मांगों को लेकर शिक्षकों ने किया दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रदर्शन

नई दिल्ली। तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों के बड़े पैमाने पर विस्थापन के विरोध में आयोजित किए गए ‘गेट वेल सून’ धरना में एकत्र हुए शिक्षकों की भारी भीड़ ने विश्वविद्यालय प्रशासन के मनमाने रवैये पर विश्वविद्यालय समुदाय की व्यापक और गहरी नाराजगी को उजागर किया है। इस धरने में आए कई तदर्थ और अस्थाई शिक्षकों ने यह भी बताया कि कैसे उनकी लंबी सेवा के बाद उन्हें मनमाने तरीके से नौकरी से हटा दिया गया है और अब वे वित्तीय असुरक्षा और करियर को लेकर अस्थिरता का संकट झेल रहे हैं। डीयू की उत्कृष्टता के लिए अपना खून और मिट्टी देने के बावजूद गहरे संकट और रातों की नींद हराम कर रहे, तदर्थ और अस्थाई शिक्षकों पर घिरे संकट के इस क्षण में AADTA हजारों एडहॉक शिक्षक साथियों के साथ दृढ़ता और पूरी एकजुटता के साथ खड़ा है। हमारा प्रश्न है कि यदि कॉलेज MoE और NAAC द्वारा आयोजित रैंकिंग में उच्च पायदान पर होने का आनंद ले रहे हैं तो तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों को अब चयन के लिए अनुपयुक्त कैसे पाया जा सकता है? हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अधिकांश विश्वविद्यालय और कॉलेज संकाय तदर्थ और अस्थायी हैं, और सिर्फ इसलिए,उनसे क्रेडिट नहीं छीना जा सकता है।
समायोजन के संकल्प को, पहले नियमितीकरण के चुनावी वादे के द्वारा सुनियोजित तरीके से कमजोर किया गया और फिर वर्तमान में चल रहे वास्तविक साक्षात्कारों में विस्थापन तक सीमित कर दिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन, वर्तमान नेतृत्व और उनकी विचाराधारा ढो रहे उनके कुनबे ने ईमानदारी निष्ठा और समर्पण के साथ काम करने वाले तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों की योग्यता और अनुभव की उपेक्षा करने के लिए एक धुरी का गठन किया है। जब तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों के अकादमिक खात्मे का सत्तारूढ़ दल के प्रमुख चेहरों द्वारा स्वागत किया जा रहा है, तो प्रशासन अंधाधुंध विस्थापन और एमएचआरडी के 5 दिसंबर के पत्र की मूल भावना को को अतिरेक के रूप में कम कर रहा है। हमारे AC और EC सदस्यों ने संबंधित हर बैठक में समायोजन के लिए आवाज उठाई है, इसके लिए दबाव बनाने के लिए बैठक में वाल पर बैठ कर विरोध भी दर्ज कराया है; लेकिन इन सबके बावजूद प्रशासन साक्षात्कार के मामले में विस्थापन की अपनी घोषणा को लेकर उदासीन रहा। यह दृष्टिकोण ऐसी सामंतवादी और अस्वीकार्य मानसिकता की उपज है जो कार्यरत तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों को अपना मानने को तैयार नहीं है। हम समायोजन के लिए DUTA संकल्प के अपने दृढ़ समर्थन के साथ इस निकृष्ट मानसिकता और विस्थापन की योजना का विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस तरह की बहिष्कार और प्रतिशोधी मानसिकता को ठीक करने के लिए ‘गेट वेल सून’ विचार और पुष्पांजलि के माध्यम से, AADTA विस्थापन को रोकने के लिए किए जा रहे अपने संघर्ष को तेज करने और तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों के समायोजन के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता और संकल्प को दोहराता है।

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