नई दिल्ली। माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआइएन) और स-धन, माइक्रोफाइनेंस उद्योग के लिए आरबीआइ द्वारा मान्यता-प्राप्त आत्म-नियंत्रक संगठनों और उद्योग संघों ने एफआइडीसी के साथ मिलकर माइक्रो क्रेडिट उद्योग के लिए “कोड फॉर रिस्पांसिबल लेंडिंग” (सीआरएल) उत्तरदायी ऋण वितरण हेतु नियमावली जारी किया है। यह लॉन्च नई दिल्ली में स-धन के 15वें वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन में किया गया। सीआरएल का उद्देश्य माइक्रो-क्रेडिट में ग्राहक संचालन के लिए एक समान सिद्धान्त तैयार करना है, और यह व्यावसायिक क्षेत्र-विशिष्ट और और कंपनी-निरपेक्ष है। सीआरएल के अलावा, मिस्क्रो फाइनेंस संस्थानों (एमऍफ़आईज) के लिए संशोधित औद्योगिक आचार संहिता (सीओसी) भी जारी की गयी जो ऋण वितरण की पद्धतियों के सन्दर्भ में बाध्यकारी एवं अनिवार्य सिद्धानत के रूप में काम करेगी ।
श्री मनोज नांबियार, चेयरपर्सन, एमफिन ने कहा कि, “माइक्रोफाइनेंस सेक्टर ने पिछले कुछ सालों में जबर्दस्त वृद्धि दर्ज की है और इस सेगमेंट में विभिनन कंपनियों के पृथकीकरण के बाद, परिदृश्य में उल्लेानीय बदलाव हुआ है। हालांकि, इससे उद्योग के सामान्य विस्तार में वृद्धि हुयी है, लेकिन इसने हमारे सक्षम एक चुनौती भी खड़ी कर दी है जहां माइक्रो-क्रेडिअ क्लाइंट को सेवाएं देने वाली अलग-अलग नियंत्रित कंपनियों व अन्य के लिए एक समान नियम नहीं हैं। यह एसभी आरबीआई-नियंत्रित कंपनियों और अन्य कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण आत्म-नियामक कदम है जिसका लक्ष्य पारदर्शिता एवं अनुपालन बढ़ाकर कम आय वाले ग्राहकों के हितों की सुरक्षा करना है। हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 90 से अधिक कंपनियों ने सीआरएल के लिए “रिस्पांसिबल लेंडर्स” के तौर पर साइन किया है और उम्मीद है कि जल्द ही सभी माइक्रोफाइनेंस लेंडर्स इसका अनुमोदन करने और इसे अपनाने के लिए आगे आयेंगे।”
लॉन्च पर सुश्री विजयलक्ष्मी दास, चेयर, स-धन ने कहा कि, “यह लॉन्च समूचे क्षेत्र में रिस्पांसिबल फाइनेंस को आगे बढ़ाने के हमारे उद्देश्य के अनुरूप है। तरह तरह के कानूनी स्वरूपमें विभिन्न लेंडर्स सामने आ रहे हैं क्योंकि संहिता उन सभी से जुड़ाव बनाती है जो समान माइक्रोफाइनेंस क्लाइंट की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। ऐसी उम्मीद है कि यह सभी के लिए एकसमान क्षेत्र प्रदान करेगा और सुनिश्चित करेगा कि क्लाइंट की सुरक्षा का पर्याप्त ध्यान रखा गया है। इस बीच, इंडस्ट्री कोड को जोखिम प्रबंधन, रिस्पांसिबल लेंडिंग और एचआर प्रणालियों के क्षेत्रों में मजबूत किया गया है जिसमें कि प्रशिक्षण एवं क्लाइंट शिक्षा शामिल हैं।“
सीआरएल अनुपालन में उल्लेखनीय विकास फाइनेंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल (एफआइडीसी), पंजीकृत एनबीएफसी के लिए सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गनाइजेशन के साथ साझेदारी करना है। यह सीआरएल को अपने पहुंच के क्षेत्र में अधिक समावेशी बनाता है।
श्री रमन अग्रवाल, चेयरमैन, एफआइडीसी ने कहा कि, “हमें एमफिन और स-धन के साथ कोड फॉर रिस्पांसिबल साइन कर खुश हैं। एनबीएफसी सेक्टर पिछले एक साल से चुनौतीपूर्ण परिदृश्य से गुजर रहा है जहां बैंक, जो फंडिंग का प्रमुख स्रोत हैं, जोखिम को लेकर प्रतिकूल हो गए हैं। सीआरएल नॉन-बैंक लेंडिंग कम्युनिटी में भरोसा बहाल करने के लिए सही दिशा में उठाया गया कदम होगा। क्योंकि इससे असेट फाइनेंसिंग, लोन फाइनेंसिंग एवं माइक्रो फाइनेंसिंग एनबीएफसी के बीच बेहतर अनुशासन और समरसता लाने में मदद मिलेगी।”
माइक्रोफाइनेंस सेक्टर के लिए एमफिन और स-धन द्वारा जारी की गई संशोधित उद्योग आचार संहिता (सीओसी) का उद्देश्य जिम्मेदारपूर्ण लेंडिंग कार्यपद्धतियों एवं प्रणालियों को बढ़ावा देना है जिसके केंद्र में ग्राहकों की भलाई है। माइक्रो-क्रेडिट के ग्राहक शायद हमेशा उत्पाद एवं इसके प्रभाव के बारे में पूरी तरह समझ नहीं पाते हैं. इसे देखते हुए, यह अत्यावश्यक है कि प्रदाता इन प्रणालियों का समावेश कर ग्राहकों के हित को सुनिश्चित करने के लिए ज्यादा जिम्मेदारी निभायें। सीआरएल और सीओसी दोनों का उद्देश्य माइक्रोफाइनेंस में “रिस्पांसिबल लेंडिंग” कार्यपद्धतियों को बढ़ावा देना और आगे बढ़ाना है। आरबीआइ द्वारा परिभाषित माइक्रोफाइनेंस ग्राहक (एनबीएफसी-एमएफआइ के लिए) वह व्यक्ति है जिसकी घरेलू वार्षिक आमदनी ग्रामीण भारत में 1 लाख रुपये और शहरी भारत में 1.6 लाख रुपये है।