कोलकाता। पश्चिम बंगाल में वामपंथी मोर्चे के शासन के दौरान औद्योगिक विकास के प्रणेता के तौर पर पहचाने जाने वाले माकपा के वरिष्ठ नेता निरूपम सेन का सोमवार की सुबह शहर के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 72 साल के थे और लंबे समय से बीमार थे। यह जानकारी उनके पारिवारिक सूत्रों ने दी। पार्टी के पूर्व पोलित ब्यूरो सदस्य सेन के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि आज सुबह पांच बजकर दस मिनट पर दिल का दौरा पड़ने से सेन का निधन हो गया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने मार्क्सवादी नेता के निधन पर शोक व्यक्त किया है। पश्चिम बंगाल के पूर्व वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सेन दिसंबर के शुरू में स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद से जीवनरक्षक प्रणाली पर थे और उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि सेन गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे और 2013 में उन्हें मस्तिष्काघात हुआ था। माकपा नीत वाम मोर्चे के 2001 में एक बार फिर सत्ता में आने के बाद बुद्धदेब भट्टाचार्य के मंत्रिमंडल के प्रमुख चेहरों में से एक सेन को वाणिज्य एवं उद्योग का प्रभार सौंपा गया था।
भट्टाचार्य और सेन के नेतृत्व में ही वाम मोर्चे ने राज्य में औद्योगीकरण का अभियान शुरू किया था और निजी निवेश की प्रक्रिया शुरू की थी। नीति में इस बदलाव ने उन्हें काफी फायदा पहुंचाया, परिणामस्वरूप 2006 के विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चे को जबर्दस्त जीत हासिल हुई। लेकिन 2006 के अंत तक टाटा नैनो कार संयंत्र को लेकर सिंगूर में भूमि अधिग्रहण अभियान ने इस शासन को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। जबरन भूमि अधिग्रहण किए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के चलते अंतत: टाटा मोटर्स को कार संयंत्र को 2008 में सिंगूर से गुजरात ले जाना पड़ा था।
तत्कालीन विपक्ष तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई में सिंगूर एवं नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण विरोधी प्रदर्शनों को 2011 में 34 साल पुरानी वाम मोर्चे की सरकार के गिर जाने के मुख्य कारणों में से एक माना जाता है। पार्टी के भीतर और बाहर खूब आलोचना झेलने के बाद माकपा के तत्कालीन पोलित ब्यूरो सदस्य सेन ने खुद को सक्रिय राजनीति से अलग कर लिया था। अगले कुछ साल में खराब सेहत की वजह से वह पोलित ब्यूरो से, केंद्रीय समिति से और इस साल की शुरुआत में माकपा पार्टी के सम्मेलन के दौरान वह राज्य समिति से भी हट गए थे। वह वर्द्धमान दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि सेन का पार्थिव शरीर उनके निवास ले जाया जाएगा और फिर इसे एक निजी शवगृह पहुंचाया जाएगा। उन्होंने बताया कि बुधवार को सेन का शव यहां स्थित सीटू कार्यालय ले जाया जाएगा। इसके बाद इसे पार्टी के राज्य मुख्यालय पहुंचाया जाएगा जहां लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे। उसी दिन उनके गृहनगर वर्द्धमान में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। बनर्जी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘‘पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री निरूपम सेन के निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करती हूं।’’ येचुरी ने सेन के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें एक ‘‘समर्पित कम्युनिस्ट नेता’’ बताया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘वह एक समर्पित कम्युनिस्ट थे जिन्होंने अपना समूचा जीवन मजदूर और कृषक वर्ग की सेवा में लगा दिया। उन्होंने वाम मोर्चा सरकारों में सदस्य, पोलित ब्यूरो सदस्य और वरिष्ठ मंत्री के रूप में विभिन्न पदों पर काम किया।’’ पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव सूर्यकांत मिश्रा, पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम और अन्य नेताओं ने भी सेन के निधन पर दुख व्यक्त किया है।