नई दिल्ली। दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। दिवाली का त्योहार प्रकाश और उजाले का प्रतीक माना जाता है। इसे बड़ी ही खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन घरों में दिवाली की परंपरा के अनुसार हम सभी लोग घर के हर कोने में चारों ओर दीपक और मोमबत्तियां जलाते हैं। सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को मुबारकबाद देते हैं। मिठाइयां और तोहफे बांटते हैं। इस दिन का बच्चे खास तौर पर इसलिए भी बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्यों कि उन्हें पटाखे जलाने को मिलते हैं। नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइट के निदेशक डा.महिपाल सचदेव का कहना है कि पटाखे हमेशा अच्छी लाइसेंस धारक दुकान से ही खरीदने चाहिए। हमेशा बंद बाक्स में ही आतिशबाजी खरीदें। पटाखों को गैस स्टोव या किसी भी ज्वलनशील पदार्थ से दूर रखना चाहिए। पटाखों को खुली जगह पर ही जलाएं। बड़े पटखों को जलाते समय अधिक सावधान रहें। पटाखे जलाने के बाद बची हुई राख या फुलझडियों को एक पानी से भरी हुई बाल्टी में रखें, ताकि वह आपके पैरों के नीचे न लगें और न ही आप को नुकसान पहुंचाए।
डा.महिपाल सचदेव का कहना है कि दिवाली पर पटाखे जलाते समय विशेष तौर पर अपनी आंखों का ख्याल रखना चाहिए। आंख में अगर किसी प्रकार की भी चोट लगी हो तो तुरंत नेत्र विषेशज्ञ से मिलें क्यों कि इस दिन लापरवाही के चक्कर में कई लोग अपनी आंखें भी खो बैठते हैं या कई लोग पटाखे जलाते वक्तअपनी आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा बैठते हैं। बहुत से लोगों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है। इसलिए समूह में इकट्ठे होकर ही पटाखे जलाने चाहिए। इससे त्योहार का आनंद तो दोगुना हो ही जाता है साथ ही बमों को अकेले पटाखे जलाने का मौका नहीं मिलता जिससे कि उन्हें कोई नुकसान पहुंचे।
बच्चों को अकेले पटाखे जलाने के लिए न भेजें। बच्चों को तीर कमान से खेलने के लिए मना करें क्यों कि उससे आंखों में चोट लगने का खतरा बहुत अधिक रहता है। दिवाली के समय आखों में कट, सुपरफिशियल एब्रेशन, ग्लोब इंज्योरी, केमिकल एण्ड थर्मल बर्न हो सकता है। पीडि़त को आंखों में दर्द, लाल होना, सूजन, जलन, आंख खोलने और बंद करने में परेशानी या फिर दिखाई न देना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। आंखों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ होते हैं-अनार, हवाई, तीर कमान आदि। सबसे ज्यादा क्षति तब होती है जब पटाखों को टिन या शीशे की बोतल में रखकर जलाया जाता है ताकि सबसे ज्यादा शोर हो, लेकिन इससे आसपास खड़े लोगों को बहुत नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए। पत्थर और कांच के टुकड़े बहुत तेजी से उड़ते हुए किसी की भी आंख में बहुत अंदर तक चुभ सकते हैं जिससे कि आंखों में भयानक चोट लग सकती है। पटाखों के अंदर से निकला हुआ कार्बन और अन्य विशाक्त पदार्थ आंखों के उत्तकों, नसों और अन्य मुलायम लिगामेंट्स को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। आंख में चोट लगते ही आंख को नल के साफ पानी से छींटे मारें। फिॅर तुरंत किसी अच्छे डाक्टर के पास ले जाएं। अगर आप की आंखों में चोट लग जाए तो कुछ निम्रलिखित बातों का ध्यान रखें जैसे-
डा.महिपाल सचदेव का कहना है कि चोटिल भाग को न छेड़ें और आंखों को न मलें। अगर ये सुपरफिश्यिल इंज्युरी है, तो आंखों को साफ पानी से धो लें। अगर आंखों से खून निकल रहा हो, दर्द हो या फिर साफ दिखाई न दे तो आंखों को ढंग लें और तुरंत डाक्टर के पास जाएं। अपने आप कोई उपचार न करें। किसी भी आंख की चोट को मामूली न समझें क्यों कि छोटी सी चोट भी हमेशा के लिए आंखों की दृष्टि को हानि पहुंचा सकती है। ये छोटी-छोटी बातें और जानकारी आंखों के इलाज में मदद करती हैं, जिससे पीडि़त जल्दी ही ठीक हो सकता है। ये याद रखिए कि आंखें भगवान का अमूल्य उपहार हैं और उनका ख्याल रखना हमारा परम कर्तव्य है। आंख संबंधी किसी भी समस्या को सुलझाने के लिए डाक्टर से तुरंत संपर्क करें।