1971 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध आज भी उनके जेहन में याद है। आज भी वे बातचीत करके पूरे रौ में आ जाते हैं। लेकिन, जरा ठिठक जाते हैं, क्योंकि देश की जनता आज भी कई सच्चाई को नहीं जानती। रूपहले पर्दे पर इस युद्ध को बाॅर्डर फिल्म में दिखलाया गया। उनकी किरदार को जैकी श्राफ ने निभाया है। जब एयर मार्शल (सेवानिवृत) एमएस बावा से वर्तमान परिस्थिति से लेकर युद्ध की बातें की, तो कई बातें उन्होंने साझा किया।
दीप्ति अंगरीश
अभी कुलभूषण जाधव को लेकर भारत-पाकिस्तान के संबंध फिर तल्ख हो गए हैं। आखिर भारत-पाकिस्तान के संबंध कभी सहज हो सकते हैं ?
यह पहली बार नहीं हुआ है। कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने बंदी बना लिया है झूठे केस में। भारत सरकार को इसका हल करना चाहिए। लेकिन, ऐसा नहीं होता है। इससे पहले भी सरबजीत के केस में पूरा देश यह देख चुका है। ये तो चंद नाम हैं, ऐसे कई केस हैं, जो लोगों के सामने आते ही नहीं है। जहां तक भारत-पाकिस्तान के संबंध में तल्खी की बात है, तो यह कभी सहज होगा, ऐसो मुझे नहीं लगता है। असल में, भारत-पाकिस्तान का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ है। इसलिए इतनी परेशानियां हैं। आप जर्मनी को देख लीजिए, दोनों अलग हुए और फिर एक हो गए। कोरिया भी इसी राह पर है। लेकिन, भारत-पाकिस्तान में ऐसा होगा, मुझे नहीं लगता है।
जब भी ऐसी कोई घटना होती है, कई नेता बयान देते हैं कि पाकिस्तान पर हमला कर दो। क्या यह उचित है ?
ऐसे नेताओं को हर समय अपनी राजनीति करनी होती है। कभी किसी राजनेता का बेटा भारतीय सेना में जाते हुए आप लोगों ने देखा है? इस देश के मंत्री जब ये कहें कि सेना में तो लोग जाते ही हैं मरने के लिए, तो इनसे कोई क्या उम्मीद कर सकता है। राजनीतिक दल सेना की भावना को नहीं समझ सकती है। विरले लोग होते हैं, जो सेना की बातों को समझते हैं। हर बात के लिए युद्ध करना उचित नहीं है।
एक ओर पाकिस्तान, दूसरी ओर चीन और तीसरी और म्यांमार समय-समय पर भारतीय सीमा के लिए खतरा बनता है। पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्ाइक होता है, तो उसका श्रेय राजनीतिक दल और सरकार ले जाती है। चीन की समस्या से कैसे निपटें भारत ?
राजनीतिक दल श्रेय लेना जानती है। काम तो असली भारतीय सेना करती है। सरकार जब जो आदेश देती है, हमारी सेना उसके लिए तैयार होती है। जहां तक चीन समस्या की बात है, तो मेरा तो यह कहना है कि भारतीय चीनी समान का बहिष्कार कर दे। चीन अपने आप हमारी बात मानने लगा। आखिर, हम विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र है। सवा अरब से अधिक आबादी हमारी ताकत है। हमें इस ताकत का एहसास होना चाहिए। जरूरत इस बात का है कि हम एक हों। अलग-अलग राज्य होकर नहीं सोचें। अलग-अलग धर्म-संप्रदाय का होकर नहीं सोचें। हमें राष्ट्वाद को अपनाना होगा। एक होकर सोचेंगे, तो हर समस्या का हल होगा। और हां, हर बात के लिए सरकार की ओर मुंह ताकना बंद करें। हर इंसान देश का नागरिक है। सबका अपना कर्तव्य है। वह उसका निर्वहन करे।
आपने राष्ट्वाद की बात की। वर्तमान केंद्र सरकार भी राष्ट्वाद की बात करती है। लेकिन, विपक्षी दल इसी दौर में सहिष्णुता-असहिष्णुता की बात करने लग जाते हैं ?
