कृषि में नवाचार और सतत विकास पर बल

 

हैदराबाद। कृषि में नवाचार और सतत विकास की सोच से ही फसलों के स्वास्थ्य की चुनौतियों से निपटा जा सकता है और देश में फसल उत्पादन में वृद्धि संभव हो सकती है। वनस्पति स्वास्थ्य प्रबंधन (आईसीपीएचएम) 2023 पर आयोजित सम्मलेन में धानुका समूह के चेयरमैन आर जी अग्रवाल ने कहा कि देश के कृषि विशेषज्ञों की भी यही राय है। उन्होंने इंडस्ट्री के महत्वपूर्ण रुझान और किसानों, विशेषकर फसल सुरक्षा रसायन सहित कृषि-इनपुट सेक्टर के समक्ष चुनौतियों को रेखांकित किया। उन्होंने प्रशासनिक चुनौतियों का सामना और नई तकनीकों के किसानों को सुचारु रूप से हस्तांतरण के महत्व पर बल दिया।

खाद्य सुरक्षा के लिए उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए श्री अग्रवाल ने किसानों का गलत फायदा उठाने वाले जालसाजों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की।
किसानों, वैज्ञानिकों और तकनीकी विकास के कारण खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में भारत की उपलब्धि की प्रशंसा करते हुए श्री अग्रवाल ने खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के आकड़ों का हवाला देते हुए फसल नुकसान को रोकने की तात्कालिक आवश्यकता पर बल दिया। एफएओ के आंकड़ों के मुताबिक 20-40 प्रतिशत फसल बर्बाद हो जाती है, जो कि 4 लाख करोड़ रुपए के खाद्य पदार्थ और बागवानी पदार्थों के मूल्य के बराबर है।

श्री अग्रवाल ने बताया कि अगर इस नुकसान को रोक दिया जाए तो बिना उत्पादकता बढ़ाए और 20-25 करोड़ लोगों का पेट भरा जा सकता है। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण कृषि-इनपुटों की उपलब्धता और अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने को महत्वपूर्ण बताते हुए किसानों को बेहतर विस्तार सेवाएं देने के लिए सरकारी संस्थानों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के लिए आगे आने का आह्वान किया।

भारत के सभी बाजारों में जाली, स्मगल किए हुए और नकली कृषि-इनपुट की घुसपैठ पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री अग्रवाल ने हैदराबाद के चर्लापल्ली में हुई हालिया छापेमारी को रेखांकित किया, जिसमें 24 नकली ब्राड़ों के सामान जब्त किए गए। उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाई की मांग करते हुए उन पर आईपीसी, ट्रेडमार्क एक्ट, सरकार की जीएसटी, आयकर और कस्टम ड्यूटी आदि के तहत कार्यवाई की वकालत की। उन्होंने बार-बार उन्हीं कंपनियों की सैंपलिंग की आलोचना करते हुए उसे करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग ठहराया। बाजार में घटिया दर्जे के प्रोडक्ट आने के मामले में उन्होंने कुछ निजी और पब्लिक हितधारकों की सांठगांठ की शंका व्यक्त की।

सम्मेलन को तेलंगाना सरकार में सचिव एवं एपीसी एम रघुनन्दन राव और तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो जयशंकर ने वनस्पति स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों के समाधान और नवाचार के माध्यम से फसल उत्पादन में वृद्धि के संबंध में सतत विकास के दृष्टिकोण को अपनाने पर जोर दिया और वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए वैज्ञानिक समुदाय को प्रयासों को बढ़ाने की अपील की। नई दिल्ली स्थित आईसीएआर के सहायक महानिदेशक डॉ. एस. सी. दुबे ने भारत से कृषि निर्यात को सुविधाजनक बनाने में जैव सुरक्षा और पता लगाने की क्षमता (ट्रेसेबिलिटी) के महत्व को रेखांकित किया। राष्ट्रीय वनस्पति स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान के महानिदेशक (डीजी) डॉ. सागर हनुमान सिंह ने प्रशासनिक स्तर पर आने वाली चुनौतियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने भविष्य की छिड़काव तकनीकों में ड्रोन की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और बताया कि एनआईपीएचएम सक्रिय रूप से पायलट लाइसेंसिंग के लिए प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।

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