अशोक सिंघल की याद में दिया गया वैदिक शिक्षा पुरस्कार

नई दिल्ली। भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार समारोह के मुख्य अतिथि और पद्मभूषण पुरस्कार विजेता परमपूज्य स्वामी तेजोमयानंद जी ने कहा, वेदों से ही भारत की भारतीयता राष्ट्रीय स्तर पर वैदिक शिक्षा को बढ़ावा देने वाला पुरस्कार है , इस बार 1000 से ज्यादा विद्यालयों ने चयन प्रक्रिया में भाग लिया

विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष और हिंदुत्व के प्रखर पुरोधा अशोकजी सिंघल की याद में सिंघल फाउण्डेशन की ओर से भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार के तीसरे संस्करण का आयोजन गुरुवार, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर लोधी एस्टेट स्थित चिन्मय मिशन ऑडिटोरियम में किया गया। पूर्व राष्ट्रपति, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन की जयंती शिक्षक दिवस पर हिंदू ह्दय सम्राट अशोक सिंघल की याद में वैदिक शिक्षा के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करने वाले छात्र, शिक्षक और वैदिक स्कूल को सम्मानित किया गया और उन्हें लाखों के पुरस्कार भी प्रदान किए गए। गौरतलब है कि यूं तो वैदिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों का गठन किया गया है, लेकिन यह राष्ट्रीय स्तर पर वेद की शिक्षा को बढ़ावा देने वाला पुरस्कार है। इस वर्ष यह पुरस्कार प्राप्त करने के लिए करीब 1000 वैदिक स्कूलों ने चयन प्रक्रिया में भाग लिया है और शार्टलिस्टिंग की कठोर प्रक्रिया से गुजरे हैं। समारोह के मुख्य और सम्मानित अतिथि परम पूज्य स्वामी तेजोमयानंद जी ने कहा कि वेद को धर्म की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए। यह धर्म से बहुत ऊपर है। वेदों से ही भारत की भारतीयता है। वेदों के अध्ययन से आत्मज्ञान, ब्रह्माज्ञान , जीवन ज्ञान और सर्व विज्ञान का अध्ययन हो जाता है। देश में वेद आधारित शिक्षा प्रणाली लागू होनी चाहिए। गौरतलब है कि आध्यात्मिकता के क्षेत्र में 2016 में स्वामी तेजोमयानंद को पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। भारतीय आध्यात्मिक नेता स्वामी चिन्मयानंद 1994 से 2017 तक चिन्मय मिशन के अध्यक्ष रह चुके हैं।

पद्मभूषण पुरस्कार विजेता स्वामी तेजोमयानंद जी ने कहा,” जैसे राम के लिए हमेशा लक्ष्मण जी रहा करते थे उसी प्रकार अशोक जी रामभूमि के लिए लक्ष्मण समान थे इसलिए यह पुरस्कार निः संदेह उचित है | वेद हमें हमारे जीवन का लक्ष्य भी बताते है , और उन्हें पाने का मार्ग भी बताते है , इसलिए हमें वेदों का ज्ञान प्राप्त करना चाहिये ”

वैदिक शिक्षा के प्रचार और प्रोत्साहन के लिए सिंघल फाउण्डेशन की ओर से “भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार” के लिए सर्वश्रेष्ठ छात्र के रूप में तेलंगाना के रहने वाले श्री अजय जोशी का चुनाव किया गया, जिन्हें 3 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई | वे ऋग वेद के विद्यार्थी है | शिक्षक दिवस पर सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का पुरस्कार श्री गगन कुमार चटोपाध्याय जी को दिया गया जो कोलकत्ता के निवासी है , जिन्हें पुरस्कार राशि के तौर पर 5 लाख रुपये प्रदान किए गए। आचार्य श्री गगन कुमार चटोपाध्याय सामवेद के विद्वान है | सर्वश्रेष्ठ वैदिक स्कूल के रूप में राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित मुनिकुल ब्रह्मचर्य वेद संस्थान ,का चयन किया गया, संस्थान को सिंघल फाउण्डेशन की ओर से सात लाख रुपये की राशि प्रदान की गई। ये राजस्थान के छोटे से गांव में 139 साल पहले की गई थी | समारोह में स्वामी तेजोमयानंद ने विजेताओं को पुरस्कारों का वितरण किया। पुरस्कार समारोह में विशिष्ट वेदार्पित जीवन पुरस्कार (वेदों के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार) आर आर वेंकटरमन जी को दिया गया।

सिंघल फाउण्डेशन के ट्रस्टी सलिल सिंघल ने कहा, “श्रद्धेय अशोक जी सिंघल हिंदुत्व के अग्रणी जननायक थे। उन्हें वेदों के पठन-पाठन में गहरी रुचि थी। वह वेदों के संपूर्ण ज्ञाता थे। उनके प्रयास से देश में कई वैदिक विद्यालयों की स्थापना की गई। वेदों के प्रति उनके लगाव को देखते हुए फाउंडेशन ने उनकी याद में वैदिक पुरस्कार देने का फैसला किया।“

सिंघल फाउण्डेशन के एक अन्य ट्रस्टी संजय सिंघल ने बताया, “पुरस्कार समारोह के लिए उम्मीदवारों का चयन करने के लिए विशेष समिति का गठन किया गया था। इसके लिए देश के सभी वैदिक स्कूलों से तीनों श्रोणियों में अपनी प्रविष्टि भेजने के लिए कहा गया था। समारोह के आयोजन का मूल उद्देश्य भारत में वैदिक शिक्षा को प्रोत्साहित करना और इस काम में जुड़े लोगों की सराहना करना है। वैदिक शिक्षा के प्रचार प्रसार और वैदिक संस्थानों के उत्थान में सिंघल फाउण्डेशन की ओर से हर संभव सहयोग प्रदान किया जाता रहेगा।

 

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