इस बार झारखंड की सियासत तय करेगी देवघर की भूमि !

देवघर। पूरे देश में बाबा बैद्यनाथ धाम की महिमा अपार है। कल यानी 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी परिवत्र भूमि पर पधार रहे हैं। यहां के प्रसिद्ध मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे। सरकारी स्तर पर पूरी तैयारी कर ली गई है। केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार का पूरा अमला एक-एक चीज को देख रहा है। प्रधानमंत्री एम्स और एयरपोर्ट जनता को समर्पित करेंगे। बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना करेंगे।

यह महज एक घटना भर नहीं है, इसको लेकर सियासी संदेश भी है। राज्य की वर्तमान सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए यह यात्रा किसी खतरे से कम नहीं है। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री सरकार को विचलित करने के लिए रणनीति बना रहे हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी और पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास कई दिनों से देवघर में डेरा जमाए हुए हैं। वहीं, वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सपत्नी बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना कर चुके हैं। वो प्रधानमंत्री की अगवानी करने के लिए स्वयं एयरपोर्ट पर उपस्थित रहेंगे।

चर्चा है कि प्रधानमंत्री दौरे के बाद झारखंड की वर्तमान सरकार को लेकर नया तोड-फोड़ होगा। उस में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं। वो पहले ही देवघर आ गए हैं और लोगों से मिल रहे हैं। उसी कड़ी में बाबा बैद्यनाथ का आर्शीवाद भी लिया।

भाजपा के दूसरे आदिवासी नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी भी देवघर सहित संथाल में घूम घूम कर अपना जनाधार दिल्ली को बता रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सतर्क हैं। वो पहले ही दिल्ली जाकर गृहमंत्री अमित शाह से मिल आए हैं। इसके साथ ही वो देवघर आकर खुद प्रधानमंत्री के आगमन और बाबा दरबार में भक्तों के पहुंचने की तैयारियों का जायजा ले रहे हैं।

देवघर में प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर भाजपा नेता इसलिए भी उत्साहित हैं क्योंकि इस दौरे के बाद राज्य में बडे राजनीतिक उलटफेर का पूरा अंदेशा है। भाजपा नेताओं की माने तो चंद दिनों में यूपीए सरकार का औंधे मुंह गिरना तय है। अब यह मुख्यमंत्री की निजी काबिलियत पर है कि महाराष्ट्र की महाअघाडी सरकार गिरने के बाद वह और कितने दिनों तक कांग्रेस के साथ वाली सरकार को चला सकते हैं। क्योंकि अदालत में लंबित मुकदमे के मुताबिक हेमंत सरकार के भ्रष्टाचार का एक सिरा महाराष्ट्र के सुरेश नागरे आदि उन व्यक्तियों से जुड़ा है जिन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 2013 से मुंबई के एक होटल में हुए बलात्कार के मामले में फंसा रखा था। इसे लेकर कहा जाता रहा कि झारखंड के हेमंत सोरेन की जान महाराष्ट्र के महाआघाडी सरकार में फंसी थी। क्योंकि दोनों ही राज्यों में कांग्रेस पार्टी प्रमुख घटक रही इसलिए हेमंत सोरेन निश्चिंत थे। अब महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार से बाहर हो गयी है तो हेमंत सोरेन की चिंता भी बढ गयी है।

असल में झारखंड में शिबू सोरेन की पार्टी सीधे भाजपा के साथ जाती है तो राज्य की मुस्लिम आबादी और सक्रिय ईसाई मिशनरियों के नाराज होने का खतरा है जो इस समय उनके साथ हैं। ऐसे हालत में राज्य में कांग्रेस के मत प्रतिशत में बड़े उछाल की गुंजाइश पैदा हो जाएगी। लेकिन दूसरी ओर हेमंत सोरेन की व्यक्तिगत मजबूरियां ऐसी हो गयी हैं कि वो भाजपा के साथ जाने में अपनी भलाई देख रहे हैं। लिहाजा, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए एक तरफ कुंआ तो दूसरी तरफ खाई की नौबत बन गयी है। पार्टी बचाने जाएं तो खुद खत्म होने का खतरा है और खुद को बचाये तो पार्टी के डूबने का संकट।

 

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