संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भारतीय एनजीओ ने कहा,पानी बचाने के लिए फसल की विविधता जरुरी

नई दिल्ली। 2005 में स्थापित सीएनआरआई, भारत का प्रमुख गैर-सरकारी संगठन है जिसने पानी बचाने के लिए फसल की विविधता को बढ़ावा देने के लिए और न्यूयॉर्क में जल पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों को संबोधित किया।
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सम्मेलन में बोलते हुए, कॉन्फेडरेशन ऑफ एनजीओ ऑफ रूरल इंडिया (सीएनआरआई) के महासचिव बिनोद आनंद ने पानी के संरक्षण के लिए भारत सरकार, कॉर्पोरेट क्षेत्र और किसानों द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में चर्चा की।
उन्होंने जलवायु परिवर्तन या जल संरक्षण, सभी महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के भारतीय तरीके पर प्रकाश डाला।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर श्री आनंद ने कहा कि पूरी दुनिया के लिए जल संघर्ष पर ध्यान देना और किसानों को पानी बचाने के लिए फसल की विविधता के लिए प्रोत्साहित करना अनिवार्य है।
नई दिल्ली स्थित सीएनआरआई को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा ग्रामीण भारत में किए जा रहे अपने कामों के आधार पर विशेष सलाहकार का दर्जा दिया गया था।
प्रतिष्ठित सलाहकार के रूप में सीएनआरआई को न्यूयॉर्क या अन्य स्थानों पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित किए जा रहे सम्मेलनों में भाग लेने का अधिकार है। यह प्रतिष्ठा सीएनआरआई को ईसीओएसओसी और उसके सहायक संस्थाएँ, मानवाधिकार परिषद, महासभा और अन्य संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी संस्थाओं की सार्वजनिक बैठकों में समीक्षक के रूप में बैठने का अधिकार देती है।
सीएनआरआई दुनिया भर में एनजीओ का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है। इसके 7,000 से अधिक एनजीओ सदस्य हैं और यह देश के 634 जिलों में मौजूद है। फरवरी, 2005 में स्थापित, सीएनआरआई नागरिक समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी और विशेष रूप से जमीनी स्तर पर लोगों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के साथ एक जन आंदोलन के रूप में विकसित हुआ है।
सीएनआरआई क्षेत्र, भाषा, धर्म, जाति, पंथ, समुदाय, लिंग या अन्य सामाजिक-आर्थिक कारकों के आधार पर बिना किसी भेदभाव के एक संयुक्त समाज को उभारने के लिए लोगों को एकजुट करने के प्रयासों में लगा हुआ है।

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