चाय कैसी-कैसी

 

दानेदार चाय
यह आम चाय है, जिसका घर, रेस्तरां, खोमचे आदि में प्रयोग किया जाता है। असल में यह चाय की पत्तियां हैं। जिन्हें तोड़कर कर्ल किया जाता है। फिर सुखाकर दानों का रूप दिया जाता है। इस प्रक्रिया में कुछ बदलाव आते हैं। इससे चाय में टेस्ट और महक बढ़ जाती है।
ग्रीन टी
इसे प्रोसेस्ड नहीं किया जाता। यह चाय के पौधे के ऊपर के कच्चे पत्ते से बनती है। सीधे पत्तों को तोड़कर भी चाय बना सकते हैं। इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। ग्रीन टी काफी फायदेमंद होती है, खासकर अगर बिना दूध और चीनी पी जाए। इसमें कैलरी भी नहीं होतीं। इसी ग्रीन टी से हर्बल व ऑर्गेनिक आदि चाय तैयार की जाती है।
हर्बल टी
ग्रीन टी में कुछ जड़ी-बूटियां मसलन तुलसी, अश्वगंधा, इलायची, दालचीनी आदि मिला देते हैं तो हर्बल टी तैयार होती है। इसमें कोई एक या तीन-चार हर्ब मिलाकर भी डाल सकते हैं। यह मार्किट में तैयार पैकेट्स में भी मिलती है। यह सर्दी-खांसी में काफी फायदेमंद होती है, इसलिए लोग दवा की तरह भी इसका प्रयोग करते हैं।
वाइट टी
यह सबसे कम प्रोसेस्ड टी है। कुछ दिनों की कोमल पत्तियों से इसे तैयार किया जाता है। इसका हल्का मीठा स्वाद काफी अच्छा होता है। इसमें कैफीन सबसे कम और एंटी-ऑक्सिडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। इसके एक कप में सिर्फ 15 मिग्रा कैफीन होता है, जबकि ब्लैक टी के एक कप में 40 और ग्रीन टी में 20 मिग्रा कैफीन होता है।
ब्लैक टी
कोई भी चाय दूध व चीनी मिलाए बिना पी जाए तो उसे ब्लैक टी कहते हैं। ग्रीन टी या हर्बल टी को तो आमतौर पर दूध मिलाए बिना ही पिया जाता है। लेकिन किसी भी तरह की चाय को ब्लैक टी के रूप में पीना ही सबसे सेहतमंद है। तभी चाय का असली फायदा मिलता है।
इंस्टेंट टी
इस कैटिगरी में टी बैग्स आदि आते हैं, यानी पानी में डालो और तुरंत चाय तैयार। टी बैग्स में टैनिक एसिड होता है, जो नैचरल एस्ट्रिंजेंट होता है। इसमें एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। इन्हीं गुणों की वजह से टी-बैग्स को कॉस्मेटिक्स आदि में भी यूज किया जाता है।
लेमन टी
नीबू की चाय सेहत के लिए अच्छी होती है, क्योंकि चाय के जिन एंटी-ऑक्सिडेंट्स को बॉडी एब्जॉर्ब नहीं कर पाती, नीबू डालने से वे भी एब्जॉर्ब हो जाते हैं।

 

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