जिन्हें केवल अपनी राजनीति करनी होती है, वे तो कुछ भी कह और कर सकते हैं। असल में, देश में पहली दफा ऐसा प्रधानमंत्री बना है, जो केवल और केवल देश के लिए सोचता है। मैं तो यही कहूंगा कि नरेंद्र मोदी ने सवा अरब से अधिक देशवासियों को तमाम समस्याओं से छुटकारा लेने के लिए अवतार लिया है। इनके कार्यकाल को आप गौर से देखें। अब तक जो देश हम पर प्रतिबंध लगाते रहे। भारत को अधिक तरजीह नहीं देते थे, आज उन्हें भारत की ताकत का एहसास हो गया है। हर कोई भारत की ओर देख रहा है। हमें वैश्विक मंच पर समुचित सम्मान मिल रहा है और यह प्रधानमंत्री की कूटनीतिक सफलता है।
तो क्या पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी से अलग है हमारी वर्तमान विदेश नीति ?
देखिए, विदेश नीति के पीछे ताकत होती है। वह ताकत उस देश की सेना की होती है। सेना का आप मनोबल बढाए, तो सेना का हौसला बढता है। सेना सक्षम है, तो आपकी कूटनीति और विदेशनीति सक्षम है।
क्या कारण है कि पूरे विश्व में अमेरिका का दबदबा है ?
वह सुपरपावर है। उसके पास सैन्य ताकत है। उसके पास आर्थिक शक्ति है। जाहिर है, जिसके पास ये सब होगा, उसके आगे कोई भी कुछ बोलने से पहले कई बार सोचेगा।
एयर मार्शल एमएस बावा को आम जनता बाॅर्डर फिल्म आने के बाद अधिक जानने लगी। 1971 की भारत-पाक युद्ध पर आधारित इस फिल्म में इस युद्ध के असली हीरो बिग्रेडियर (सेवानिवृत) कुलदीप सिंह चांदपुरी को दिखाया गया। इसको लेकर आपने आपति भी जताई थी ?
बाॅर्डर फिल्म बनाने वाले जेपी दत्ता मेरे पास आए थे। बातें हुईं, लेकिन मेरे पास सिनेमा के लिए समय नहीं था। उसके बाद वे भारतीय थल सेना के संपर्क में आए। उन्होंने बिग्रेडियर (सेवानिवृत) कुलदीप सिंह चांदपुरी से मुलाकात की और सिनेमा बनाई। मैं आपको साफ कर दूं कि यह युद्ध भारतीय वायुसेना ने जीती। हमारे पास चार हवाई जहाज थे, जिसके बूते पूरे दिन में ही हमने पाकिस्तानों को नेस्तोनाबूद कर दिया। जैसलमेर से लोंगेवाला को हमने जीत लिया। जहां तक बात युद्ध की है, तो बिग्रेडियर चांदपुरी तो किसी तरह पूरी रात काटे थे। सुबह सूरज की रोशनी के साथ ही हमने अपने साथियों के साथ मिलकर पाकिस्तानी सेना पर कहर बरपाया था। सौ-डेढ सौ मील अंदर जाकर दुश्मन के टैंकों को जलाया था।
अब फिल्म तो फिल्म है। बाॅर्डर में पहले ही लिखा गया कि यह फिक्शन है। बिग्रेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने खुद को हीरो बताया तो मैं क्या करूं। मेरे पास तो पूरा दस्तावेज है। अपने बडे अधिकारियों और रक्षा मंत्री ने मेरी और साथियों की सराहना की है। जैसलमेर में आज भी विजय स्तंभ बना हुआ है। पाकिस्तानी मीडिया सहित दूसरे मीडिया ने भी कहा कि लोंगेवाला की लडाई भारतीय वायुसेना ने जीती है।