सीबीआई मामले में क्यों खुद को अलग किया जस्टिस गोगोई ने ?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एम नागेश्वर राव को अंतरिम सीबीआई प्रमुख के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने खुद को अलग कर लिया है। सीजेआई ने कहा कि वह याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते क्योंकि वह अगले सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली समिति बैठक का हिस्सा होंगे।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एन एल राव और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ के समक्ष 16 जनवरी को यह मामला तत्काल सुनवाई के लिए आया था। इस मामले की सुनवाई सोमवार को जैसे ही शुरू हुई तो चीफ जस्टिस ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया। सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि सीबीआई निदेशक को शॉर्टलिस्ट, चुने जाने और नियुक्त करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का आग्रह किया। यह याचिका गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दाखिल की थी।

इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गोगोई ने भूषण से कहा कि इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को करना ”निश्चित ही असंभव है और सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी। सीबीआई के नए निदेशक की नियुक्ति होने तक सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक राव को 10 जनवरी को अंतरिम प्रमुख का प्रभार सौंपा गया था।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने आलोक कुमार वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य की उपेक्षा के आरोपों के कारण जांच एजेंसी के प्रमुख पद से हटा दिया था। इस समिति में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी भी थे।

 

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