नई दिल्ली। गेहूं पर आयात शुल्क लगने से देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में कीमतों में तेजी दर्ज गई। जींस कारोबारियों ने बताया कि दक्षिण भारत से मांग बढ़ने पर आगे बाजार और गरम रह सकता है। हालांकि उपभोक्ताओं की चिंता है कि देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने के बावजूद रोटी सस्ती नहीं मिलेगी। दिल्ली के लॉरेंस रोड स्थित अनाज मंडी में भी गेहूं का भाव को 1760 रुपये से बढ़कर 1775 रुये प्रति क्विंटल हो गया।उत्तर प्रदेश की शाहजहांपुर अनाज मंडी में मिल क्वालिटी का गेहूं (सामान्य क्वालिटी) 1605 रुपये प्रति क्विंटल हो गया और बेहतर क्वालिटी का गेहूं 1640 रुपये प्रति क्विंटल था। दो दिनों में 35 रुपये की तेजी आई है। राजस्थान में भी गेहूं की कीमतों में 30-40 रुपये की तेजी दर्ज की गई। सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में गेहूं की विभिन्न क्वालिटी के भाव में 50-100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। मध्यप्रदेश के उज्जैन के गेहूं कारोबारी संदीप ने बताया कि आयात शुल्क बढ़ने से दक्षिण भारतीय मिलों की मांग निकलेगी। मध्यप्रदेश के ही विदिशा के कारोबारी रोहित ने बताया कि अच्छी क्वालिटी के गेहूं में पहले से ही मांग बनी हुई है, मगर अब मिल क्वालिटी की मांग बढ़ सकती है।गेहूं पर आयात शुल्क लगने की खबर टीवी पर सुनने के बाद दिल्ली के मंडावली इलाके में रहने वाली सुनीता को चिंता है कि अब आटे का दाम बढ़ जाएगा। मगर, वह जानना चाहती है कि देश में अनाज का उत्पादन खपत से ज्यादा होने के बावजूद विदेशों से क्यों आयात करना पड़ता है और आयात रुकने पर गेहूं का भाव बढ़ जाता है। सुनीता की तरह कई लोगों के मन में यह सवाल होगा।
दरअसल, गेहूं की पैदावार पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में ज्यादा होती है जहां से अन्य राज्यों में गेहूं की आपूर्ति की जाती है। दक्षिण भारत खासतौर से बंदरगाह वाले शहरों में इन राज्यों से गेहूं मंगाने के मुकाबले आयात करना सस्ता होता है। इसकी एक वजह यह भी है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत के मुकाबले गेहूं सस्ता है। पिछले साल भी देश में बंपर उत्पादन होने पर भी करीब 17 लाख टन गेहूं का आयात हुआ था। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड की ओर से बुधवार को जारी अधिसूचना के जरिए गेहूं पर आयात शुल्क 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया। रोलर फ्लोर मिल्स फेडरेशन आॅफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि पिछले साल करीब 17 लाख टन गेहूं का आयात हुआ था मगर इस साल अब आयात होने की संभावना कम है क्योंकि 30 फीसदी शुल्क पर आयात नहीं हो पाएगा।
उन्होंने बताया, “20 फीसदी आयात शुल्क के बावजूद पाकिस्तान से गेहूं का आयात होने लगा था, जिसे रोकने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया होगा।”वीणा शर्मा ने बताया कि विदेशों में गेहूं की नई फसल आने पर जुलाई से सितंबर के बीच शिपमेंट के लिए सौदे होने की उम्मीद थी मगर अब नहीं होने की संभावना नहीं है हालांकि मध्यप्रदेश के एक जींस कारोबारी ने कहा कि सरकार ने किसानों से गेहूं खरीदने के बाद आयात शुल्क बढ़ाया है ताकि सरकारी भंडार का गेहूं खुले बाजार में बिक सके, क्योंकि पिछले साल बाजार भाव कम होने की वजह से खुले बाजार में सरकारी एजेंसियों के गेहूं की बिक्री बहुत कम हुई थी।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 2017-18 में ओपन मार्केट सेल्स स्कीम (ओएमएसएस) के तहत घरेलू बाजार में 14।21 लाख टन गेहूं की बिक्री हुई और एक अप्रैल 2018 को केंद्रीय पूल में गेहूं का बचा हुआ स्टॉक 132.31 लाख टन रह गया था। एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि सरकार के पास इस साल गेहूं का रिकॉर्ड स्टॉक है, क्योंकि खरीद भी लक्ष्य से काफी ज्यादा हो चुका है। केंद्र व राज्य सरकारों की एजेंसियों ने चालू रबी विपणन वर्ष 2018-19 में देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक प्रदेशों में अब तक 337.39 लाख टन गेहूं खरीद लिया है। गेहूं की सबसे जयादा खरीद 380 लाख टन 2012 में हुई थी।
सरकार ने फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) के रबी सीजन में उत्पादित गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जिस पर सरकारी एजेंसियां किसानों से गेहूं खरीद रही हैं। एफसीआई के अधिकारी ने बताया कि एमएसपी के अतिरिक्त एजेंसी को गेहूं के उठाव व भंडारण पर करीब 225 रुपये प्रति क्विंटल खर्च पड़ता है। मगर, ओएमएसएस के तहत गेहूं की बोली के लिए फ्लोर प्राइस यानी आधार मूल्य तय करते समय एमएसपी में भंडारण खर्च का कम से कम आधा जरूर जोड़ा जाता है। इस तरह आधार मूल्य 1900 रुपये के पास तय हो सकता है। अधिकारी ने बताया कि सरकार की ओर से नीतिगत फैसले आने के साथ ही इस साल ओएमएसएस के तहत गेहूं की नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से पिछले दिनों जारी फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) के तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में इस साल गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 986.1 लाख टन हो सकता है।