शनि अमावस्या पर हो रहा है विशेष आयोजन

नई दिल्ली। 17 नवंबर 2017 रात्री 11:30 बजे को श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम, शनि तीर्थ क्षेत्र, असोला, फतेहपुर बेरी में शनि अमावस्या महोत्सव मनाया जा रहा है। अद्भुत और कल्याणकारी संयोग बन रहा है। शनिवार का दिन, सभी संकटों का समाधान करने वाले हैं। इस दुर्लभ संयोग में महाप्रभु देवाधिदेव श्री शनिदेव की महाआरती की एक झलक पाना ही सर्व कल्याणकारी और सर्व सिद्धिप्रद होगा। श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष शनि अमावस्या के पावन पर्व पर श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्लास का माहौल होगा। पावन धाम एवं पवित्र तीर्थ श्री शनिधाम में देवाधिदेव श्री शनिदेव के दर्शन, पूजन, तेलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक और भष्माभिषेक का भव्य आयोजन होगा। श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम पीठाधीश्वर शनिचरणानुरागी श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर परमहंस दाती महाराज के सानिध्य में 17 नवंबर 2017 रात्री 11:30 बजे यानी शुक्रवार की मध्यरात्रि ठीक 12 बजे से प्रारंभ हो जाएगी देवाधिदेव श्री शनिदेव की विशेष पूजा और महाआरती।
श्री शनिदेव के परम पूजक, परम उपासक, परम साधक, परम पूज्य परमहंस दाती महाराज के पावन सानिध्य में श्री शनिदेव का विशेष पूजन, अनुष्ठान, हवन, यज्ञ और महाआरती संपन्न होगी। सर्वविदित है कि प्रत्येक वर्ष शनिअमावस्या के पावन अवसर पर देश ते कोने कोने से शनिभक्त और श्रद्धालु श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम आते हैं और अपने अराध्य श्री शनिदेव के दर्शन, पूजन, अर्चन और तेलाभिषेक कर मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं। वास्तव में श्री शनिदेव का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। लोग डर जाते हैं। सहम जाते हैं। अब क्या होगा? श्री शनिदेव के कोप तथा प्रतिकूल प्रभाव से कौन बचाएगा ? परंतु परमहंस दाती महाराज कहते हैं कि श्री शनिदेव से डरने अथवा भयभीत होने की जरूरत नहीं। क्योंकि श्री शनिदेव मनुष्यों के शत्रु नहीं मित्र हैं। श्री शनिदेव क्रूर नहीं कल्याणकारी हैं। श्री शनिदेव कर्मफल के दाता हैं। श्री शनिदेव भाग्य विधाता हैं। श्री शनिदेव मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। जिन व्यक्तियों पर शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, दशा, महादशा अथवा अंतरदशा चल रही है, उनके लिए और शनि अमावस्या अत्यंत महत्वपूर्ण, सर्व कल्याणकारी, सर्व मंगलकारी और सर्व सिद्धिप्रद है। और शनि अमावस्या पर श्री शनिदेव के दर्शन, पूजन और तेलाभिषेक तथा महाआरती में भाग लेने से श्री शनिदेव प्रसन्न होते हैं और अपने उपासकों के सभी मनोरथों को पूर्ण करते हैं।

 

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