मानुषी के मौन में सब गौण

कमलेश भारतीय

लीजिए, हमारी भारतीय संस्कृति का प्रमाण । अभी पद्मावती पर थमा नहीं विवाद कि विश्व सुंदरी चुनी गयी मानुषी छिल्लर को भी विवाद में ले लिया । हद है न ? हमारे नेता किसी भी विषय को राजनीति से जोड़ने की कला में माहिर हैं । पहले शशि थरूर ने छिल्लर को चिल्लर कहा और फिर बयानबाजी शुरू हो गयी । शशि थरूर ने माफी मांगी जरूर लेकिन बात बनी नहीं । यह हमारी संस्कृति नहीं हैं । इस तरह मजाक उड़ाना । मानुषी ने तो देश का गौरव वढाया और आपने उसका मजाक उड़ाया ? कहां की सोच ? कैसी संस्कृति ? कुछ तो अच्छा कहिए नहीं तो कालिदास की तरह गरिमापूर्ण चुप रहिए ।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मांग की कि हरियाणा सरकार मानुषी छिल्लर को छह करोड़ रुपये व एक प्लाॅट दे । मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जवाब में कहते हैं कि इसकी बजाय मानुषी छिल्लर जो मांगेगी वह देंगे । मतलब साफ कि विरोध के लिए विरोध की राजनीति ?किसी विषय , किसी व्यक्ति को तो राजनीतिक प्रदूषण से दूर रहने दीजिए । रामविलास शर्मा भी अतिउत्साहित हैं । खानपुर कलां के महिला विश्वविद्यालय में मानुषी छिल्लर काल सम्मान करने को लालायित हैं । कोई हर्ज नहीं । पर दूसरों कोई लगातार आलोचना के बाणों से आहत करते रहना कौन सी अच्छी बात है ?
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मानुषी छिल्लर का सम्मान करते हुए शशि थरूर के बयान कोई शर्मनाक करार दिया है और कहा किस्से मानुषी ने तो देश का गौरव बढाया है । उनके प्रति किसी कोई भी ऐसा मजाक उड़ाना शोभा नहीं देता ।
हरियाणा की महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन ने भी शशि थरूर के बयान कोई विकृत मानसिकता वाला बयान करार दिया । उन्होंने कहा कि ऐसे नेताओं की बदौलत ही कांग्रेस आज पिछड़ विकास सिकुड़ रही है । मानुषी छिल्लर ने तो वैश्विक मंच पर भारत का गौरव बढाया है ।
हरियाणा के अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष हवा सिंह सागवान को भी शशि थरूर के बयान की हवा लगी तो उन्होंने भी कहा कि यह शशि थरूर की मानसिकता का परिचय है । उन्हें अपनी सोच बदलनी चाहिए ।
अब देखो कौन सोच बदलता है और कौन बयान वापस लेता है ? मजेदार बात है कि हमारे बयान न कहीं दर्ज होते हैं , न कहीं वापस आते हैं । ये नेताओं के शब्द ही हैं जो वापस आ जाते हैं । वैसे कहते हैं कि शब्द और बाण कभी लौटते नहीं ।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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