नई दिल्ली। आमतौर पर लोगों के जेहन में यह सोच घर कर बैठी है कि नौकरशाह उंची कुर्सी पाने के बाद आम जनता की सुध नहीं लेते हैं। लेकिन, वास्तविकता के धरातल पर ऐसा नहीं है। भारत सरकार के सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्रालय में राज्यमंत्री के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करने वाले भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी प्रशांत रोकडे लगातार गरीबों और वंचितों के लिए काम कर रहे हैं। वो सीधे तौर पर बेलौस अंदाज में कहते हैं कि जिसका कोई नहीं है, उसके लिए मैं काम करना चाहता हूं। यदि कोई अपनी फरियाद लेकर मुझ तक आता है, तो इस कुर्सी पर बैठे हुए जो मेरे वश में है, मैं उनकी मदद करता हूं।
एक सवाल के जवाब में प्रशांत रोकडे ने कहा कि वंचितों और गरीबों की मदद करने की सोच मेरे स्कूली जीवन से ही है। माता-पिता और परिवार का संस्कार, समाज की हालत देखकर यह बढता ही गया। यही कारण रहा कि जब मुझे अमरावती में सिविल सेवा में चयन होने के बाद लोगों ने मेरा अभिनंदन किया, तो मुझे पहले से अधिक जिम्मेदारी का अहसास हुआ। लोगों की उम्मीदें मुझसे जुडी। मैं कई विभागों में काम करते हुए संघर्षशील राजनेता श्री रामदास जी अठावले के साथ यहां सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय में आया। यहां आकर मुझे लगा कि जो मैं करना चाहता हूं, उसके लिए यह मुफीद जगह है। मैंने बाबा साहेब आंबेडकर, ज्योतिबा फूले, सावित्री बाई फूले को पढा। ये लेाग मेरे लिए और मुझ जैसे लोगों के लिए प्रेरणादायी है। प्रशांत रोकडे ने कहा कि मुझे अपने समाज से गरीबी हटाना है। गरीबी एक सामाजिक कलंक के साथ एक मानसिकता है। इसके लिए मैं प्रयास कर रहा हूं। बच्चों को शिक्षित करने की दिशा में कई कार्य कर रहा हूं। जो शिक्षित होता जाएगा, वह गरीबी के अभिशाप से दूर होता जाएगा।