सूर्य नमस्कार के 12 स्टेप्स

 
 एक स्वस्थ शरीर में तंदुरूस्त मस्तिष्क का वास होता है। इसलिए जरूरी है कि हम स्वस्थ रहें। योग करें। योगासनों में सबसे असरकारी और लाभदायक सूर्य नमस्कार है। इसमें सभी आसनों का सार छिपा है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास 12 स्थितियों में होता है। इसके आसनों को बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। सूर्य मुद्रा हमारे शरीर के अग्नि तत्वों को संचालित करती है। आइए, हम भी बताते हैं आपको सूर्य नमस्कार की 12 स्टेप्स।
स्टेप 1
 प्रणाम आसन। सूर्य की तरफ अपने दोनांे हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों आँखों को बंद कर दें। ध्यान आज्ञा चक्र पर केंद्रित करके सूर्य भगवान की जय जय कर ओम मित्राय नमः मंत्र के द्वारा मन ही मन ध्यान करें।
स्टेप 2 
हस्त उत्तानासन। साँस भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए उपर की ओर तानें और भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान को गर्दन के पीछे बिशुढ़ी चक्र पर केंद्रित करे।
स्टेप 3 
हस्तपाद आसन। इस अवस्था में आप साँस को धीरे -धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं जमीन को टच करें। अपने घुटने को सीधे रखें। माथा घुटनांे को टच करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे मणिपुरक चक्र पर केंद्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें। कमर और रीढ़ की बीमारी से पीड़ित इस योग को ज्यादा नहीं करें।
स्टेप 4
 अश्व संचालन आसन। इसी स्थिति में साँस को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तने हुए पीछे की ओर खींचा हुआ और पैर का पंजा खड़ा हुआ होना चाहिए। इस स्थिति में थोड़ा रुकें। ध्यान को स्वाधीस्तान पर ले जाएं। अपने मुंह को स्थिर रखें।
स्टेप 5 
दंडासन। अब आप साँस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनांे पैरों की एड़ियों को मिला लें। पीछे की ओर शरीर को खिचाव दें और एड़ियों को जमीन पर मिलाने का प्रयास करें। नितंबो को अधिक से अधिक उपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुककर थोड़ी को कंठकूप में लगाएं। ध्यान सहस्रार चक्र पर केंद्रित करें।
स्टेप 6
अष्टांग नमस्कार। सांस भरते हुए शरीर को जमीन के समानान्तर, सीधा सास्टांग दंडवत करें और पहले घुटने, छाती और माथा जमीन पर लगा दें। नितंबांे को थोड़ा उपर उठा दें। साँस को छोड़ दें। ध्यान को अनहार चक्र पर टीका दें। सांस को सामान्य करंे।
स्टेप 7 
भुजंग आसन। इस अवस्था में धीरे-धीरे साँस को भरते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं। घुटने जमीन का स्पर्श करते हुए और पैरों के पंजे खड़े रखें। मूलाधार को खींचकर वहीं ध्यान को टीका दें।
स्टेप 8
पर्वत आसन। अब आप साँस को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। ध्यान रहे, दोनो पैरो की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को जमीन पर मिलाने का प्रयास करें। नितंबो को अधिक से अधिक उपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुककर ठुड्डी को कंठकूप में लगाएं। ध्यान संसरार चक्त्र पर केंद्रित करें।
स्टेप 9 
अश्वसंचालन आसन। इस स्थिति में साँस को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएँ। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। तंग तनी हुए सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय के लिए रुकें। अपने ध्यान को स्वाधीस्तान पर लें जाए।
स्टेप 10
 हस्तपाद आसन। अब आप साँस को धीरे-धीरे बाहर निकलते हुए आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं पैर जमीन का स्पर्श करें। घुटने सीधे रखें और माथा घुटनांे को स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे मणिपुरक चक्र पर केंद्रित करते हुए कुछ पल इसी अवस्था में रुके रहें।
स्टेप 11 
साँस भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए उपर की ओर तानें और भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान को गर्दन के पीछे विशुढ़ी चक्र पर केंद्रित करें।
स्टेप 12
यह स्थिति पहली स्थिति की तरह रहेगी। सूर्या नमस्कार योग आपके शरीर को संपूर्ण अंगों की विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती है।
सूर्य नमस्कार योग सुबह-सुबह दैनिक क्रिया के बाद मुंह को पूरब की तरफ करके ही करना चाहिए। सूर्य नमस्कार की क्रिया को कम से 12 बार करना चाहिए।

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