जन्म से किशोरावस्था तक का नया डाटा

नई दिल्ली। भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस सप्ताह देश के पहले समग्र राष्ट्रीय पोषण सर्वे (सीएनएनएस) के नतीजे जारी किए, यह सर्वे यूनिसेफ की तकनीकी मदद से 2016-18 के दरम्यान देशभर के 30 राज्यों व केंद्र शासित राज्यों में कराया गया था। इस सर्वे को यूनाइटेड किंगडम के परोपकारी आदित्य और मेघा मित्तल ने आर्थिक सपोर्ट दी थी।

यह अभूतपूर्व राष्ट्रीय अध्ययन विश्व में पहली बार कराए गए सबसे बड़े सूक्ष्मपोषक सर्वों में से एक है, इसमें 0-19 आयु के 112,000 बच्चों का मानवशास्त्रीय आकलन किया गया है,  इसमें बच्चों के सूक्ष्मपोषक स्तर और गैर-संचारी रोगों के लिए जोखिम वाले कारकों के लिए 51,000 से अधिक जैविक नूमने भी शमिल हैं।

सीएनएनएस के मुताबिक,  भारत में पांच साल की आयु से कम आयु वाले 35 प्रतिशत बच्चे नाटे हैं, 17 प्रतिशत बच्चे अपने कद के अनुसार बहुत पतले हैं और 33 प्रतिशत का वजन बहुत कम है। पहली बार, यह अध्ययन 0-19 आयु के सभी बच्चों और किशोरों के लिए व्यापक संकेतकों के आधार पर साक्ष्य व सूचना मुहैया कराता है, जिसका इस्तेमाल राष्ट्रव्यापी समाधानों को आगे ले जाने के लिए किया जा सकता है।

सीएनएन सर्वे दिखाता है कि कुपोषण की कमी में कुछ प्रगति हुई है, इसके साथ ही साथ 1-4 आयु के बच्चों में विटामिन ए और आयोडीन की कमी की रोकथाम वाले सरकारी कर्यक्रमों तक प्रभावशाली पंहुच भी बनी है। सर्वे इस पर भी रोशनी डालता है कि उसी समय, बाल्यावस्था में अधिक वजन और मोटापा में वृद्वि भी शुरू हो जाती है, यह स्कूल जाने वाली आयु के बच्चों व किशारों के लिए गैर-संचारी रोगों के रूप में बढ़ता हुआ खतरा है जैसे कि मधुमेह (10 प्रतिशत) ।

सर्वे के जारी होने से राष्ट्रीय चर्चा छिड़ गई है कि किस तरह से इस डाटा का विश्लेषण बाल कुपोषण और गैर-संचारी रोगों से लड़ने वाले नियोजित प्रभावशाली कार्यक्रमों के लिए किया जाए।

स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने राष्ट्रीय सर्वे के जारी होने पर टिप्पणी की, ‘सीएनएनएस बाल पोषण के बारे में हमें पहला समग्र नेशनल सेट ऑफ डाटा देता है, इसमें 5-14 आयुवर्ग पहली बार सम्मिलित है। यह बाल्यावस्था व किशारों में कुपोषण व गैर-संचारी रोगों जैसे कि मधुमेह से लड़ने के लिए साक्ष्य आधारित नीतियों व कार्यक्रमों के इस्तेमाल को गति देने में सरकार की मदद करेगा।’

यूनिसेफ इंडिया कंट्री की प्रतिनिधि डा. यासमिन अली हक ने अध्ययन के जारी होने पर कहा, ‘सीएनएनएस सूचना का हैरान कर देने वाला खजाना है। यह साक्ष्य आधारित प्रबल नीतियों व कार्रवाइयों के लिए बच्चों की जिंदगिंयों को बचाने और प्रत्येक बच्चे को पूर्ण रूप से संमर्थ बनाने में मदद करने का वक्त है। यूनिसेफ को इस बहुत बड़ी उपलब्धि में स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय का भागीदार बनने में गर्व है। हम मेघा और आदित्य मित्तल की दृष्टि और प्रतिबद्धता की बहुत सराहना करते हैं। उनके सहयोग के बिना यह अध्ययन संभव नहीं होता।’

मेघा और आदित्य मितल ने इस अध्ययन से निकले नतीजों पर भारत के लिए अपने दृष्टि व अपेक्षाओं के बारे में एक साझा बयान में कहा, ‘हम एक ऐसे प्रोजेक्ट को सपोर्ट करना चाहते थे जिसमें दीर्घावधि वाली प्रणालीगत परिवर्तन को सपोर्ट करने की मजबूत क्षमता हो। सीएनएनएस सर्वे परिवर्तन को आगे ले जाने के लिए अपने आकार, स्तर, क्षेत्र और क्षमता में अद्वितीय है। हम उम्मीद करते हैं कि यह डाटा व विश्लेषण नीतिगत बदलावों व पोषण शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों को लागू करने में नेतृत्व का काम करेगा जिसके परिणाम स्वरूप बच्चों की पोषक तत्वों तक अधिक पहुंच होगी, जिसकी उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता और जिंदगी का अधिकतम फायदा उठाने की जरूरत है। यह प्रत्येक बच्चे और भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है, जोकि परिवर्तन को निरंतर आगे ले जाने के लिए अपने लोगों की ऊर्जा और कौशल पर भरोसा करता है।’

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