नई दिल्ली। भारतीय घरों में धूल-मिट्टी, कूड़ा-करकट और प्रदूषण फैलाने वाले तत्व अधिक होते हैं। यही वजहै कि घर के आंतरिक और बाहरी माहौल से वातावरण में बहुत ज्यादा गंदगी इकट्ठी हो जाती है। भारत में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण 2.5 माइक्रोमीटर और 10 पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) माइक्रोमीटर से ज्यादा महीन धूल के कण होते हैं। यह धूल के कण आदमी के फेफड़ों में पहुंचते है। कई बार तो रक्त प्रवाह को भी प्रभावित करते हैं। प्रदूषण फैलाने के बारीक कणों के संपर्क में आने से व्यक्ति के फेफड़ों और दिल की कार्यप्रणालीपर भी असर पड़ सकता है।
घर की साफ-सफाई इस तरह से की जानी चाहिए, ताकि प्रदूषण का स्तर सामान्य किया जा सके। इंफेक्शन को नॉर्मल डिसइंफेक्टेंट और क्लीनर आसानी से हटा नहीं सकते। क्यूरोल़ जैसे एंटी पॉल्यूशन लिक्विड आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।इससे जमीन पर पड़े हुए धूल के महीन से महीन कण पकड़ आ जाते हैं। हम जो सांस लेते हैं, उस हवा से भी यह प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों को दूर करता है। यह प्रदूषण फैलाने वाले धूल-मिट्टी के बारीक कणों को तो दूर हटाता ही है। इससे सेहत पर होने वाले हानिकारक प्रभाव में भी कमी आती हैं।
आमतौर पर बच्चे धूल मिट्टी और प्रदूषण से होने वाली एलर्जी के शिकार होते है। इसकी घरेलू समाधान के रूप में शुरुआत की गई थी, लेकिन यह ऐसे वास्तविक प्रॉडक्ट के रूप में सामने आया है, जो इस समस्या का दुनिया भर में समाधान कर सकता है। इससे घरों में मौजूद रहने वाले प्रदूषण के साथ बाहरी प्रदूषण से भी मुक्ति पाई जा सकती है। फिलहाल इस प्रॉडक्ट की भारतीय उपमहाद्वीप और मध्यपूर्व के देशों में अच्छी बिक्री हो रही है।
यह केवल एक ऐसा एंटी पॉल्यूशन लिक्विड है, जिसका उद्देश्य आपके आसपास के माहौल से प्रदूषण फैलाने वाले महीन बारीक कणों (पीएम पार्टिकल्स) (2.5 माइक्रोमीटर और 10 माइक्रोमीटर) को दूर करना है। यह आपको सांस देने के लिए स्वच्छ और शुद्ध वातावरण प्रदान करता है। क्यूरोल़ का प्रमुख लाभ यह है कि यह पूरी तरह जैविक है। इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यह प्राकृतिक है। खाद्य सुरक्षा के मानकों के तहत इसका स्तेमाल किया जाता है। (यह एफएसएसएआई से मान्यता प्राप्त है) और पीएच न्यूट्रल है। इस प्रॉडक्ट का रोजाना दिन में कम से कम एक बार इस्तेमाल करना चाहिए और यह प्रक्रिया लगातार कम से कम 7 दिनों तक दोहराई जानी चाहिए, जिससे हवा में मौजूद प्रदूषण और धूल मिट्टी के बारीक कणों में 60 से 60 फीसदी की कमी आएगी।
इसका प्रयोग करने पर महीने में प्रति वर्ग फीट की सफाई पर डेढ़ रुपये की काफी कम कम लागत आती है। यह सभी भारतीयों की घरों की सुरक्षा के लिए अफोर्डेबल सोल्यूशन है। इससे धूल-मिट्टी और प्रदूषण की समस्या से छुटकारा मिलता है।
हर भारतीय अपने घर में ताजी और शुद्ध हवा में सांस ले सकता है। शुद्ध हवा में सांस लेने की लक्जरी या विलासिता तक अब सभी लोगों की पहुंच हो गई है।