शेयर बाजार में बड़ी गिरावट

अमेरिका में बढ़ी बांड यील्ड( बांड के जरिये मिलने वाला प्रतिफल) के कारण दुनिया भर के बाजार सहमे हुए हैं. अब भारत में भी दस साल के लिए बांड यील्ड बढ़ गयी है. शेयरों में कम लाभ होने की आशंका के मद्देनजर बांड यील्ड की मांग बढ़ जाती है. इससे बैंकों पर दबाव पड़ेगा. ब्याज दर बढ़ने की स्थिति में कॉरपोरेट खर्च बढ़ जाता है और उपभोग वाली चीजों की मांग भी कम हो जाती है. मौजूदा हालात में बाजार में लिक्विडिटी कम होने का खतरा भी बढ़ गया है. इससे फिक्स इनकम में निवेश बढ़ जाता है.
मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा का मानना है कि बाजार का सेंटीमेंट अभी खराब दिख रहा है. ऐसे निवेशकों को पैसा लगाने में सावधानी बरतनी होगी. उन्होंने कहा है कि बाजार में और गिरावट देखने को मिल सकती है. उन्होंने यह भी सलाह दी है कि गिरावट से घबराना नहीं चाहिए और बाजार में भविष्य में तेजी लौटेगी.
मार्गेन स्टेनली के इंडियन रिसर्च हेड एवं एमडी रिद्धम देसाई ने कहा है कि अगले तीन-चार महीने तक बाजार पर वैश्विक कारकों का असर रहेगा और भारत के बजट का इस पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. सेंसेक्स 561 अंक गिर कर व निफ्टी 164 अंक गिर कर बंद हुआ. दुनिया भर के शेयर बाजार में तेज हलचल है. पिछले कई दिनों से गिरावट का सिलसिला जारी है. बीते सप्ताह गुरुवार को जब आम बजट पेश होने के बाद शुक्रवार को सेंसेक्स में साढ़े आठ सौ अंक की गिरावट आयी तो आरंभ में इसे बजट इंपेक्ट माना गया, जिसमें शेयरों से लांग टर्म इन्वेस्टमेंट से होने वाली आय पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाने का एलान किया गया. हालांकि मूल वजह कुछ और थी. गिरावट का प्रमुख कारण अमेरिका कर्ज की लागत बढ़ने को लेकर उत्पन्न घबराहट है. हालांकि अमेरिकी इकोनॉमी का फंडामेंटल मजबूत है. भारतीय अर्थव्यवस्था सहित दुनिया के दूसरे प्रमुख देशों की इकोनॉमी भी पटरी पर है. इस कारण यह माना जा रहा है कि बाजार कुछ दिनों में इस झटके से उबर जायेगा. हालांकि इस बीच संस्थागत निवेशकों के साथ छोटे-मंझोले निवेशकों में भी भय व आशंका का माहौल है. भारतीय बाजार ने आज निचले स्तर से रिकवरी भी की है. इस बीच आज से रिजर्व बैंक की दो दिवसीय मौद्रिक समीक्षा भी शुरू हुई है, जिसमें पर निवेशकों की नजर है.

 

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