लुपिन और हनीवेल मिलकर इनहेलर टेक्नोलॉजी में करेंगे बड़ा बदलाव – HFO तकनीक को अपनाने की योजना

मुंबई। वैश्विक फार्मा प्रमुख लुपिन लिमिटेड (Lupin) ने आज घोषणा की कि वह श्वसन संबंधी इलाज को और बेहतर बनाने के लिए हनीवेल की Solstice® Air (HFO-1234ze(E) cGMP) प्रोपेलेंट का उपयोग करेगी। यह नई पीढ़ी की इनहेलर तकनीक खासतौर पर अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के रोगियों के लिए विकसित की जा रही है। हनीवेल का Solstice Air हाई ग्लोबल वार्मिंग पोटेंशियल (GWP) वाले प्रोपेलेंट्स की जगह ले सकता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।

लुपिन भारत की पहली फार्मास्युटिकल कंपनी बनने जा रही है जो बड़े पैमाने पर हनीवेल की Solstice Air तकनीक का उपयोग करेगी। पारंपरिक हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC)-आधारित प्रोपेलेंट्स के मुकाबले Solstice Air ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को 99.9% तक कम करने में सक्षम है। इस नवाचार से लुपिन न केवल पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, बल्कि अस्थमा और COPD से पीड़ित रोगियों के लिए प्रभावी इलाज भी सुनिश्चित कर रही है।

लुपिन की CEO विनीता गुप्ता ने कहा, “हनीवेल के साथ हमारी साझेदारी, उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं की उपलब्धता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। साथ ही, हम एक स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य की दिशा में भी काम कर रहे हैं। Solstice Air को अपने उत्पादों में शामिल करके हम न सिर्फ रोगी देखभाल को बेहतर बना रहे हैं, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम कर रहे हैं।” हनीवेल इंडिया के प्रेसिडेंट, आशीष मोदी ने कहा, “Solstice Air यह सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा सकता है कि लुपिन के इनहेलर्स न केवल सुरक्षित और प्रभावी हों, बल्कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में भी मदद करें। हनीवेल नवाचार और टिकाऊ तकनीकों के माध्यम से हेल्थकेयर समाधान को और बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है।”

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