संकल्प शक्ति के धनी शिवराज सिंह चौहान

कृष्णमोहन झा

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का आज जन्मदिवस है इस अवसर पर उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों की चर्चा होना स्वाभाविक है। एक राजनीतिक ‌विश्लेषक के रूप में मेरा ‌हमेशा से ही यही स्पष्ट मत रहा है कि मध्यप्रदेश के इस कर्मठ मुख्यमंत्री के अंदर संकल्प ,सेवा और समर्पण ‌की त्रिवेणी समाई हुई है। कुछ वर्ष पूर्व मैं इसी शीर्षक से उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की खूबियां को उजागर करने वाली एक पुस्तक का सृजन भी कर चुका हूं।

इसलिए आज उनके जन्म दिवस के शुभ अवसर पर तो मैं उनके विषय में अपने विचारों की अभिव्यक्ति का लोभ संवरण कदापि नहीं कर सकता। शिवराज सिंह चौहान की राजनीतिक उपलब्धियों के बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है और केवल मैंने ही नहीं बल्कि देश के अनेक विख्यात राजनीतिक विश्लेषकों‌ ने मध्यप्रदेश के सर्वाधिक मुख्यमंत्री के ‌रूप में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की विशेषताओं पर जब तब विस्तार से लिखा है परंतु मेरा मानना है कि शिवराज सिंह चौहान इससे भी अधिक के हकदार हैं। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने ऐसे अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं जो उनकी कीर्ति में चार चांद लगाने के लिए काफ़ी हैं ।उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों की फेहरिस्त भी काफी लंबी है।

लगभग सवा साल के अंतराल बाद उनके हाथों में पुनः सत्ता की बागडोर आते ही मध्यप्रदेश के विकास रथ की मं‌द‌ पड़ी रफ्तार में तेजी आ गई है। पिछले साल लगभग इन्हीं दिनों अत्यंत विषय परिस्थितियों में मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालने के लिए सामने आकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया था। उस समय सारे देश के साथ मध्यप्रदेश में भी कोरोनावायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ने ‌के आसार दिखाई देने लगे थे।परंतु अद्भुत आत्मविश्वास के धनी शिवराज सिंह चौहान तो मंत्रिमंडल के गठन में समय जाया करने के बजाय कोरोना संकट से निपटने के लिए अकेले ही मैदान में आ डटे।

इस दौरान ढेर सारी सारी शंकाएं और कुशंकाएं‌भी व्यक्त की गई परंतु ‌उन्होंने अपनी मौलिक सूझ-बूझ से सबको गलत साबित कर दिया।कोरोना को पराजित करने की उनकी रणनीति राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गई। कुछ समय बाद उन्होंने मंत्रिमंडल का गठन किया और फिर तो पूरी टीम के सहयोग से उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कोरोना का प्रकोप मध्यप्रदेश में आम नागरिक का जीना दूभर बनाने में कामयाब न हो सके। शिवराज सिंह निःसंदेह अपने संकल्प को पूरा करने में सफल रहे हैं। मध्यप्रदेश से कोरोना के‌ पांव उखड़ चुके हैं। शिवराज सिंह चौहान आज मध्यप्रदेश में केवल लोकप्रियता के शिखर पर विद्यमान नहीं हैं ‌अपितु उनकी वास्तविक पहचान तो यह है कि उनके सामने कितनी‌ कठिन चुनौतियां क्यों न हों , वे कभी विचलित नहीं होते। वे आगे बढ़ कर हर चुनौती को स्वीकार करते हैं और जब तक उस पर विजय प्राप्त नहीं कर लेते तब तक चैन से नहीं बैठते। वे हर पल हर घड़ी प्रदेश के विकास की चिंता में मग्न रहते हैं।समाज के हर वर्ग की खुशहाली ‌के लिए उनकी सरकार ने रोड मेप तैयार किया है।

दीर्घकालिक कोरोना संकट के बावजूद ‌शिवराज सरकार के ‌नये बजट में ऐसे कोई कर प्रस्ताव नहीं हैं जिनसे जनता की मुश्किलें ‌बढने‌ अंदेशा हो। शिवराज सिंह कहते हैं कि यह आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का बजट है। इस बजट से कोरोनाकाल के बाद क्षतिग्रस्त हुई अर्थव्यवस्था को दोबारा खड़ा कर आम लोगों का हित संवर्धन सुनिश्चित होगा।यह बजट जन कल्याणकारी है। कोरोना के भयावह संकट से निपटने के बाद इससे बेहतर बजट की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। शिवराज सरकार के इस बजट से यह संदेश भी मिलता है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर उसकी पकड़ कमजोर नहीं हुई है। शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री के रूप में अपनी विशिष्ट कार्यशैली और विजन से यह भी साबित कर दिया है कि देश के भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच अपनी विशिष्ट पहचान बनाने की क्षमता उनके अंदर कूट कर भरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.