फोर्टिस अस्पताल का योगदान, पटना में मुफ्त स्वास्थ्य शिविर का आयोजन

पटना । ‘फिट इंडिया’ आंदोलन में योगदान के लिए फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव ने पटना में एक मुफ्त बीएमटी (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) और किडनी शिविर का आयोजन किया। इस शिविर का आयोजन डॉक्टर (मेजर) दीपक रंजन और रोटरी क्लब सिटी सम्राट के सहयोग से राज रतन हेल्थ केयर सेंटर में किया गया जहां 450 मरीजों की स्क्रीनिंग मुफ्त में की गई।

अमेरिका और चीन के बाद भारत में हेमाटोलॉजिकल कैंसर की तीसरी सबसे बड़ी संख्या है। 2012 में भारतीय आबादी को प्रभावित करने वाले शीर्ष 20 कैंसरों में ल्यूकेमिया को 9वें स्थान पर रखा गया था। इस कैंसर ने उस साल लगभग 32 हजार पुरुष और महिलाओं को प्रभावित किया था और 26 हजार लोगों की जानें ली थीं।

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव के हेमाटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के निदेशक, डॉक्टर राहुल भार्गव ने बताया कि, “अपने पूरे अभ्यास के दौरान हमें बिहार में रक्त विकार का पता चला। पटना में हमारे स्वास्थ्य शिविर की मदद से हम रक्त विकार और रक्त कैंसर के बारे में लोगों को जागरुक करना चाहते हैं कि यह लाइलाज नहीं है और दवाओं से इसका इलाज संभव है। इसके लिए निदान और इलाज समय पर कराना आवश्यक है। नियमित अभियानों की मदद से हम बिहार से एनीमिया को खत्म कर देना चाहते हैं और ऐसे शिविरों के जरिए हम समाज की सेवा करना जारी रखेंगे। लोगों को यह पता होना चाहिए कि प्रारंभिक निदान और जागरुकता से ही अच्छे परिणाम संभव हैं।”

किडनी की बीमारियों के बारे में बात की जाए तो, विश्व की 10% आबादी क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) से प्रभावित है और हर साल लाखों लोगों की जान जाती है क्योंकि उनके पास सस्ते उपचार का कोई विकल्प नहीं है। 2010 की ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार, 1990 में दुनियाभर में होने वाली कुल मौतो के कारणों की सूची में क्रोनिक किडनी डिजीज 27वें नंबर पर थी जबकि 2010 में यह 18वें नंबर पर पहुंच गई। दुनियाभर में 2 मिलियन से अधिक लोग वर्तमान में जीवित रहने के लिए डायलेसिस या किडनी प्रत्यारोपण का सहारा लेते हैं। इसके बाद भी यह संख्या केवल 10% लोगों को दर्शाती है जिन्हें इलाज की तत्काल जरूरत है।

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव के नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट निदेशक और एचओडी, डॉक्टर सलिल जैन ने बताया कि, “पटना और पड़ोसी शहरों में बदलती जीवनशैली एवं डायबिटीज और हाई बल्ड प्रेशर के बढ़ते मामलों के कारण किडनी के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए समय रहते जांच कराना आवश्यक है, जिससे बीमारी को आसानी से ठीक किया जा सके। यदि आपको चेहरे और पैरों में सूजन, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, पेशाब के दौरान जलन या दर्द, पेशाब का बार-बार आना आदि जैसी समस्याएं महसूस हों तो जान लीजिए कि ये सब नेफ्राइटिस के लक्षण हैं और इन्हें नजरअंदाज करना आपके जीवन पर भारी पड़ सकता है।”

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