बदल रहा है मौसम का मिजाज। गर्मी बढ़ रही है, जो कई तरह के रोगों को भी अपने साथ लाएगी। ऐसे ही रोगों में से एक है डिहाइड्रेशन, जिसमें शरीर से पानी की मात्रा काफी कम हो जाती है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।
दीप्ति अंगरीश
मौसम का मिजाज बड़ी तेजी से बदल रहा है, कभी गर्म तो कभी ठंडा। ऐसे मौसम में कई बार हम लापरवाही बरतते हैं।ऐसे में जिस बड़ी समस्या से हमें दो-चार होना पड़ता है वह है डिहाइड्रेशन।
अगर आपको लगता है कि प्यास नहीं लगने पर शरीर को तरल चीजों की जरूरत नहीं होती है, तो आपकी सोच गलत है।यहीं से शरीर में डिहाइड्रेशन की स्थिति बनने लगती है। मौसम में आर्द्रता बढ़ने के साथ यह समस्या और बढ़ती है। खासकर, हृदय रोगियों के लिए डिहाइड्रेशन का खतरा जानलेवा हो सकता है, क्योंकि डिहाइड्रेशन से रक्त मोटा हो जाता है और अनियंत्रित ब्लड प्रेशर और मधुमेह के रोगियों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। अत्यधिक गर्मी से तनाव बढ़ जाता है। कई बार इस तनाव को हृदय रोगी सह नहीं पाते। हृदय संबंधी उनकी परेशानियां और बढ़ने लगती हैं। ब्लड प्रेशर कम होने लगता है। इसलिए इस मौसम में दवा की डोज को नियंत्रित रखना चाहिए। हृदय रोगियों को शारीरिक क्रियाकलाप जारी रखना चाहिए, लेकिन गर्मी से बचना भी जरूरी है।
शरीर को जितने लिक्विड की जरूरत है, उससे कहीं कम मिल पाने की स्थिति डिहाइड्रेशन कहलाती है। ऐसे स्थिति में हम जितना तरल पदार्थ लेते हैं, उससे ज्यादा तरल पदार्थ पसीने, मूत्र और मल के माध्यम से शरीर से निकल जाता है। जब शरीर से अधिक मात्रा में तरल निकल जाता है, तो शरीर को उस स्थिति को बनाए रखने के लिए और तरल पदार्थ की जरूरत होती है। ऐसी अवस्था में शरीर को जरूरी तरल पदार्थ न मिल पाना डीहाइड्रेशन कहलाता है।
डीहाइड्रेशन होने पर मुंह के अंदर सूखापन महसूस होना, त्वचा मुरझाना, अक्सर थकावट महसूस होना, पेशाब कम होना, सिरदर्द होना, चक्कर आना और होंठों का फटना सर्दियों में होने वाले लक्षण सामने आते हैं। अधिक मात्रा में डीहाइड्रेशन का होना कभी-कभी मौत का कारण भी बन सकता है।
डीहाइड्रेशन होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे तेज बुखार होना या अधिक एक्सरसाइज करना, उल्टी होना, डायरिया या इंफेक्शन के कारण अधिक पेशाब होना। डाइबिटीज के मरीजों में डीहाइड्रेशन की आशंका अधिक रहती है। पानी और भोजन का सही मात्रा में न मिलना, त्वचा संक्रमण या अन्य रोग, जिसमें पानी का क्षरण होता है।
जब आपको प्यास लगती है, तब तक डीहाइड्रेशन की स्थिति बनने लगती है। एक्सरसाइज करने से पहले फ्लुइड्स लें। वर्कआउट के दौरान हर 15-20 मिनट पर शरीर को 8-12 आउंस की जरूरत होती है। जाहिर है कि एक्ससाइज के बाद भी पानी की जरूरत होती है। इसके साथ ही लूज-फिटिंग वाले कपड़े पहनें और अधिक धूप होने पर हैट लगाना न भूलें। कैफीन वाले एल्कोहल और ड्रिंक्स न लें। गर्मी के मौसम में कार्बोनेटेड पदार्थ से परहेज करें। डिहाइड्रेशन से बचने के लिए रोज कम-से-कम आठ गिलास पानी जरूर पीएं। लेकिन, इसके बावजूद अगर डीहाइड्रेशन हो गया हो, तो अपना काम बंद करके बॉडी को पूरा आराम दें। सूरज की धूप में न जाएं और किसी ठंडी जगह पर आराम करें। धूप के साथ ह्यूमिड वेदर में भी वॉटर इनटेक का ख्याल रखें। गर्मी में बाहर खाने व खुले तरल पदार्थों से बचना चाहिए। बच्चों के बोतल की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखें। दूध की बोतल स्टरलाइज होनी चाहिए। बच्चे को अगर दस्त-उल्टी हो रहा हो, तो दूध व ओआरएस का घोल देते रहें। अगर उसकी उम्र छह माह से ऊपर है, तो उबले हुए चावल का पानी, केला, संतरे का रस, नींबू का पानी थोड़ी-थोड़ी देर पर देते रहें, ताकि बच्चे के शरीर में पानी की कमी न होने पाए। समस्या गंभीर लगे, तो तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
(नोएडा स्थित मेट्रो ग्रुप आॅफ हॉस्पिटल्स में वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ भवेश ठाकुर से बातचीत पर आधारित। )