयता को रोकना होगा। इसलिए हमने जनता को इस अभियान के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से वाटकंसल्ट के सहयोग से एक इनोवेटिव अभियान, ‘किड्सनाॅटफाॅरसेल’ प्रारंभ किया है।’’
स्नैपडील के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘बच्चों की तस्करी एक गंभीर समस्या है। इस साल ग्राहकों द्वारा दिए गए डोनेशन के माध्यम से न केवल सरकार से बच्चों की सुरक्षा के लिए कठोर कार्यवाही करने का निवेदन करने के लिए, बल्कि सेव द चिल्ड्रन को बच्चों को बचाने और अपराधियों को पकड़ने में मदद करने के लिए हमने अपने किड्स सेल स्टोर का उपयोग करने का निर्णय लिया है।’’
वाटकंसल्ट के संस्थापक एवं सीईओ, राजीव ढींगरा ने कहा, ‘‘यह मानव तस्करी के काले अपराध के खिलाफ एक अभियान है। इस गंभीर समस्या के प्रति एक इनोवेटिव माध्यम से जागरुकता बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि इस अपराध को रोकने में सभी लोग अपना योगदान दे सकें। हमें खुशी है कि बच्चों को बचाने में मदद करने के लिए हम सेव द चिल्ड्रन और स्नैपडील के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’’ भारत सरकार ने कल संसद में भारत के पहले ट्रैफिकिंग आॅफ पर्संस (प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन एवं रिहैबिलिटेशन) बिल, 2018 का प्रारूप पेश करके इस दिशा में कदम उठाया है। बच्चों की सुरक्षा के लिए कठोर नियमों की आवश्यकता है, तथा इस प्रयास में पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था भी होनी चाहिए। ‘किड्सनाॅटफाॅरसेल’ अभियान का उद्देश्य सरकार से न केवल विस्तृत रोकथाम के परामर्शों पर ध्यान दिए जाने का आग्रह करना, बल्कि एक पुनर्वास, मौनिटरिंग एवं को-आॅर्डिनेशन की व्यवस्था का विकास करने का निवेदन करना है, तकि यह अध्यादेश और ज्यादा शक्तिशाली बने।