पिछड़े वर्ग के हितैषी हैं मोदी : थावरचंद गहलोत

समाज का हर तबका खुशहाल हो। ‘सबका साथ, सबका विकास’ केवल कहने भर से नहीं हो जाता है। इसके लिए समाज के वंचितों-निशक्तों के लिए सरकारी योजनाओं को अमल में लाना होता है। वर्तमान में उनकी समस्याओं और केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत से बात की। पेश है उस बातचीत के प्रमुख अंश:

सुभाष चंद्र

बीते दिनों आपने कहा था कि समाज के हर वर्ग को उसका अधिकार दिलाया जाएगा। इसी संदर्भ में विशेष रूप से किन्नरों की भी बात थी। क्या कर रहा है आपका मंत्रालय ?
मैं एक बार फिर कहता हूं कि समाज के सभी वंचितों को उसका उचित अधिकार दिलाना हमारा कर्तव्य है। जिस तरह की सुविधा अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग तथा घूमंतू लोगों को शिक्षा तथा विकास के मामले मे मिल रही है, उसी तरह की सुविधायें किन्नरों को भी मिलेगी। मंत्रालय इस पर कार्य कर रहा है। केंद्र सरकार किन्नरों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए अनेक कदम उठाएगी और उनके लिए सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से भी कार्यवाही की जा रही है। केंद्र सरकार किन्नरों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बोर्ड अथवा परिषद के गठन पर गंभीरता से विचार कर रही है।

विकलांगता एक बहुत बड़ा अभिशाप है। भारत सहित विश्व के कई देशों के लिए भी यह विकराल समस्या बन चुकी है, जिस पर किसी का वश नहीं चलता। इनकी बेहतरी के लिए क्या सोचा है ?
मोदी सरकार विकलांगों की प्रतिभा को निखारने तथा देश के विकास में उनका योगदान सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है। हमारी सरकार सुगम्य भारत अभियान शुरू किया। इस अभियान का उद्देश्य विकलांगता से ग्रसित व्यक्तियों के लिए सार्वभौमिक पहुंच अर्जित करना तथा तीन मुख्य बातों- माहौल तैयार करना, सार्वजनिक परिवहन और सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उदार और अवरोध मुक्त माहौल का सृजन करना है। यह अभियान अंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस के उपलक्ष्य में 3 दिसंबर 2015 को शुरू किया गया है। इससे शुरुआत में 75 चुनिंदा शहरों में लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य उपलब्ध सरकारी भवनों, हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, सार्वजनिक परिवहन, सार्वजनिक दस्तावेजों और वेबसाइटों के अनुपात में बढ़ोतरी करना है। इतना ही नहीं, पहली बार मंत्रालय ने राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम की भागीदारी में विकलांग व्यक्तियों की भावनाओं को मान्यता देते हुए फिल्मोत्सव का आयोजन किया। यह फिल्मोत्सव एक दिसंबर से 3 दिसंबर तक आयोजित किया गया। आने वाले समय में इसमें ऐसा सिनेमा दिखाया जाएगा, जो विकलांगों के लिए हमारे दुनिया के द्वार खोले और सिनमा भी दिखाया जाएगा जो विकलांग व्यक्तियों द्वारा तैयार किया गया है।

आपको लगता है कि ऐसी योजनाओं से विकलांगों का वाकई भला होगा ?
यकीनन। इससे विकलांग व्यक्तियों के सामने रोजाना आने वाली दिक्कतों को सामने लाने में मदद मिलेगी। सरकार और पूरी दुनिया में अनेक संगठन इन मुद्दों को दूर करने, हर संभव सहायता उपलब्ध कराकर विकलांगता ग्रस्त व्यक्तियों को पूरी क्षमता हासिल कराने में, उनकी जरूरतों के बारे में जागरूकता पैदा करने तथा समुदाय को उनके लिए अधिक समावेशी बनाने में समर्थ होंगे। ऐसी दुनिया में जहां विकलांग व्यक्तियों को हाशिए पर धकेल दिया जाता हो यह आयोजन उनके कार्यों और अभिव्यक्ति पर प्रकाश डालेगा जो और उनका कौशल, विचारों की सच्चाई उनके जीवन का विशिष्ट परिप्रेक्ष्य चुनौतियां और अभिलाषाएं प्रशंसा की हकदार हैं।

