कमलेश भारतीय
ट्यूनीशिया में हाल ही में क्लब थ्रो में स्वर्ण पदक जीत कर लौटी हिसार की बेटी व सह रोजगार अधिकारी एकता भ्याण का कहना है कि शिक्षा और खेल ने उसकी जिंदगी बदल दी । यही मेरा संदेश है दिव्यांगों के लिए कि वे अपनी निराशा से बाहर आएं और शिक्षा व खेल से जुडें , उनके जीवन में खुशियां ही खुशियां होंगी । इस अवसर अर्बन एस्टेट स्थित आवास पर एकता का फूलमालाओं से जोरदार स्वागत् किया गया ।
एकता भयाण ने न्यू यशोदा पब्लिक स्कूल से जमा दो तक शिक्षा प्राप्त की । फिर दुर्भाग्य से कुंडली के निकट हुई एक सडक दुर्घटना ने उसका जीवन ही बदल कर रख दिया । वह पूरे नौ माह तक अस्पताल में रही लेकिन नैक पैरालाइसिस की शिकार हो गयी ।
जीवन नये सिरे से जीने के लिए एकता ने गवर्नमेंट काॅलेज में पहले स्नातक, फिर एम ए अंग्रेजी तक शिक्षा प्राप्त की । वह भी अच्छे अंकों में । बी एड जाट काॅलेज ऑफ एजुकेशन में की । आजकल वह सचिवालय में सह रोजगार अधिकारी के पद पर तैनात है ।
सन् 2016 से एकता ने सोनीपत के कोच अमित सरोहा से क्लब थ्रो का प्रशिक्षण लेना शुरू किया । अमित सरोहा भी नैक पैरालाइसिस से ही पीडित हैं और इसी खेल के अच्छे प्रशिक्षण हैं। स्वयं भी कई पुरस्कार जीत चुके हैं । अब एकता इस खेल में पूरे विश्व में पांचवीं व एशिया में पहली रैंक पर है ।
-क्या दिव्यांग कहने से स्थिति में कुछ फर्क महसूस होता है ?
-नाम बदलने से नहीं सोच बदलने से फर्क पडेगा । समाज को दिव्यांगों के प्रति सोच बदलनी होगी और परिवार को भी । हमें बोझ न समझा जाए और न ही बोझ बनें बल्कि अपने काम स्वयं करने की कोशिश करें ।
एकता का अगला लक्ष्य है : अक्टूबर में होने वाली एशियन गेम्स में और सन् 2020 में टोक्यो ओलंपिक में क्लब थ्रो में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना । एकता ने बताया कि उसकी पसंदीदा फिल्म दंगल है और उसका गाना बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक है भी बहुत अच्छा लगता है । वह अपने पिता बलजीत भयाण को हानिकारक बापू कह कर बुलाती है क्योंकि वे भी जमकर प्रैक्टिस करवाते हैं । एम ए अंग्रेजी के चलते एकता साहित्य के प्रति लगाव रखती हैं और उसने हमारे आग्रह पर अपनी एक अंग्रेजी कविता भी सुनाई , जिसमें ये पंक्तियां उसके जीवन दर्शन को अभिव्यक्त करती हैं :
ए मूमेंट कैन मेक यू क्राई
नेक्स्ट फ्रैश मूमेंट …
गिब्स रीजन टू स्माइल….