समाज के वंचितों को रोजगार से जोड़ने के लिए आपने अपने कार्यकाल में क्या औरों से अलग किया है ?
अनुसूचित जाति के उद्यमियों के लिए 22 दिसम्बर, 2014 को 200 करोड़ रुपये की उद्यम पूंजी निधि स्थापित की गई। यह योजना भारतीय औद्योगिक वित्त निगम लिमिटेड द्वारा लागू की जाएगी।यह निधि सेबी के साथ पंजीकृत है। युवा अनुसूचित जाति उद्यमियों के लिए 200 करोड़ रुपये की ऋण संवर्द्धन गारंटी योजना को शुरू किया गया। यह योजना युवा उद्यमों के साथ अनुसूचित जाति के उद्यमों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगी। सामाजिक न्याय के लिए डॉ. अम्बेडकर अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र की आधारशिला 20 अप्रैल, 2015 को रखीं गई। इस केन्द्र के निर्माण पर 195 करोड़ रुपये की अनुमानित धनराशि का खर्च आएगा। डॉ. अम्बेडकर स्मारक का निर्माण किया जाएगा, जिसकी अनुमानित लागत 100 करोड़ रुपये की होगी। डॉ. अम्बेडकर के लेखों और भाषणों का ब्रिल संस्करण भी जारी किया जाएगा।

सुनते हैं कि मोदी सरकार में कौशल विकास पर अधिक जोर है। सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय और कौशल विकास का आपस में क्या संबंध है ? क्या आपने कोई ऐसा कार्यक्रम चलाया है ?
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम ने वर्ष 2014-15 के दौरान 13,258 प्रशिक्षुओं को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया। वर्ष 2014-15 के दौरान 13,510 प्रशिक्षुओं को कौशल विकास प्रशिक्षण कौशल प्रदान किया। राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त विकास निगम ने 2014-15 के दौरान 8750 प्रशिक्षुओं को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया। राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त विकास निगम द्वारा महिलाओं को आत्मरक्षा कौशल के साथ वाणिज्यिक मोटर ड्राइविंग की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। विकलांग व्यक्तियों के कौशल प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की गई है, जिसमें 2022 तक 25 लाख विकलांग व्यक्तियों को कौशल विकास प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित किया जाएगा।

बधिरों के लिए काॅलेज स्थापना की बात हुई थी। आज क्या स्थिति है ?
बधिरों के लिए देश के प्रत्येक पांच क्षेत्रों में कॉलेज की स्थापना योजना को जनवरी, 2015 में शुरू किया गया है। योजना का उद्देश्य श्रव्य वाधित छात्रों को उच्च शिक्षा में शिक्षा के समान अवसर प्राप्त कराना है और उच्च शिक्षा के माध्यम से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

नशा हमारे समाज को घुन की तरह खाए जा रही है।  इससे निबटने के लिए आप क्या कर रहे हैं?
मैं कहता हूं कि नशा, अपराध एवं अभिशाप है। यह देश एवं समाज को बर्बाद करता है। नशामुक्त समाज बनाने के लिए सरकार और समाज के समन्वित प्रयासों की जरूरत है। नशामुक्ति के संबंध में विचार-विमर्श तथा जन जागरूकता के लिए क्षेत्रीय कार्यशालाओं का सिलसिला शुरू किया गया है। इसी क्रम में बीते दिनों मैंने एक कार्यशाला इंदौर में की। इससे पहले इस कार्यशाला का आयोजन शिलांग में किया गया था।

कोई ऐसी बात, जिसकी जानकारी मिलने के बाद एक केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भी आपका दिल कचोटता हो ?
हम 21वीं सदी में तो हैं, लेकिन इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा कि देश में कम से कम तीन लाख लोग हाथ से मैला उठाने के काम में अब भी लगे हैं, जिन्हें कानून के अनुसार न केवल पुनर्वासित करना है बल्कि सम्मान की जिंदगी देने के लिए तमाम उपाय भी करने हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार 26 लाख अस्वच्छ शौचालय थे, जिनमें हाथ से मैला उठाने का काम किया जाता था। एक आदमी यदि पांच से दस शौचालयों की सफाई करता है, तो कम से कम तीन लाख लोग हाथ से मैला उठाने के काम में अब भी लगे हैं। 2013 में हाथ से मैला उठाने की प्रथा समाप्त करने तथा ऐसे लोगों के पुनर्वास के लिए कानून बनाया गया था, जो हाथ से मैला उठाते हैं। हालंाकि, 2011 के बाद अस्वच्छ शैचालयों की संख्या में कमी आई है और 12 हजार हाथ से मैला उठाने वाले लोगों की पहचान भी की गई है। ऐसे सभी लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई है और उनके परिवार को एकमुश्त 40 हजार रूपये की सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है। मोदी सरकार स्वच्छता अभियान और शौचालय पर विशेष ध्यान दे रही है।

आप मध्य प्रदेश से आते हैं। अपने प्रदेश के लिए क्या खास कर रहे हैं ?
जब आपको जिम्मेदारी बड़ी मिलती है, तो सोच का दायरा बड़ा रखना होता है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सबका साथ, सबका विकास की बात कही है। हम उसी पर चल रहे हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान भी उसी पर चल रहे हैं। मध्य प्रदेश मेंएक बेहतर मुख्यमंत्री राजकाज चला रहे हैं। हम किसी खास प्रदेश को लेकर नहीं, बल्कि देशभर के वंचितों को उनके अधिकार दिलाने के लिए काम कर रहे हैं।

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